Delhi Air Pollution : भारत की राजधानी दिल्ली, इन दिनों गैस चैंबर बनी हुई है. दिल्ली हो या उसके आसपास का इलाक़ा, एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी कि AQI 400 के पार पहुंच चुका है. राजधानी दिल्ली की हवा ने ज़हरीले (Delhi Air Polluction) होने में विश्व रिकॉर्ड बना दिया है. मौज़ूदा समय में दुनिया के कुल 195 देशों में कहीं भी इतनी दमघोंटू हवा नहीं है. सीधे शब्दों में कहें तो लगभग दो करोड़ की आबादी वाला राज्य दिल्ली, अपने बाशिदों को धीमा ज़हर दे रहा है. जो धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों के रूप में इंसान के शरीर में पनपेगा और आगे मौत बनकर अपनी आगोश में ले लेगा. जानकार बताते हैं कि इन दिनों दिल्ली की हवा में प्रति व्यक्ति 26 सिगरेट के बराबर धुआं है. यानी आप चाहें या ना चाहें, दिल्ली में हैं तो रोज़ाना आपको 26 सिगरेट तो पीनी ही पड़ेगी. दिनों दिन स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है. दिल्ली में रोज़गार करने वाले लोगों की मजबूरी यह है कि वह काम छोड़कर अपने गांव या शहर वापस भी नहीं जा सकते. ऐसे में हालात यह हैं कि करें तो करें क्या, जाएं तो जाएं कहां?
चेन्नई स्थित थिंक टैंक- सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी यानी कि CMIE के अनुसार अक्टूबर महीने में ग्रामीण इलाक़ों में बेरोज़गारी दर बढ़ी है. सबसे अधिक नौकरियां भी ग्रामीण इलाकों में ही गई है. डेटा के मुताबिक अक्टूबर में बेरोज़गारी दर 7.8 फ़ीसदी के स्तर पर है, जबकि सितंबर में यह 6.4 फ़ीसदी के स्तर पर थी. अच्छी बात यह है कि शहरी इलाक़ों में पहले के मुक़ाबले बेरोज़गारी दर में गिरावट आई है. सितंबर महीने में यह 7.70 शून्य प्रतिशत था जो अब कम होकर 7.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है. लेकिन गांवों में बेरोज़गारी सितंबर के 5.8 प्रतिशत के मुक़ाबले अक्टूबर में बढ़कर 8.04 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है.
CMIE के मुताबिक अक्टूबर महीने में आमतौर पर खेती-बाड़ी सुस्त रहती है. इसलिए ग्रामीण इलाकों में बेरोज़गारी बढ़ी है. उम्मीद है कि नवंबर में बुआई सीज़न शुरू होते ही रोज़गार भी बढ़ेंगे. शहर में काम करने वालों की मुश्किल यह है कि उन्हें रोज़गार तो मिल जा रहा है लेकिन शुद्ध हवा नहीं मिल रही. मंगलवार सुबह दिल्ली का AQI इंडेक्स 551 पर पहुंच गया. आने वाला समय दिल्ली के लिए और भी भारी बताया जा रहा है. तुरंत असर नहीं होने की वजह से लोग इसे इग्नोर कर रहे हैं. लेकिन शिकागो यूनिवर्सिटी मानती है कि दिल्ली में रहने वाले लोगों की औसतन उम्र दस साल तक कम हो रही है.
पिछले साल तक दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब को ज़िम्मेदार मानने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार अब उत्तर प्रदेश की डीजल बसों को ज़िम्मेदार बता रही है. यानी कारण बदल गया है लेकिन लोगों की समस्या नहीं बदली.
