Future Weapons: सैनिक नहीं अब ये हैं भविष्य के योद्धा, रूस-यूक्रेन युद्ध में दिखी झलक

Updated : Oct 08, 2022 21:25
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Sagar Singh Pundir

एक वक्त था जब युद्ध में सटीक रणनीति के साथ अधिक बाहुबल वाले की जीत होती थी. अब वक्त है बेहतर टेक्नोलॉजी (technology) के साथ सटीक रणनीति का. जिसके पास ये दोनों हैं वही विजेता है. इसका सबसे सटीक और ताजा उदहारण है रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War). इसी वीडियो में हम आपको बताएंगे कि वो कौन से हथियार हैं जिनके दम पर यूक्रेन जैसे छोटे देश ने रूस जैसी महाशक्ति की नाक में दम कर दिया, और भविष्य के हथियार कैसे होंगे (Future Weapons) ? लगे हाथ हम ये भी जान लेंगे कि भारत इस मामले में कहां बैठता है ?

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फर्ज कीजिए की अगर भविष्य में दो देश या दो महाशक्ति आपस में टकराते हैं, तो क्या परमाणु युद्ध (Nuclear War) ही विकल्प होगा ? तो जवाब है नहीं. रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग ने ये बता दिया है कि भविष्य के हथियार एकदम अलग होंगे. जिसमें टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल होगा. ये टेक्नोलॉजी ही है जिसके दम पर यूक्रेन, रूस को आंख दिखा रहा है. तो आइए जानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने कैसे भविष्य के हथियारों को बदलकर रख दिया. 

1. AGM 88 HARM मिसाइल

रूस-यूक्रेन जंग में अमेरिकी HARM मिसाइल (HARM Missile) की खूब चर्चा हुई. ये हवा से सतह पर मार करने वाली एक एंटी रडार मिसाइल (Anti Radar Missile) है. इस मिसाइल का पूरा नाम हाई-स्पीड एंटी-रेडिएशन मिसाइल (High-speed Anti-Radiation Missile) है. जिसे लड़ाकू विमान से दागा जाता है. इसमें रडार स्टेशन से उत्सर्जित विकिरण का पता लगाने की क्षमता है. सबसे खास बात ये है कि इसकी मारक क्षमता 100% है. फिलहाल यूक्रेन और अमेरिका इस मिसाइल सिस्टम (America's missile system) का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

अब आप पक्का ये सोच रहे होंगे कि क्या भारत के पास ऐसी मिसाइलें हैं ? तो जवाब है हां, लेकिन इतनी सटीक नहीं हैं.

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2. जैवलिन/न्यू जनरेशन लाइट एंटी टैंक वेपन

यह अमेरिका में बनी पोर्टेबल एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम (Portable Anti-Tank Missile System) है. इसे लगातार एडवांस किया जाता रहा है. ये इलेक्ट्रॉनिक-काइनेटिक हमलों (electronic-kinetic attack) में कारगर है. इसकी खास बात ये है कि एक आदमी इसे दागकर भाग सकता है. इसे कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. ये ही वो हथियार है जिसके दम पर यूक्रेन ने रूस के करीब एक हजार टैंक तबाह किए हैं.

भारत के पास ये टैंक-रोधी मिसाइलें सेकंड जेनरेशन की है. जिनकी संख्या करीब 6000 है.

3. ​हथियारबंद ड्रोन (Armed drone)

रूस को रोकने के लिए यूक्रेन ने शक्तिशाली ड्रोन का इस्तेमाल किया. अमेरिका के 700 स्विचब्लेड, 700 फीनिक्स घोस्ट और रीपर ड्रोन (Reaper Drone) बेस्ट माने जाते हैं. एक रीपर की कीमत 3.2 करोड़ रुपये है. यूक्रेन इन्हीं से रूसी टैंकों, तोपों और उसकी सेना को निशाना बना रहा है. 

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भविष्य में ड्रोन की भूमिका सबसे अहम होगी. लेकिन भारत के पास अभी तक कोई अच्छा सशस्त्र ड्रोन नहीं है. भारत के पास इस्राइली सर्चर-12 हेरॉन, हार्प कामिकाजी है. जबकी अमेरिका से 30 MQ 9बी प्रिडेटर स्काई/सी गार्डियन ड्रोन की डील अधर में लटकी है.

4. M142- हिमार्स

यह अमेरिकी हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (American High Mobility Artillery Rocket System) है. इसकी रेंज 9 से 480 किलोमीटर तक की है. 16 हजार किलो वजनी इस हथियार में 3 तरह की मिसाइलों के लॉन्चर है. 

यूक्रेन ने इसे रूस के खिलाफ बहुत खूब इस्तेमाल किया है. भविष्य में ऐसे हथियारों का ओर भी इस्तेमाल होगा. भारत के पास हिमार्स की तर्ज पर स्मर्च और पिनाका सिस्टम (Pinaka System) है. लेकिन उनकी सटीकता और रेंज उतनी बेहतर नहीं है. 

5. NASAMS मिसाइल सिस्टम (National Norwegian Advanced Surface to Air Missile System)

नासमस सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मिसाइल प्रणाली (Best Missile System) में से एक है. इस मिसाइल सिस्टम को नॉर्वे और अमेरिका ने मिलकर बनाया है. एक नासमस में 12 लॉन्चर होते हैं. और एक लॉन्चर में 6 मिसाइल होती हैं. जिनकी रेंज 40 किलोमीटर है. यूक्रेन ने भी जंग में इसता इस्तेमाल किया है.

भविष्य में दूर बैठे ही दुश्मन को सटीक जवाब देने के लिए ये इस तरह के हथियार सबसे बेहतर हैं. भारत नासमस को खरीदना चाहता था, लेकिन अभी तक फैसला नहीं हो पाया है. फिलहाल भारत के पास सबसे बड़ी मिसाइल अग्नि-6 (Agni-6 Missile) है. जिसके रेंज 8 से 10 हजार किलोमीटर है.

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