दिल्ली में रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान खुले मंच से हाथ काटने और गला काटने की अपील की गई है. ताज्जुब की बात यह है कि यह सब हिंदुओं को बचाने के नाम पर किया गया. ऐसे-ऐसे बयान दिए गए कि थोड़ी देर के लिए आपको यक़ीन ही नहीं होगा कि भारत देश में क़ानून का राज है. आचार्य योगेश्वर ने एक समुदाय को टारगेट करते हुए कहा कि 'इन लोगों को सबक सिखाने का वक्त आ गया है, चुन चुनकर मारो. जिहादियों के उंगली ही नहीं हाथ और जरूरत पड़े तो गला भी काटो.
'धर्म की रक्षा' के नाम पर बंदूक उठाने की सलाह
वहीं महंत नवल किशोर दास ने हिन्दुओं को 'धर्म की रक्षा' के लिए बंदूक उठाने तक की सलाह दे दी. उन्होंने कहा कि अब शस्त्र और शास्त्र साथ लेकर चलने का समय है. हिन्दुओं ने ही कानून का पालन करने का ठेका नहीं ले रखा है. इतना ही नहीं महंत नवल किशोर ने कहा कि अगर हम सभी साथ आ गए तो दिल्ली पुलिस के कमिश्नर हमें चाय पिलाएंगे और हम जो चाहें, वो करने देंगे.
दिल्ली में कानून व्यवस्था कमज़ोर या हिंदू?
कायदे से इन महंतों को पुलिस कमिश्नर से सवाल पूछना चाहिए था कि सुंदर नगरी में 1 अक्टूबर को तीन लोगों ने 25 वर्षीय युवक मनीष की बेरहमी से चाकू मारकर हत्या कैसे कर दी? क्योंकि दिल्ली में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी तो उन्हें ही दी गई है. लेकिन पुलिस प्रशासन की नाकामी को समुदाय के नाम पर ना केवल छिपाया जा रहा है बल्कि लोगों को भड़काया भी जा रहा है..
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गुजरात चुनाव से क्या है कनेक्शन?
फर्ज़ कीजिए अगर दिल्ली की क़ानून व्यवस्था केंद्र सरकार के बजाए, अरविंद केजरीवाल के हाथों में रहती तो ये लोग क्या कहते? सोशल मीडिया पर कई लोग इस घटना को गुजरात चुनाव से भी जोड़ रहे हैं. क्या वाकई गुजरात चुनाव से पहले दिल्ली को भड़काने की तैयारी चल रही है? इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात, आपके अपने कार्यक्रम 'मसला क्या है?' में...
देश में बीजेपी की सरकार, फिर ख़तरे में हिंदू क्यों?
दिल्ली में रविवार को विश्व हिंदू परिषद ने 'विराट हिंदू सभा' नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. यह कार्यक्रम उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सुंदर नगरी में एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में रखा गया था. इस दौरान पुलिस की मौजूदगी में मंच से कथित मौजूद धर्म गुरुओं ने जो कुछ कहा, वह ना केवल शर्मनाक है, बल्कि अलोकतांत्रिक भी है.
आचार्य योगेश्वर ने अपने संबोधन में एक समुदाय को टारगेट करते हुए कहा कि इन लोगों को सबक सिखाने का वक्त आ गया है. अगर ऐसे लोग हमारे मंदिरों को उंगली दिखाएं तो उनकी उंगली मत काटो, उनका हाथ काटो.
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'चुन-चुन कर मारना होगा' संत की यह कैसी भाषा?
इतना ही नहीं बाद में आचार्य योगेश्वर ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि वह अपने बयान पर कायम हैं और अगर सरकार उनकी मांग नहीं सुनती है तो हम हिंदू भाइयों को उनको चुन-चुन कर मारना होगा. आपको यह बयान तालीबानी लग सकता है लेकिन रविवार को यह सब विश्वगुरु भारत की राजधानी दिल्ली में बोला जा रहा था. अब दो बयान और सुनिए. किसने कहा यह महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण यह है कि क्या कहा और किस मंच से कहा?
बीजेपी सांसद किसके बहिष्कार की कर रहे हैं बात?
आपकी जानकारी के लिए बता दूं जब मंच से यह सब कुछ बोला जा रहा था तो बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा भी वहीं मौजूद थे. यह बताना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि देश के लिए क़ानून बनाने वाले यही लोग हैं. अब ज़रा सांसद साहब को भी सुन लीजिए. वह कह रहे हैं कि हम इनका संपूर्ण बहिष्कार करेंगे, हम इनकी दुकानों, रेहड़ियों से कोई सामान नहीं खरीदेंगे. हम इनको कोई मज़दूरी नहीं देंगे. पहले एक बार बयान सुन लीजिए और तय कीजिए कि यह किसके बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं.
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सोचिए ये बीजेपी सांसद हैं. जिनकी केंद्र में सरकार है. जबकि प्रधानमंत्री मोदी, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी कहते थे कि अगर कोई हिन्दू, इस्लाम के ख़िलाफ़ है तो वह हिंदू नहीं है क्योंकि हिन्दू ने ये सिखाया है कि सभी धर्म बराबर है.” तो क्या ये सभी धर्मगुरु हिंदू धर्म की वह बात नहीं जानते जो मोदी कह रहे हैं? कम से कम बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा को तो यह बात पता होगी? पहले एक बार वह बयान सुन लीजिए. साल 2005 में इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा था?
सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल
सोशल मीडिया पर कई लोग अब यह सवाल उठाने लगे हैं कि अगले कुछ महीनों में गुजरात में चुनाव होने वाला है. अरविंद केजरीवाल जिस दिल्ली मॉडल का ज़िक्र कर गुजरात में भीड़ जुटाने का दावा कर रहे हैं, अब उसी मॉडल को ध्वस्त किया जा रहा है. बाक़ी बीजेपी का हिंदुत्व मॉडल तो पहले से ही हिट है... इसलिए यह सबकुछ जान बूझकर किया जा रहा है. ताकि चुनाव से पहले गुजरात में बीजेपी के लिए पिच तैयार की जा सके.
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रविवार की इस घटना का गुजरात चुनाव से क्या कोई कनेक्शन है? खुले मंच से इस तरह हाथ काटने या गला काटने का बयान दर्ज़ होता रहा, जबकि वहां पुलिस भी मौजूद थी. क्या क़ानून के मुताबिक, यह अपराध का मामला बनता है?