वहीं मोरबी हादसे को लेकर अदालती सुनवाई के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. फ़ॉरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिज की फ़्लोरिंग तो बदली गई थी लेकिन जिन केबलों पर वो टिका था उन्हें ही नहीं बदला. वहीं घटना के तीन दिन बाद भी मोरबी पुल के ख़राब मरम्मत के लिए ज़िम्मेदार कंपनी के मालिक फ़रार हैं. विपक्षी दलों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्रवाई के नाम पर Oreva के सुरक्षा गार्डों, टिकट विक्रेताओं और निचले स्तर के कर्मचारियों को बलि का बकरा बना कर, ख़ास लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है. आज इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात, आपके अपने कार्यक्रम में, जिसका नाम है- मसला क्या है?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के गहराते संकट के बीच पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने लोगों से वर्क फ्रॉम होम करने की अपील की है. इतना ही नहीं उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा है कि जो लोग दफ्तर जा रहे हैं, वे कार या बाइक शेयर करें. ताकि सड़क पर गाड़ियां कम से कम निकले. एक दिन पहले ही गोपाल राय, दिल्ली में कई ठिकानों पर एंटी डस्ट अभियान के तहत निरीक्षण करते नज़र आए. इसी दौरान उन्होंने दिल्ली के डीडीयू मार्ग स्थित बीजेपी के निर्माणाधीन दफ्तर पर कार्रवाई करते हुए पांच लाख़ का जुर्माना भी लगाया. मीडिया से बात करते हुए गोपाल राय ने कहा कि BJP ने Commission for Air Quality Management (CAQM) का ऑर्डर नहीं माना. इसलिए उनपर जुर्माना लगाया गया. BJP इससे पहले पटाखों का प्रदूषण बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती रही है.
पंजाब के कृषि मंत्री कुलदीप धालीवाल ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है. यह कैसे हो सकता है कि अमृतसर का पराली वाला धुआं दिल्ली तक पहुंच जाए लेकिन सोनीपत का ना पहुंचे. इतना ही नहीं उन्होंने केंद्र सरकार को पराली जलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जो भी मशीनें खरीदी गईं, उसे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने नहीं दिया. राज्य के जीएसटी शेयर से खरीदा गया. भारतीय जनता पार्टी पंजाब और किसानों को बदनाम करने की साज़िश कर रही है.
वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने योगी आदित्यनाथ प्रशासन से दिल्ली-एनसीआर में सीएनजी बसें चलाने का अनुरोध करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण के ज़हर के लिए UP की डीजल बसें ज़िम्मेदार हैं.
हालांकि प्रदूषण को रोकने के लिए गोपाल राय ने Graded Response Action Plan (GRAP) के तीसरे चरण के तहत निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला किया है. कुल 586 टीम बनाई गई है, जिसके तहत अलग-अलग विभागों के अधिकारी, निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर नज़र रखेंगे. ताकि कोई भी प्रतिबंधित कार्य चोरी-छिपे ना किए जाएं. राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, रेलवे और मेट्रो रेल सहित अन्य परियोजनाओं पर निर्माण प्रतिबंध लागू नहीं होगा.
अब बात मोरबी हादसे की. गुजरात पुलिस ने बुधवार को इस मामले में गिरफ़्तार नौ लोगों को स्थानीय कोर्ट में पेश किया. सुनवाई के दौरान जो कुछ बातें सामने आईं, वो चौकानें वाले हैं. जिस रेनोवेशन के नाम पर 2 करोड़ रुपये खर्च करने की बात सामने आई है, वह केवल फ़्लोरिंग के लिए थी. जिस तार पर यानी कि केबल पर पुल लटक रहा है, उसे तो बदला ही नहीं गया.
मतलब साफ़ है अब तक हैंगिंग ब्रिज का वह केबल, जो लोगों का वजन उठा रहा था अब वह अतिरिक्त फ्लोरिंग का भार भी उठाने लगा. सीधे शब्दों में कहूं तो कमज़ोर केबल पर वजन पहले ही बढ़ाया जा चुका था. एक बात और जिस कॉन्ट्रैक्टर ने ब्रिज की मरम्मत का ठेका लिया, उसके पास कॉन्ट्रैक्ट लेने की कोई योग्यता ही नहीं थी. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान की कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रॉसिक्यूशन पक्ष ने ये सारी बातें बताई हैं. कोर्ट में हैंगिंग ब्रिज के तार नहीं बदले जाने को लेकर जमा की गई फॉरेंसिंक टीम की रिपोर्ट का भी जिक्र है. यानी कुछ मीडिया चैनल के एंकर्स ने जिस तरह सीधे-सीधे मोरबी हादसे के लिए लोगों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया, वह पूरी तरह गलत है.
एक तर्क यह भी दिया गया था कि लोगों को पुल की क्षमता के हिसाब से ही चढ़ना चाहिए था, वह पहले ही ग़लत साबित हो चुका है. क्योंकि पुल पर कहीं भी क्षमता जैसी जानकारी दी ही नहीं गई थी. दूसरा, कंपनी ने लोगों से टिकट के एवज में ज़्यादा पैसे लेकर उन्हें पुल पर चढ़ने दिया.
