मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के रूप में आखिरकार 24 साल बाद कांग्रेस को अपना गैर गांधी अध्यक्ष (non gandhi president) मिल गया है...ये अहम इसलिए भी है कि देश की इस सबसे पुरानी पार्टी में 51 साल के बाद कोई दलित अध्यक्ष बना है.
बुधवार को जैसे ही खड़गे के चुनाव का ऐलान हुआ कांग्रेसी कार्यकर्ता (Congress worker) झूम उठे...सोनिया और प्रियंका गांधी खुद खड़गे के घर पहुंची और बधाई दी तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने पदयात्रा से ही ऐलान किया कि उनकी पार्टी में अध्यक्ष ही सुप्रीम होता है और वो जो जिम्मेदारी देंगे उसका मैं पालन करूंगा.
खुद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने भी नतीजों के ऐलान के पहले ही न सिर्फ अपनी हार मान ली बल्कि खड़गे को बधाई भी दी हो भी क्यों न खड़गे के खाते में 7897 वोट जो आए हैं. जिसका मतलब है कि उन्हें पार्टी में प्रचंड समर्थन मिला है...लेकिन सवाल ये है कि क्या खड़गे को इस समर्थन के बुते चुनौतियों के पहाड़ को पार कर पाएंगे? आइए जानते हैं खड़गे के सामने कौन सी चुनौतियां हैं?
हिमाचल-गुजरात चुनाव
खड़गे की पहली अग्निपरीक्षा हिमाचल और गुजरात का चुनाव (Himachal and Gujarat elections) है. हिमाचल में चुनाव का बिगुल बज चुका है और गुजरात में बजने वाला है. दोनों ही राज्यों में पार्टी को सत्ता तक पहुंचाना एक बड़ी कवायद होगी.
दो राज्यों में चुनाव का चैलेंज
हिमाचल में बीजेपी से सीधी लड़ाई है
गुटबाजी में फंसी कांग्रेस को बाहर निकालना है
गुजरात में पार्टी बीते 27 सालों से सत्ता से बाहर है
यहां बीजेपी के साथ ही साथ AAP भी चुनौती है
घटता जनाधार
मल्लिकार्जुन खड़गे के सिर कांग्रेस का ताज ऐसे समय सजा है, जब पार्टी अपने इतिहास के सबसे कमजोर मुकाम पर खड़ी है. कांग्रेस का जनाधार लगातार सिमटता जा रहा है
जनाधार बढ़ाने का चैलेंज
जनता को विश्वास दिलाना होगा कि उनकी पार्टी बेहतर है
कांग्रेस फिलहाल दो ही राज्यों में सत्ता में है
सबसे बड़े राज्य यूपी में दशकों से सत्ता से बाहर
2023 में दस राज्यों में विधानसभा चुनाव है
2024 में भी सात राज्यों में विधानसभा चुनाव है
पार्टी में 'भगदड़' और फूट
खड़गे ऐसे समय में कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं जब हर महीने दो महीने में कोई न कोई बड़ा नाम पार्टी का हाथ छोड़ रहा है...नेताओं को साथ रखना भी खड़गे की चुनौती है.
पार्टी में बिखराव रोकना
राजस्थान में पायलट और गहलोत में खींचतान
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के खिलाफ कई नेता
महाराष्ट्र में भी कांग्रेस विधायकों के बीच नाराजगी है
गोवा, नार्थ-ईस्ट और पंजाब में भी कई नेता नाराज
कई बड़े नेताओं ने हाल ही में पार्टी छोड़ी है
इसके अलावा खड़गे के सामने ये चुनौती है कि वो स्वतंत्र होकर पार्टी के लिए फैसला ले सकें जिस पर गांधी परिवार का कोई दबाव न हो. क्योंकि एक तो विपक्ष और दूसरे G-23 के नेता लगातार ये कहते रहे हैं और आम जनता भी मानती है कि कांग्रेस पर पूरी तरह से गांधी परवार का राज है. भले ही गांधी परिवार के सदस्य पार्टी में किसी पद पर हों या न हों, लेकिन बगैर उनके कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है. हालांकि ये भी सही है कि कांग्रेस को गांधी परिवार से अलग रखकर बात भी नहीं की जा सकती है. ऐसे में खड़गे को संतुलन बनाना होगा.