MSP पर अड़े किसान, Modi सरकार की बनाई कमेटी पर क्यों नहीं है ऐतबार?

Updated : Aug 30, 2022 18:14
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Deepak Singh Svaroci

Kisan Mahapanchayat : स्क्रीन पर दो तस्वीरें हैं. एक मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की है जिसमें वो दावा कर रहे हैं कि देश में MSP (Minimum support price) प्रधानमंत्री मोदी के दोस्त अडानी की वजह से लागू नहीं हो रहे. वहीं दूसरी तस्वीर बिहार की राजधानी पटना की है. जहां BTET पास शिक्षक अभ्यर्थी, सातवें चरण की बहाली की मांग कर रहे हैं. बहाली मांगने के बदले इन अभ्यर्थियों पर लाठी बरसाने वाले ये माननीय डाकबंगला चौराहे पर दंडाधिकारी के रूप मे तैनात एडीएम लॉ एंड ऑर्डर केके सिंह हैं. एक अभ्यर्थी के लिए सरकार से रोजगार मांगना कितना ख़तरनाक हो सकता है, उसकी बानगी भर है यह वीडियो. वीडियो देखिए और सोचिए कि सरकार से अपना हक़ मांगना कितना ख़तरनाक हो सकता है.  

हालांकि आज बात MSP की होगी. जिसको लेकर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कई बड़े दावे किए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा के नूंह के किरा गांव में सत्यपाल मलिक का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम के दौरान मेघालय के राज्यपाल ने किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि एमएसपी लागू करने की मांग का समर्थन करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि एमएसपी लागू नहीं करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त अडानी हैं. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा है कि जब तक एमएसपी लागू न हो, कानूनी दर्जा न मिले तब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी. अभी अगर एमएसपी को लागू नहीं किया तो मैं कहना चाहता हूं कि दोबारा लड़ाई होगी, जोरदार लड़ाई होगी.

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सबसे पहले उनका सिलसिलेवार बयान सुनते हैं. 

दावा नंबर 1 

MSP लागू इसलिए नहीं होगी, एक प्रधानमंत्री जी का एक दोस्त है, जिसका नाम है अडानी. जो इस वक्त एशिया का सबसे मालदार आदमी हो गया है, पांच सालों में. लागू ना हो और उसको कानूनी दर्ज़ा ना मिले, तब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी. तो अभी अगर एमएसपी लागू नहीं किया तो मैं आपके इस धरती से कहना चाहता हूं कि दोबारा लड़ाई होगी. इस बार ज़ोरदार लड़ाई होगी. इस देश के किसान को आप पराजित नहीं कर सकते हैं. उसको आप डरा नहीं सकते हैं. उसके घर Enforcement Directorate (ED) या इनकम टैक्स वाले को नहीं भेज सकते. उसको कैसे डराओगे, वह तो पहले से ही फकीर है. उसको तो कहीं का छोड़ा ही नहीं आपने. तो वह लड़ेगा और एमएसपी लेकर रहेगा. 

दावा नंबर 2

एमएसपी लागू इसलिए नहीं होगी, एक प्रधानमंत्री जी का एक दोस्त है, जिसका नाम है अडानी. जो इस वक्त एशिया का सबसे मालदार आदमी हो गया है, पांच सालों में. मैं जब भी यहां आता हूं तो गुवाहाटी हवाई अड्‌डे पर आता हूं. एक बार गुवाहाटी हवाई अड्‌डे पर गुलदस्ता पकड़े, सजी-संवरी लड़की मिली. मैंने पूछा बेटे आप कहां से? उसने कहा कि हम अडानी की तरफ से आए हैं. ये एयरपोर्ट अडानी को दे दिया गया है. अडानी को जहाज़ के पोर्ट दे दिए गए हैं. बड़ी-बड़ी योजनाएं दे दी हैं. और एक तरह से देश को बेचने की तैयारी है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.

दावा नंबर 3

अडानी ने पानीपत में एक बड़ा गोदाम बनाया जिसमें सस्ता गेहूं लेकर भर दिया है. जब महंगाई बढ़ेगी तो उस गेहूं को निकालेगा, तो ये प्रधानमंत्री के दोस्त मुनाफा कमाएंगे और किसान बर्बाद होगा। ये चीज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, इसके खिलाफ लड़ाई होगी. मैं तो अपनी मौजूदा पॉजिशन छोड़ने के बाद पूरी तरह किसानों की लड़ाई में कूद पड़ूंगा. पूरी तरह से उसमें हिस्सेदारी करूंगा. आपलोगों से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आपलोग जात-पात छोड़कर, एकजुट होकर लड़ाई लड़ें. 

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वहीं सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार की वादाखिलाफी को लेकर ‘किसान महापंचायत’ का आयोजन किया गया. इस महापंचायत में देशभर से आए हजारों किसान शामिल हुए. यह महापंचायत संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) संगठन द्वारा बुलाई गई थी. 

