भारत में जिस तरह से कोरोना (Corona) के मामले बढ़ रहे हैं, जनवरी में पीक (Peak) आ सकती है. अगर जनवरी के आखिर में कोविड की लहर चरम (Third Wave) पर होती है, तो मार्च के मध्य तक लहर समाप्त हो जाएगी. कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं, कई एक्सपर्ट का मानना है कि भारत कोरोना महामारी की अपनी तीसरी लहर का अनुभव कर रहा है.
अब सवाल यह है कि क्या कोरोना की तीसरी लहर पिछले साल की तरह लोगों को डराएगी? क्या भारत अच्छी तरह से तैयार है? क्या कोरोना का बेहद खतरनाक वेरिएंट ओमिक्रॉन देश को फिर से हिलाएगा?
एक्सपर्ट यह जानने में जुटे हैं कि कोरोना के लहर का सबसे खराब या यह कहें डराने वाला चरण कब आएगा और यह कैसा दिखेगा.
आइए सबसे पहले सूत्र मॉडल को देखते हैं, जिसे IIT कानपुर और IIT हैदराबाद, इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट और महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है.
इस मॉडल के मुताबिक कोरोना का पीक जनवरी के आखिर से लेकर फरवरी के पहले हफ्ते तक हो सकता है. पीक टाइम में रोजाना 4-8 लाख तक कोरोना के केस आ सकते हैं और इस दौरान अस्पतालों में 1.5 लाख बिस्तर की जरूरत पड़ सकती है.
पीक समय: जनवरी आखिर से फरवरी का पहला हफ्ता
रोजाना के आंकड़े: 4-8 लाख (औसतन 7 दिन)
अस्पतालों में बिस्तर की जरूरत: 1.5 लाख
दिल्ली के लिए गंभीर भविष्यवाणी
इस मॉडल के मुताबिक दिल्ली में कोरोना का पीक 15 से 20 जनवरी के बीच हो सकता है. इस दौरान रोजाना 35 हजार से 70 हजार के बीच मामले आ सकते हैं. वहीं तीसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर की जरूरत 12 हजार हो सकती है.
दिल्ली
पीक समय: 15 से 20 जनवरी, 2022
रोजाना के आंकड़े: 35 हजार से 70 हजार
अस्पतालों में बिस्तर की जरूरत: 12 हजार
मुंबई के लिए भविष्यवाणी थोड़ी बेहतर
इस मॉडल के मुताबिक मुंबई में कोरोना का पीक 15 से 20 जनवरी के बीच हो सकता है. इस दौरान रोजाना 30 हजार से 60 हजार के बीच मामले आ सकते हैं. वहीं तीसरी लहर के दौरान दिल्ली के अस्पतालों में बिस्तर की जरूरत 10 हजार हो सकती है.
एक और मॉडल है जिसे Indian Institute of Science और the Indian Statistical Institute द्वारा विकसित किया गया है.
IISC-ISI मॉडल
पीक समय: जनवरी आखिर से फरवरी की शुरुआत
रोजाना आंकड़े: 3 लाख से 10 लाख
IISC-ISI मॉडल के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर जनवरी के आखिर और फरवरी की शुरुआत में चरम पर हो सकती है. इस स्टडी का कहना है कि अगर जनसंख्या 100% अतिसंवेदनशील है तो दैनिक मामले 10 लाख तक पहुंच सकते हैं. अगर आबादी 60 फीसदी संवेदनशील है तो रोजाना मामले 6 लाख तक पहुंच सकते हैं. और वहीं अगर जनसंख्या 30% अतिसंवेदनशील है, तो दैनिक मामले चरम पर 3 लाख के आसपास रहेंगे.
IISC-ISI मॉडल ने राज्यवार नंबर भी दिए
अगर संवेदनशीलता 100% है तो महाराष्ट्र में प्रति दिन 1.75 लाख मामले देखे जा सकते हैं. दिल्ली में 70,000 जबकि केरल में 1 लाख के आसपास कोरोना के मामले देखने को मिल सकते हैं. वहीं तमिलनाडु में रोजाना 80 हजार कोरोना के केस आ सकते हैं.
IISC-ISI मॉडल
महाराष्ट्र: 1.75 लाख रोजाना मामले
दिल्ली: 7 हजार रोजाना के केस
केरल: रोज के एक लाख मामले
तमिलनाडु: 80 हजार डेली केस
हालांकि यह सभी अनुमान अबतक देखे गए सभी आंकड़ों और स्टडी पर लगाए गए हैं. हो सकता है एक्सपर्ट्स ने जो अनुमान लगाए हैं वो अलग हो. यह समय समय पर और परिस्थितियों की मुताबिक बदल भी सकते हैं.