मोरबी हादसे को लेकर सोशल मीडिया पर जो बात ज़्यादा प्रचारित हो रही है, वह यह है कि कैसे पीएम मोदी के आते ही रातोंरात अस्पताल के हालात बदल गए. ना जाने कितने दिनों तक यह अस्पताल, पीएम मोदी के दौरे के इंतज़ार में गुजरात मॉडल से बेख़बर बदइंतिज़ामी झेलता रहा. गुजरात के मोरबी अस्पताल में पीएम के दौरे से पहले रंग-रोग़न वाली तस्वीरें खूब वायरल हुईं. दीवारों के रंग या फर्श के टाइल्स सब रातोंरात बदल दिए गए. प्रधानमंत्री को गुजरात मॉडल दिखाने की इतनी जल्दबाज़ी थी कि अस्पताल प्रशासन ने वाटर कूलर तक लगा दिया. हालांकि वाटर कूलर लगा तो दिया लेकिन बिजली-पानी का कनेक्शन जोड़ना भूल गए. संभवत: अस्पताल प्रशासन को इसे जोड़ने का समय ही नहीं मिला हो.
एनडीटीवी के एक रिपोर्टर अंकित त्यागी ने अस्पताल प्रशासन की यह चालाकी देख ली. फिर क्या था उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार कर दी. जिसे उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया है.
ठीक है वाटर कूलर का कनेक्शन नहीं जुड़ा. लेकिन सोचिए अगर किसी मरीज़ या उनके परिवार वालों ने अस्पताल प्रशासन से यह कहते हुए शिकायत की होती कि उन्हें पीने का ठंडा पानी नहीं मिल रहा तो भी क्या इसी स्पीड से वाटर कूलर लगा दिया गया होता. आप दर्शक भी एक बार मन में सोच लीजिए. किसी को बताइएगा मत बस. अन्यथा विश्वगुरु भारत के विकास में आप अपना योगदान देने से चूक जाएंगे.
अस्पताल क्या मोरबी की सड़कें भी रातोंरात बदल दी गई. नए रोड के निर्माण के लिए रोड का चिप्स, अलकतरा और रोड रोलर मशीन सब काम पर लगा दिया गया. एक बार फिर मन में सोचिएगा कि अगर आपने सड़क बनाने के लिए नगर निगम से कहा होता तो क्या इतनी जल्दी ही काम हो जाता. मन में लड्डू फूटा.. दबा लीजिए और देश के विकास में योगदान दीजिए.
यानी एक बात तो तय है कि अधिकारियों में डर नेताओं का ही है. क्योंकि उन्हें मालूम है कि नेताओं को संभाल लीजिए, जनता को तो नेता मूर्ख बना ही देती है. अपनी पार्टी बनाकर या विश्वगुरु भारत की संतान बताकर. अगर इसमें भी कोई कसर रह जाए तो फूट डालने के कई मुद्दे तो हैं ही. फिर खेलते रहिए- हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान. जनता मस्त तो नेता भी मस्त.
वैसे नेता मस्त से याद आया. इन दिनों अमृता फडणवीस की सुरक्षा बढ़ाने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. नए आदेश के मुताबिक महाराष्ट्र गृह विभाग ने अमृता फडणवीस की सुरक्षा को X से बढ़ाकर Y+ कर दिया है. इसके अलावा उन्हें ट्रैफ़िक क्लियरंस के लिए एक गाड़ी भी दी गई है. अमृता फडणवीस उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी हैं लेकिन किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं.
इसको लेकर अंग्रेज़ी अख़बार ने एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें उप-मुख्यमंत्री, पुलिस अधिकारी और शिवसेना नेता सभी के बयान का ज़िक्र किया गया है. देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि अमृता फडणवीस की सुरक्षा, उनके ऊपर ख़तरे को भांपते हुए, हाई-पावर कमेटी ने बढ़ाई है. उन्हें ट्रैफ़िक क्लियरंस गाड़ी की ज़रूरत नहीं है और ना ही सुरक्षा बढ़ाने के लिए उन्होंने कोई आवेदन किया था.
वहीं शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता और ठाकरे परिवार ने अख़बार से कहा, "उद्धव ठाकरे की पत्नी, रश्मि ठाकरे और तेजस ठाकरे के पास दो सुरक्षाकर्मी है लेकिन ट्रैफ़िक पुलिस नहीं. ट्रैफ़िक क्लियरंस गाड़ी को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ट्रैफ़िक क्लियरंस गाड़ी आमतौर पर सिर्फ़ उन्हें दी जाती है, जो संवैधानिक पदों पर होते हैं.