EPFO Data Hack : अक्सर आपने नौकरीपेशा लोगों को ये कहते सुना होगा कि चिंता की कोई बात नहीं. कुछ पैसा PF में जमा है. उसी से बेटी की शादी करा लूंगा या गांव में बने पुराने मकान की मरम्मत करा लूंगा. एक नौकरीपेशा आदमी PF में यही सोचकर रकम जमा कराता है कि यह रकम बुरे दिन का साथी बनेगा. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि करीब 28 करोड़ पीएफ खाताधारकों (PF Account Holders) का ऑनलाइन डाटा लीक (Data Leak) हो गया है. इतना ही नहीं जो डाटा सार्वजनिक हुआ है, उसमें खाताधारकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN), नाम, आधार डिटेल (Aadhaar Details), बैंक अकाउंट नंबर (Bank Account Number) और यहां तक कि नॉमिनी डिटेल भी है.
यूक्रेन के एक रिसर्चर ने डाटा लीक होने की बात कही है. हालांकि रिसर्चर ने यह भी कहा है कि जानकारी सामने आते ही सार्वजनिक लिंक से डाटा हटा लिया गया. लेकिन सवाल उठता है कि अगर वह डाटा किसी के पास चला गया है तो क्या वह इसका इस्तेमाल नहीं करेगा? दैनिक भास्कर के मुताबिक साल 2021 तक EPFO मेंबर्स के खातों में कुल 11 लाख करोड़ रुपए जमा थे. यानी 2022 में निश्चय ही यह आंकड़ा बढ़ा होगा.
वित्त वर्ष 2021-22 की बात की जाए तो अप्रैल महीने में 8.90 लाख लोग जुड़े. मई महीने में 6.57 लाख, जून में 11.16 लाख, जुलाई में 14.65 लाख, अगस्त में 13.60 लाख और सितंबर में 15.41 लाख लोग जुड़े हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 2 अगस्त को डियाचेंको ने पता लगाया कि दो अलग-अलग आईपी एड्रेस (IP Address) से अगस्त की शुरुआत में PF खाताधारकों का डाटा लीक हुआ. एक आईपी एड्रेस से 28,04,72,941 खाताधारकों के रिकॉर्ड सार्वजनिक किए गए, जबकि दूसरे आईपी एड्रेस से 83,90,524 खाताधारकों का रिकॉर्ड लीक हुए. हालांकि डियाचेंको के ट्वीट के 12 घंटे के भीतर दोनों आईपी एड्रेस से डिटेल हटा ली गई.
डाटा लीक होने की खबर सच है या कोरी अफवाह, कहना मुश्किल है क्योंकि श्रम मंत्रालय ना तो इस बात की पुष्टि कर रहा है और ना ही नकार रहा है.
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हमलोगों के लिए यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नोटबंदी के बाद हमारे देश में धड़ल्ले से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है. बिना किसी परवाह के लोग पैसा ट्रांसफर कर रहे हैं. जबकि अगर किसी दूसरे देश में जाएं तो वहां लोगों की निजी जानकारियों की सुरक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है. हमारे देश में लोग दो रुपये से लेकर 2 लाख का मनी ट्रांसेक्शन कर रहे हैं. लेकिन इनका डाटा सुरक्षित रखने को लेकर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है. वैसे उनके सामने तो सबसे बड़ी चुनौती अपना डाटा संभालने की है.
डिजीटल भारत बनाने से पहले हमारी सरकार को किस तरह के कड़े फैसले लेने की जरूरत है इसपर एक्सपर्ट से बात करेंगे. लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि अगर आप भी धड़ल्ले से ऑनलाइन ट्रांसेक्शन कर रहे हैं तो इन 5 बातों पर सख्ती से ध्यान देने की जरूरत है...
इस खबर को देखने के बाद पेंशनर्स को यह जानने की बेचैनी हो रही है कि कहीं उनका PF अकाउंट भी हैक तो नहीं हुआ है? एक डर यह भी सता रहा है कि जिन हैकर्स के हाथ जानकारी लगी है क्या वह लोगों को आर्थिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं? इस बारे में जानेंगे. लेकिन इससे पहले दर्शकों को बता दें कि EPF अकाउंट क्या होता है और इससे पेंशनर्स को क्या फ़ायदा होगा? ख़ासकर उन दर्शकों के लिए जो इसके बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं, लेकिन जानना चाहते हैं.
एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) एक अनिवार्य रिटायरमेंट सेविंग्स स्कीम होती है. इसके तहत सभी कर्मचारियों का एक पीएफ अकाउंट खोला जाता है. जिसमें प्रत्येक महीने कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी पैसा काटकर जमा किया जाता है और इतना ही पैसा कंपनी की तरफ से कर्मचारी के PF खाते में डाला जाता है. जिसपर सालाना ब्याज मिलता है. इस अकाउंट को एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन यानी कि EPFO मैनेज करता है.
जब कोई एम्प्लॉई पहली बार किसी कंपनी में जॉब ज्वाइन करता है, तो कंपनी की तरफ से ही पीएफ अकाउंट खोला जाता है.
Provident Fund अकाउंट में जमा रकम तीन भागों में बंटी होती है. पहला भाग बेसिक सैलरी का. दूसरा, कंपनी का. तीसरा- कंपनी की ओर से जमा कराई गई रकम दो भागों में बंटती है. 12% में से 3.67% रकम पीएफ कंट्रिब्यूशन में और 8.33% रकम पेंशन फंड में जमा होती है. जो रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर मिलती है. पेंशन की रकम कितनी होगी, यह पीएफ अकाउंट में जमा रकम पर निर्भर करता है.
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यह समझाना इसलिए जरूरी था क्योंकि अब आप EPF अकाउंट के महत्व को समझ सकेंगे.