Har Ghar Tiranga : 'जब पेट खाली हो तो देश के बारे में कोई कैसे सोच सकता है? जब मुझे रोटी मिली तो मैंने देश के बारे में सोचना शुरू किया.' ये शब्द है मिल्खा सिंह के... आज़ाद भारत के पहले स्पोर्ट्स स्टार, आप जिन्हें 'फ्लाइंग सिख' के नाम से भी जानते हैं. हरियाणा के करनाल में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने दिवंगत मिल्खा सिंह की याद दिला दी. दरअसल आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 से 15 अगस्त के बीच 'हर घर तिरंगा' फहराने की अपील की है.
तिरंगा हमारा राष्ट्रध्वज है और इसे फहराना सम्मान की बात है. लेकिन क्या प्रधानमंत्री मोदी यह चाहेंगे की उनके इस कैंपेन के लिए लोगों से जबरन पैसे वसूल कर उन्हें तिरंगा बेचा जाए और इसी शर्त पर उन्हें राशन दिया जाए. अगर कोई शख्स तिरंगा खरीदने के लिए पैसा देने में सक्षम नहीं है तो उन्हें भूखे रहने को मजबूर कर दिया जाए. क्या इस तरह से लोगों में देशभक्ति आ सकती है?
करनाल की एडिशनल डिप्टी कमिश्नर यानी कि अतिरिक्त उपायुक्त डा. वैशाली शर्मा ने बताया कि इस कैंपेन के लिए लोगों से सहयोग लिया जा रहा है. और अगर कोई तिरंगा खरीदना चाह रहा है तो वह राशन वितरण करने वाले के यहां से 25 रुपये में खरीद सकता है. खरीदने के लिए उसपर दबाव नहीं डाला जा रहा है.
अधिकारी जो कह रही हैं, वह सुनने में तो सही लग रहा है. लेकिन क्या हक़ीकत भी यही है? करनाल में रहने वाला एक शख्स कहता है कि उन्हें झंडा लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जब उनके पास पैसा ही नहीं है तो झंडा कहां से ले? वहां मौजूद एक अन्य शख्स का कहना है कि अगर राशन के साथ फ्री में झंडा दिया जाए तो लोग इज्जत करेंगे, लेकिन इस तरह मजबूर करना ठीक है क्या?
संभव है प्रधानमंत्री के इस अपील से कुछ लोगों में राष्ट्रभक्ति जागृत हुई होगी. लेकिन इस तरह के आदेश से लोगों में देशभक्ति नहीं, गुस्सा भरता है.. और सवाल फिर सरकार की नीयत पर उठता है.
बेहतर कम्यूनिकेशन के लिए यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि आप जो कहना या करवाना चाह रहे हैं वह दर्शकों तक, उपभोक्ताओं तक और देशवासियों तक सही-सही पहुंच रहा है या नहीं. लेकिन ऐसा ही हो रहा है क्या? उसपर जाएं, इससे पहले जान लेते हैं कि करनाल की एडिशनल डिप्टी कमिश्नर डा. वैशाली शर्मा ने जो कहा है क्या राशन बांटने वाले डीलरों तक वही संदेश पहुंचा है? या डीलर ने कुछ और ही समझ लिया है? मिसकम्यूनिकेशन भी हो सकता है....
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बताइए, प्रधानमंत्री की भावना अधिकारी से लेकर डीलर तक नहीं समझ पा रहे हैं. कुछ और मामलों पर नज़र डालते हैं और जानते हैं कि ये मिसकम्यूनिकेशन सिर्फ हरियाणा के करनाल में ही है या फिर देश के दूसरे हिस्से में भी है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो ट्वीट किया है और कैप्शन में लिखा है, एक राष्ट्र ऐसा भी...
