First Republic Day History : देश अब अपना 74वां गणतंत्र दिवस (74th Republic Day) समारोह मना रहा है...लेकिन क्या आपको पता है हमारे प्यारे देश ने जब गुलामी की बेडिया तोड़ कर अपना पहला गणतंत्र दिवस सेलिब्रेट किया था तब क्या-क्या हुआ था...अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं..पूरी कहानी डिटेल में.
26 जनवरी 1950.... एक ऐतिहासिक दिन... बेहद सर्द मौसम के बीच 26 जनवरी की सुबह धूप खिली थी...उस दिन भी गुरुवार ही था... धूप में लोगों का उत्साह मानों सूरज से दो-दो हाथ कर रहा था... हफ्तों से इस दिन के लिए तैयारी हो रही थी ...
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब सहित कई इलाकों से लोग रेल गाड़ियों, बसों में भर-भरकर राजधानी पहुंचे थे... कई तो पैदल ही कोसों दूर से निकल पड़े थे इस सुबह को देखने के लिए.... रायसीना हिल (Raisina Hills) से लेकर इरविन स्टेडियम (Irwin Stadium) तक सिर्फ सिर ही सिर नजर आ रहे थे...
यह वह दिन भी था जब भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) अपने कार्यकाल की शुरुआत करने वाले थे...दिल्ली की जिस सबसे बड़ी इमारत से कभी अंग्रेजी हुकूमत का सबसे बड़ा अफसर निकलता था, आज उससे राजेंद्र प्रसाद निकल रहे थे...शोर थम नहीं रहा था... तालियां रुक नहीं रही थी... नारेबाजी कम नहीं हो रही थी...
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दिन निकलते ही दिल्ली में नागरिकों का जुलूस, ढोल-नगाड़ों का शोर और शंख की ध्वनि गूंजने लगी थी... देशभक्ति के तराने गा-गाकर गली मोहल्ले में लोगों की भीड़ निकल रही थी...
गुरुवार, 26 जनवरी, 1950 की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर डोमिनियन ऑफ इंडिया के गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी (C Rajagopalachari) ने भारत को 'संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य' घोषित किया और उद्घोषणा को पढ़ा...
6 मिनट बाद, डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में गवर्नमेंट हाउस (बाद में राष्ट्रपति भवन) के दरबार हॉल में भारत के मुख्य न्यायाधीश हरिलाल कानिया ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई...
राष्ट्रपति के शपथ लेने के बाद, गवर्नर जनरल के झंडे को उतारा गया और राष्ट्रपति भवन पर राष्ट्रपति का झंडा फहराया गया. गणतंत्र की शुरुआत की घोषणा के साथ तोपों की गूंज से पूरा रायसीना हिल गूंज उठा था...
सुबह 10.38 बजे केंद्रीय मंत्रिमंडल को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने शपथ दिलाई... इस कैबिनेट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) थे... राजेंद्र प्रसाद ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और भारत के महालेखा परीक्षक को भी शपथ दिलाई...
उसी दिन राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों के लिए परमवीर चक्र (Paramvir Chakra), महावीर चक्र (Mahavir Chakra) और वीर चक्र (Vir Chakra) की शुरुआत की घोषणा की... इन पुरस्कारों को 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया...
दोपहर में, राष्ट्रपति एक लंबे जुलूस के साथ इरविन स्टेडियम (अब ध्यानचंद स्टेडियम) पहुंचे... भारत के पहले गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो (Indonesia President Sukarno) थे. उन्हें, भारत के राष्ट्रपति के साथ, स्टेडियम में छह-घोड़ों की गाड़ी में ले जाया गया... हजारों लोग उनका अभिवादन कर रहे थे..
स्टेडियम में ध्वजारोहण कार्यक्रम हुआ... इस कार्यक्रम के मेजबान भारत के पहले रक्षा मंत्री बलदेव सिंह थे. स्टेडियम में केंद्रीय मंत्रिमंडल, विदेशी गणमान्य व्यक्ति, राजदूत और लगभग 15,000 आम जनता मौजूद थी...
राष्ट्रपति ने 1948 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में बहादुरी और बलिदान के लिए मेजर सोमनाथ शर्मा (Major Somnath Sharma) और लांस नायक करम सिंह (Lance Naik Karam Singh) (दोनों मरणोपरांत) को सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र देने का ...
इसके बाद औपचारिक परेड में सैनिकों का निरीक्षण किया गया. शाम को, राष्ट्रपति ने नए गणतंत्र के उदय का जश्न मनाने के लिए राजकीय भोज का आयोजन किया...
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