Explainer: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के फैमिली बैकग्राउंड पर बीजेपी के सांसद दिलीप घोष की टिप्पणी विवादों में है. यहां तक कि घोष को उनकी अपनी ही पार्टी ने कारण बताओ नोटिस दे दिया. इस ख़बर के बीच आइए आज जानते हैं कि उन शब्दों और बातों के बारे में जिन्हें बोलना नेताओं के लिए वर्जित है. नेताओं के पास फ्रीडम ऑप स्पीच तो है, पर उतनी ही, जितने में किसी की डिग्निटी या भावनाएं आहत न हों.
ये हैं हिंदी के कुछ शब्द
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर, शर्मनाक, धोखा, चमचागिरी, स्नूपगेट, तानाशाह, शकुनी, अनपढ़, अनर्गल, अहंकार, औकात जैसे कई शब्द हैं, जो लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही जगहों पर बहस में नहीं बोले जा सकते. नाटकबाजी, झूठा, धोखा, उचक्का, नस्लभेदी जैसे वर्ड्स भी इसी श्रेणी में हैं.
इन वाक्यों का प्रयोग भी मना
फ्रेज की बात करें तो...काला दिन, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, बहरी सरकार, तलवे चाटना, कांव-कांव करना, कई घाट का पानी पीना, घड़ियाली आंसू, गुंडों की सरकार, घास छीलना, घिग्घी बंधना, चोर-चोर मौसेरे भाई, छाती कूटना, ठेंगा दिखाना, ढिंढोरा पीटना और झूठ का पुलिंदा जैसी बातें नहीं कही जा सकतीं.
अंग्रेजी के कुछ एक्सप्रेशन ऐसे हैं
यू हैव डबल स्टैंडर्ड्स, यू हैव टू बी फेयर, डोन्ट ट्राय टू गैग माय माउथ, बीटन विद शूज, ब्लडशेड, ब्लडी, ब्लडी ओथ, करप्ट, क्रुअल, डिसीव्ड, डॉग, ड्रामा, मिसलीड. ये सारे शब्द अल्फाबेट में अरेंज किए हुए हैं, मतलब ए से लेकर जेड तक. साथ ही शब्द के बगल में ये भी लिखा हुआ है कि वो कब और कहां, किस दौरान बोला गया था. विदेशी संसदों में बोले गए शब्द भी इसका हिस्सा हैं.
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