हर घर तिरंगा अभियान के तहत रेलवे कर्मचारियों से भी झंडे की कीमत वसूली जा रही है. सभी रेलवे कर्मचारियों को तिरंगे के लिए अपने वेतन से ₹38 की कटौती करवानी होगी, जिससे वो अपने घरों में झंडा लहरा सकें. ये तिरंगा उन्हें रेलवे की तरफ से उपलब्ध कराया जाएगा. चलो अगर आप सरकारी कर्मचारी से पैसा ले भी रहे हैं तो यह चिंता का विषय नहीं है. लेकिन लंबी लाइन लगाकर राशन लेने वाले मजदूरों या स्कूली बच्चों को फ्री में तिरंगा नहीं दिया जा सकता? मेरा यह सवाल दर्शकों से हैं. वैसे भी सरकार 80 करोड़ लोगों को फ्री फंड में अनाज तो दे ही रही है. एक बार फिर बता देती की मुफ़्त में फलाना लोगों को तिरंगा भी दिया गया.. देशवासी इस बात के लिए भी प्रधानमंत्री जी को बधाई दे देते.. क्या परेशानी है?
वैसे प्रधानमंत्री मोदी के 'हर घर तिरंगा' (Har Ghar Tiranga) कैंपेन की वजह से देश के अंदर कुछ सुंदर तस्वीरें भी दिखाई दे रही हैं. जिसमें लोग सुबह-सुबह सड़क पर हाथों में तिरंगा लेकर दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. एक और तस्वीर देखिए Ministry of Housing and Urban Affairs ने इसे ट्वीट किया है. बहुत ही सुंदर और देशभक्ति जगाने वाला दृश्य है. प्रसिद्ध हास्य अभिनेता सतीश शाह ने अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी एक तिरंगा लिए तस्वीर डाली है. उन्होंने कैप्शन में लिखा है कि यह वही तिरंगा है जो उनकी मां को सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के वक़्त मिला था. निश्चय ही यह तस्वीरें आपके मन में एक कौतूहलता पैदा करती हैं. लेकिन याद कीजिए या गूगल कर लीजिए कि आज़ादी से पहले का हमारा तिरंगा कैसा था.
ख़ैर मुख्य बात यह है कि इस कैंपेन को प्रतीकात्मक बनाने से पहले इसे दिल में धारण करने की ज़रूरत है. तिरंगा फहराने से पहले उसके बारे में जानकारी होना भी बेहद ज़रूरी है. अन्यथा आप अपनी हंसी तो उड़वाते ही हैं देश के सम्मान में भी गुस्ताखी करते हैं. यक़ीन ना हो तो पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह वीडियो देख लें. सोशल साइट्स पर दावा किया गया है कि जेपी नड्डा, ज़िंदाबाद का नारा लगाने वाले ये लोग बीजेपी के कार्यकर्ता हैं.
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास
एक और वीडियो देख लें. सोशल मीडिया के मुताबिक यह कार्यकर्ता भी बीजेपी के हैं. इस बात की पुष्टि वहां खड़े एक सदस्य के शर्ट में लगे 'कमल का फूल' वाले बैज और गले में बीजेपी वाले अंगोछा से भी लगाया जा सकता है. एक और फोटो देखिए. इसमें गृहमंत्री अमित शाह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की तस्वीर लगी है. और सामने तिरंगे फेंके हुए हैं. एक और वीडियो देखिए जिसमें बीजेपी का झंडा फहराते हुए राष्ट्रगान गाया जा रहा है.
सवाल उठता है कि 'हर घर तिरंगा' कैंपेन चला देना भर से ही लोगों में देशभक्ति आ जाएगी. या कैंपेन चलाना ही हमारा ध्येय होना चाहिए. लोगों को सही जानकारी देना किसकी ज़िम्मेदारी है?
वैसे एक ज़िम्मेदारी हमारी भी है आपको जानकारी देने की. तिरंगा फहराने के नियम बताने की. सो हम अपनी निभाते हैं.. बाकी पर आप विचार कीजिए.
राष्ट्रीय ध्वज को फहराते समय खड़े रहना चाहिए. जब तिरंगे को क्षैतिज यानी कि horizontal स्थिति में रखा जाए तो केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए और जब लंबवत यानी कि Vertical प्रदर्शित किया जाए तो केसरिया रंग की पट्टी दाईं ओर होनी चाहिए. तिरंगे को फहराते समय आप पूरे जोश और जज्बे के साथ इसे फहराएं और जब इसे उतारें, इसे धीरे-धीरे उतारें.