Congress President Race: कांग्रेस के अध्यक्ष पद (President of Congress) को लेकर चले सियासी मैच में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के हिट विकेट होने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने वाइल्ड कार्ड एंट्री मारी है...नामांकन के आखिरी दिन सामने आए इस 80 वर्षीय घाघ नेता को अगला कांग्रेस अध्यक्ष बताया जा रहा है. खड़गे के कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने न केवल अध्यक्ष पद की रेस से खुद को बाहर कर लिया बल्कि उनके नॉमिनेशन में प्रस्तावक भी बन गए...
सियासी पंडित अभी से कह रहे हैं कांग्रेस को बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjeevan Ram) के बाद दूसरा दलित अध्यक्ष मिलने जा रहा है. ऐसा कुल आधी सदी के बाद होने जा रहा है. लिहाजा अब खड़गे के राजनीतिक सफर पर नजर डालना जरूरी हो जाता है.
सबसे पहले जान लेते हैं देश की ग्रेट ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नए अध्यक्ष पद की रेस में खड़गे कैसे शामिल हुए...
खड़गे ऐसे आए रेस में
गुरुवार देर रात को सोनिया-प्रियंका के बीच बैठक हुई
गहलोत के ना करने के बाद नए नाम पर हुआ विचार
गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं खड़गे
शुक्रवार सुबह 10 बजे खड़गे को 10 जनपथ बुलाया गया
इसके बाद ये माना जाने लगा कि खड़गे को गांधी परिवार का बैकडोर से पूरा सपोर्ट है...इसी के बाद गहलोत और दिग्विजय से लेकर G-23 तक के नेता खड़गे के समर्थन में खड़े दिखने लगे...ऐसा क्यों हुआ इस समझने के लिए खड़गे के करियर पर निगाह डालना होगा.
मजदूर आंदोलन से निकले हैं खड़गे
कर्नाटक के बीदर जिले के वारावती में हुआ जन्म
किसान परिवार में हुआ जन्म, गुलबर्गा में की स्कूली पढ़ाई
वकालत की पढ़ाई की और गुलबर्गा में ही वकालत भी की
संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता रहे हैं खड़गे
मजदूरों के कई आंदोलनों का नेतृत्व किया है
अब ये भी जान लेते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस में अपना सियासी सफर कैसे शुरू किया?
आधी सदी से हैं कांग्रेस में
1969 में गुलबर्गा शहर के कांग्रेस अध्यक्ष बने
1972 में गुरमीतकल सीट से विधायक बने
इसी सीट से लगातार 9 बार विधायक रहे खड़गे
कर्नाटक सरकार में कई विभागों के मंत्री भी रहे हैं
साल 2009 में पहली बार गुलबर्गा से सांसद बने
2014 में भी दोबारा सांसद बने, केन्द्र में मंत्री बने
श्रम मंत्रालय और रेल मंत्रालय का कार्यभार संभाला
खड़गे की खासियत है कि दक्षिण भारतीय होने के बावजूद वे हिंदी में नॉनस्टाप अपनी बातें रखते हैं इसके अलावा उनकी मराठी भाषा पर भी अच्छी पकड़ मानी जाती है. साल 2014 में जब मोदी लहर में कांग्रेस 44 सीटों पर सिमट गई थी तब भी खड़गे अपनी सीट बचा ले गए थे.
राहुल गांधी के उठाए गए राफेल से लेकर नोटबंदी के मुद्दे को खड़गे ने लोकसभा में बखूबी उठाया. साल 2019 में जब वे लोकसभा चुनाव हार गए तो कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा से दिल्ली की सियासत में एंट्री करवा दी. बाद में पार्टी ने गुलाम नबी को हटाकर खड़गे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया. जाहिर है मौजूदा हालात में न सिर्फ कांग्रेस बल्कि गांधी परिवार के लिए भी खड़गे सबसे मुफीद उम्मीदवार हैं.