इन किसानों की क्या है मांग?

आप सोच रहे होंगे कि मोदी सरकार ने तो कृषि कानून वापस ले लिया, अब ये किसान क्या मांग कर रहे हैं? तो एक बार फिर से आपकी याददाश्त ताज़ा कर देता हूं. आंदोलन के समय तीन मांगे 'काला कानून' वापस करने को लेकर थीं. इसके अलावा चौथी मांग एमएसपी पर कानून बनाने और आखिरी बिजली संशोधन विधेयक में बदलाव करने को लेकर था. ऐसे में सरकार ने भले ही कानून वापस ले लिए हों लेकिन एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून नहीं बना, साथ ही बिजली संशोधन विधेयक में भी कोई बदलाव भी नहीं हुआ.

  • 'काला कानून' वापस लो
  • एमएसपी पर कानून बने
  • बिजली संशोधन विधेयक में बदलाव
  • अजय मिश्र टेनी की हो बर्खास्तगी
  • किसानों पर लगाए गए केस वापस लो
  • आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को मिले मुआवजा

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हालांकि आंदोलन के दौरान कुछ और मांगे भी जोड़ी गईं. जैसे लखीमपुर खीरी में शहीद हुए किसानों को लेकर. इस कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र उर्फ सोनू के पिता और बीजेपी सरकार में मंत्री अजय मिश्र टेनी के बर्खास्तगी की मांग की थी. जो अब तक नहीं हुई है. इसके साथ ही कांड के वक्त वहां मौजूद किसानों की ड्राइवर से हाथापाई हुई थी, उन सभी लोगों को जेल भेज दिया गया था. हालांकि तब सरकार ने वादा किया था कि किसानों के खिलाफ सभी केस वापस ले लिए जाएंगे. लेकिन किसानों के मुताबिक ऐसा नहीं हुआ है. इसके साथ ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने को लेकर भी किसान तटस्थ है. अब तक सिर्फ पंजाब सरकार की तरफ से ही पांच लाख का मुआवजा दिया गया है. ऐसे में सोमवार को आयोजित ‘किसान महापंचायत’ सरकार के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है.  

हालांकि सोमवार को ही एमएसपी के लिए सरकार द्वारा गठित कमेटी की बैठक हुई. लेकिन इस कमेटी में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने शामिल होने से इंकार कर दिया. न्यूज़ लॉन्ड्री से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन (खेती-किसानी) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष जनरैल सिंह चहल ने बताया कि उस कमेटी में सरकार ने अपने पक्ष के लोगों को रखा है. कमेटी में मेरे राज्य हरियाणा से एक किसान नेता हैं. किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने सरकार से अपील की थी कि इस आंदोलन को फौज का और भाजपा के कार्यकर्ताओं का इस्तेमाल कर उठा देना चाहिए. ऐसे लोगों को सरकार ने कमेटी में शामिल किया है. फिर उनसे हम क्या उम्मीद रखेंगे.’’

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जनरैल सिंह ने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा है कि, ‘‘गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने एमएसपी की गारंटी के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जो पत्र लिखा था, मनमोहन सिंह से जो मांग की थी, वही लागू कर दें.’’

  • कमेटी में सरकार ने अपने पक्ष के लोगों को रखा
  • हरियाणा से सिर्फ एक किसान नेता को रखा गया
  • सरकार ने कमेटी में अपने लोगों को ही रखा है
  • गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने एमएसपी के लिए लिखी थी चिट्ठी
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से एमएसपी की गारंटी मांगी थी
    मनमोहन सिंह से जो मांग की थी उसे ही लागू कर दे.

किसानों को लेकर सरकार क्या सोचती है, उसको लेकर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मंत्री जो सोचते हैं वह ठीक नहीं है. आप एक बार ख़ुद ही इस बयान को सुन लीजिए. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी, किसान नेता राकेश टिकैट को दो कौड़ी का बता रहे हैं. 

लखीमपुर खीरी में इन्हीं माननीय मंत्री के बेटे पर किसानों को कुचलने का आरोप है. लेकिन मंत्री जी के तेवर किसानों को लेकर अब तक ढीले नहीं पड़े हैं. आप ख़ुद ही सुन लीजिए.   

सरकार की नीयत को लेकर किसानों से लेकर सत्यपाल मलिक तक, सभी के मन में संदेह है. सवाल उठता है कि क्या कमेटी में मौजूद सभी लोग स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी और उसी आधार पर एमएसपी का मुद्दा सुलझ जाएगा? क्या किसानों के लिए एमएसपी निर्धारित करना सरकार के लिए इतना बड़ा मुद्दा है कि वह इसे लागू करने में टालमटोल करे.  

Farmers ProtestMSPKisan Mahapanchayat

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