Cyclone Remal : 20 से ज्यादा लोगों की जान लेने के बाद, लाखों लोगों के आशियाने उजाड़ने के साथ ही चक्रवाती तूफान रेमल अपने पीछे तबाही के वो निशान छोड़ गया, जिन्हें भरा जाना शायद असंभव सा है. जिन लोगों के परिवार उजड़ गया वे कभी इस कुदरती आपदा के सदमे से उभर नहीं पाएंगे.
तूफान छोड़ गया तबाही के निशान
खतरनाक चक्रवाती तूफान रेमल पश्चिम बंगाल के कैनिंग और बांग्लादेश के मोंगला में 135 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आया. लैंडफॉल 4 घंटे तक चला. इस दौरान रेमल तूफान ने जमकर तबाही मचाई. कच्चे घर ढह गए, पुरानी दीवार टूट गईं, सड़कें जलमग्न हो गईं, पेड़ धराशाही हो गए, बिजली की तारें टूट गईं. जिधर नजर गई उधर तबाही की दिखाई दी.
कोलकाता- दीवार गिरने से 1 की मौत
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में मौजूद एक जर्जर मकान तूफान की रफ्तार को नहीं सह सका. इस मकान की दीवार गिर गई जिसके नीचे दबने से एक शख्स की जान चली गई.
कोलकाता में तूफान का असर
रेमल तूफान का कोलकाता में भी असर दिखाई दिया, यहां आइकोनिक पार्क स्ट्रीट तालाब बन गई. सड़कें नदियों में तब्दील हो गईं थी. जिसने स्थानीय लोगों को मुश्किल में डाल दिया.
21 घंटे बंद रहा एयरपोर्ट
समंदर और आसमान के रास्ते आई इस तबाही के मद्देनजर कोलकाता एयरपोर्ट 21 घंटों के लिए बंद रहा. सभी फ्लाइट्स को या तो रद्द कर दिया गया वरना डायवर्ट किया गया.
तेलंगाना में तूफान का तांडव !
बंगाल की खाड़ी में उठे भीषण चक्रवाती तूफान रेमल के कारण आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश ने तेलंगाना में भी जमकर उत्पात मचाया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- तेलंगाना के कई इलाकों में रविवार रात आए तेज आंधी-तूफान और भारी बारिश की चपेट में आकर 13 लोगों की मौत की खबर है. अकेले नगरकुर्नूल जिले में सात मौतें हुईं. हैदराबाद के अलग-अलग हिस्सों से चार और मेडक से दो लोगों की मौत की खबर आई. तेज़ आंधी ने नागरकर्नूल, मेडक, रंगारेड्डी, मेडचल मल्काजगिरी और नलगोंडा जिलों में भारी तबाही मचाई.
बांग्लादेश में 'काल' बना रेमल तूफान
उधर, बांग्लादेश में भी रेमल तूफान ने मौत का तांडव मचाया. पड़ोसी देश बांग्लादेश में चक्रवात रेमल की तबाही के कारण 7 लोगों की मौत की खबर है. देश के 5 तटीय जिलों से मौतों की सूचना मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भीषण चक्रवात के कारण कुछ लोगों के लापता होने की भी खबर है.
8 लाख लोगों को बचाया गया
बांग्लादेश के 10 सबसे संवेदनशील जिलों से आठ लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया. लेकिन इन जिलों में मौजूद खेती तूफान की वजह से चौपट हो गई. किसान इस बर्बादी से पूरी तरह टूट गए. लेकिन वो कहते हैं ना जान है तो जहान हैं.