2 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचन्द गांधी...भारतीयता,सनातनता और पारिवारिक संस्करों से सुसज्जित व्यक्ति थे , जिसके बल पर उन्होंने जीवन के तमाम उतार चढ़ावों को झेला बापू ने अपनी शिक्षा स्थानीय और विदेशी दोनों जगहों से प्राप्त की जिससे ना सिर्फ वो देश की संस्कृति से जुड़े बल्कि दुनिया के रंग ढंग भी सिख पाए..
दक्षिण अफ्रीका के प्रवास के दौरान वो रंगभेद से परिचित हुए और स्वदेश वापसी के बाद वो देश में फैली , गरीबी , बदहाली और शोषण को समझ पाए...
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महात्मा गाँधी सामाजिक,आर्थिक, और राजनैतिक कुरीति को सदैव नकारते रहे,बापू भारत को भारतीय संस्कृति,सभ्यता,और संस्कारों की व्यवस्था में सराबोर देखना चाहते थे,बापू चाहते थे की भारत आत्मनिर्भर बने.
बापू..सर्व धर्म समभाव के प्रबल हिमायती थे, वे किसान,मज़दूर और महिलाओं के विकास के प्रति भी निंरतर प्रयत्नशील रहे. आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उनके सत्य और अहिंसा के प्रति सामना प्रगट कर रहा है और बापू को अपना मान रहा है.
क्योंकि उनके द्वारा किया गए तमाम प्रयोग व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास के साथ मानवीय आदर्शों की स्थापना हेतु सफल रहे हैं.