पाकिस्तान में एक ऐसी वारदात हुई, जिसने 15 साल पुराने उस सियासी हत्याकांड की याद दिला दी. जिसमें सरेराह पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो (Benazir Bhutto) की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 3 नवंबर 2022 को पाकिस्तान अपना काला इतिहास दोहरा सकता था, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की जान जा सकती थी, लेकिन गनीमत रही कि इमरान खान (Imran Khan) बच गए. पूरी खबर की इनसाइट स्टोरी आपको बताएंगे, लेकिन पहले पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) में हुआ क्या है ? ये जान लीजिए...
ऑटोमैटिक पिस्टल ने इमरान खान पर हमला
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif) के खिलाफ 'हकीकी आजाद मार्च' यानी एक लंबी रैली निकाल रहे हैं, जिसनें वो पाकिस्तान की सरकार का बर्खास्त करने और जल्द आम चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं. इसी रैली को लेकर जब वो वजीराबाद पहुंचे तो उन पर जानलेवा हमला हुआ. हमलावर ने ऑटोमैटिक पिस्टल ने इमरान खान पर कई राउंड फायरिंग की, जिसमें इमरान बुरी तरह घायल हो गए. उनके पैर में गोली लगी जिसके बाद उनका ऑपरेशन किया गया, फिलहाल इमरान खान खतरे से बाहर हैं.
वारदात को धार्मिक रूप देने की कोशिश
हमले के बाद हमलावर पकड़ा गया, उसने अपना बायन भी दिया और बताया कि उसने इमरान खान पर सिर्फ इसलिए गोली चलाई कि अवाम को गुमराह कर रहे हैं. उनकी रैली में जो डीजे बज रहा है, उससे अजान में दिक्कत हो रही थी, इसी बात से नाराज होकर उन्होंने इमरान पर गोली चला दी, जिसके बाद से लोग इस घटना को धार्मिक मोड़ देने में लगे हैं. लेकिन क्या ये सिर्फ किसी सनकी युवक का इमरान पर जानलेवा हमला है या फिर सोची समझी साजिश. चलिए इस पूरे मामले को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं.
लाहौर से इस्लामाबाद तक 'हकीकी आजादी मार्च'
22 अक्टूबर 2022 यानि कुछ दिन पहले ही इमरान खान को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने 'तोशखाना' मामले में दोषी करार दिया और उनके पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी दी. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ जैसे ही ये फैसला आया. पाकिस्तान में विद्रोह जैसे हालात पैदा हो गए. इमरान खान की पार्टी PTI के कार्यकर्ताओं ने हिंसक प्रदर्शन कए और इमरान खान ने 28 अक्टूबर से लाहौर से इस्लामाबाद तक 'हकीकी आजादी मार्च' (Imran Khan Azadi March) निकालना शुरू कर दिया. इमरान खान के निशाने पर थी, वहां की शहबाज सरकार और पाकिस्तान की सेना (Pakistan Army). इमरान अवाम को अपने पाले में करने के लिए अपनी रैली में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ बयानबाजी करते रहे और इस दौरान उन्होंने सेना पर भी खूब सवाल उठाए. इस बीच इमरान खान ने भारत की विदेश नीति की कई बार तारीफ भी की और पाकिस्तान की सरकार को जमकर घेरा. इतना ही नहीं इशारों-इशारों में इमरान यहां तक कह गए कि पाकिस्तान में सेना का राज है.
हमले के पीछे पीएम शहबाज शरीफ-PTI
अब आते हैं इमरान खान पर हुए हमले की पीछे की वजह पर और ये जानने की कोशिश करते हैं कि इमरान पर हमला होने से किसे फायदा होना था. क्या शहबाज शरीफ सरकार ऐसा करके इमरान को रोकना चाहता थी. क्योंकि इमरान की पार्टी के नेताओं का यही कहना है कि हत्या के प्रयास के पीछे पीएम शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और एक सीनियर मिलिट्री ऑफिसर का हाथ है या फिर पाकिस्तान की सेना इमरान को मिल रहे जनसमर्थन से डर गई थी.
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हमले के पीछे हो सकता है पाक सेना का हाथ
हमले के बाद पाकिस्तान के सियासी जानकारों और पत्रकारों की राय सामने आई और जो इन लोगों ने कहा वो कई तरह से सवाल खड़े कर रहा है. सियासी जानकारों की माने तो कोई भी सरकार विपक्ष के बड़े नेता पर हमला कराने से पहले सौ बार सोचेगी, क्योंकि हमला होने की स्थिति में विपक्षी पार्टी को सहानुभूति का बड़ा फायदा हो सकता है. वहीं कुछ जानकारों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना धार्मिक कार्ड खेलने में आगे है और हो सकता है कि इमरान पर ये हमला पाकिस्तान की सेना ने ही प्लान किया हो. वहीं हमले के पीछे खास बात ये भी है कि हमलावर ने इमरान के पैर पर गोलियां चलाईं (Imran Khan Attack) और इसे धार्मिक रूप दिया. हो सकता है कि इमरान के लिए ये सेना का अल्टीमेटम हो, उन्हें रोकने के लिए और उंगली सेना पर ना उठे, इसीलिए इसे धार्मिक तौर पर पेश किया जा रहा हो.
इमरान ने ट्वीट करके जताया था हत्या का शक
इमरान खान को अपने ऊपर जानलेवा हमले का शक पहले ही हो गया था. शायद यही वजह थी कि उन्होंने 31 अक्टूबर 2022 को ही ट्वीट करके कहा था - 'मेरे लिए बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में ये क्रांति शांतिपूर्ण तरीके से बैलेट के जरिए होगी या फिर खूनखराबे से? ' ऐसे में सवाल उठने लगे थे कि इमरान के मार्च को रोकने के लिए सरकार या सेना कोई ना कोई कदम जरूर उठाएगी, मतलब उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन इमरान पर इस तरह जानलेवा हमला होगा, ऐसा शायद पाकिस्तान की अवाम ने नहीं सोचा था.
इमरान की रैली में महिला पत्रकार की हत्या
वहीं इमरान खान पर ये हमला सोची समझी साजिश क्यों हो सकता है. इसे एक और घटना से समझा जा सकता है. 30 अक्टूबर 2022 को इमरान की रैली को कवर कर रही एक महिला पत्रकार सदफ की कंटेनर से कुचलकर मौत हो गई थी, कहा गया कि उन्हें किसी ने धक्का दिया था. ये वही महिला पत्रकार थीं, जिन्होंने एक दिन पहले ही इमरान खान का इंटरव्यू भी किया था.
पाकिस्तान में लग सकता है मार्शल लॉ
चलिए अब आखिर में बात करते हैं इमरान खान पर हुए हमले से आखिर किसे फायदा होगा ? क्या इस हमले से इमरान की रैली रुक जाएगी. जैसा वहां की सरकार और सेना चाहती है या फिर इमरान सहानुभूति की लहर में वापसी करके और ताकतवर बनेंगे. पाकिस्तान के सियासी जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं और हो सकता है कि पाकिस्तान में मार्शल लॉ यानि सेना देश को अपने कंट्रोल में ले. क्योंकि पाकिस्तान ने कई बार सेना का शासन देखा है. ऐसे में साफ है कि सेना इमरान खान को हर हाल में रोकना चाहती है. चाहें फिर उसे पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा करना पड़े.
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