देश और दुनिया के इतिहास में 8 जून यानी आज का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं.दुनिया एक रंगमंच है और यहां हर कोई अपनी भूमिका निभाने आया है बहुत से लोग अपनी भूमिका अच्छे से निभा पाते हैं और उनका नाम इतिहास में दर्ज हो जाता है। इस रंगमंच के ऐसे ही एक फनकार थे हबीब तनवीर. मशहूर नाटककार, निर्देशक, कवि और अदाकार हबीब तनवीर 8 जून के दिन दुनिया के रंगमंच से विदा हुए थे.तनवीर के मशहूर नाटकों में आगरा बाजार और चरणदास चोर शामिल हैं.हबीब तनवीर ने 50 वर्ष की अपनी लंबी रंगमंच यात्रा में 100 से अधिक नाटकों का मंचन किया.
शतरंज के मोहरे, लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, गांव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद, पोंगा पंडित, द ब्रोकन ब्रिज, जहरीली हवा और राज रक्त उनके मशहूरों नाटकों में शुमार हैं.लंबी बीमारी के बाद उन्होंने 2009 में 8 जून के ही दिन भोपाल में 85 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा.
भारत की सरकारी रेडियो सेवा इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया.प्रसार भारती का एक प्रभाग, ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) भारत की राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो प्रसारण सेवा है.आधिकारिक तौर पर 1956 से आकाशवाणी के नाम से जाना जाने वाला यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेडियो नेटवर्क है.सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार, AIR ने देश की 99% से अधिक आबादी को कवर किया है.इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और प्रसार भारती के तहत दूरदर्शन की सहयोगी सेवा है.इसका आदर्श वाक्य है “बहुजनहिताय बहुजनसुखाय” (सभी के सुख और कल्याण के लिए)
आकाशवाणी की शुरुआत 20 के दशक में मानी जाती है। पहला रेडियो प्रसारण 1923 में बॉम्बे और कलकत्ता के रेडियो क्लबों द्वारा किया गया था.मद्रास प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब की शुरुआत 1924 में हुई थी। जून 1927 में भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने इंडियन ब्रॉडकास्ट कंपनी (IBC) का उद्घाटन किया.हालाँकि, 1930 में IBC को समाप्त कर दिया गया। उसी वर्ष, उद्योग और श्रम विभाग ने परीक्षण के आधार पर भारतीय राज्य प्रसारण सेवा (ISBS) शुरू की. 1935 में लियोनेल फील्डन को भारत का 'प्रसारण नियंत्रक' नियुक्त किया गया.इस बीच, मैसूर में मनोविज्ञान के प्रोफेसर एम.वी. गोपालस्वामी ने अपने घर पर एक निजी रेडियो स्टेशन आकाशवाणी मैसूर की स्थापना की.आईएसबीएस ने अपना पहला समाचार बुलेटिन 19 जनवरी 1936 को प्रसारित किया.8 जून 1936 को आईएसबीएस ने अपना नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो रख लिया.1947 तक आकाशवाणी विभिन्न विभागों के अधीन था, जैसे संचार विभाग, सूचना एवं कला विभाग, तथा सूचना एवं प्रसारण विभाग.
आज यानि 08 जून 1948 के दिन एयर इंडिया ने पहली इंटरनेशनल उडा़न लंदन तक के लिए भरी थी. विमान में 35 यात्री थे, जिसमें ज्यादातर नवाब और महाराजा थे. बेशक अब लंदन तक तक की फ्लाइट एक स्टॉप के साथ मुश्किल से 12 घंटे में पहुंच जाती हो लेकिन तब इसने दो दिन लिए थे. ये काहिरा और जिनेवा होते हुए लंदन पहुंची थी.ये दिन भारतीय नागरिक उड्डयन इतिहास के लिए खास दिन था. एयर इंडिया आजादी से पहले टाटा एयरलाइंस के नाम से जानी जाती थी. आजादी के बाद सरकार ने 49 फीसदी इसके शेयर ले लिए थे.
विमान का नाम था मालाबार प्रिंसेस, ये 40 सीटों का लाकहीड एल-749 कांस्टेलेशन विमान था. इसके कैप्टेन थे केआर गुजदार. जो 5000 मील की यात्रा की तैयारी में लगे थे. विमान को रास्ते में काहिरा और फिर जिनेवा में रुकना था.इस विमान पर 35 यात्री थे, जिसमें 29 लंदन जा रहे थे जबकि 06 को जिनेवा में उतरना था. इस यात्रा से पहले इस विमान से जाने वाले यात्रियों और एयरलाइंस दोनों ने महीनों तक इसकी योजना बनाई थी. तैयारियां की थीं. एयरइंडिया के पास घरेलू उडानों का पर्याप्त अनुभव था लेकिन पहली इंटरनेशनल फ्लाइट के लिए उसे अतिरिक्त प्रयास करने थे. लिहाजा उसने इस यात्रा के लिए अपने क्रू मेंबर्स बहुत सावधानी से चुने थे.जब इस उड़ान के लिए स्टाफ की नियुक्त हो गई तो एयरइंडिया ने काहिरा, लंदन और जिनेवा में अपना आफिस खोला.फिर इस यात्रा के लिए 03 जून 1948 को टाइम्स ऑफ इंडिया में दो कॉलम और 15 सेमी का एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ.
जिसमें महाराजा के लोगो के साथ यात्रियों का स्वागत किया गया था. इस विज्ञापन में महाराजा अपने यात्रियों से कह रहे थे, मेरे साथ काहिरा और जिनेवा होते हुए लंदन की यात्रा पर आपका स्वागत है. हर मंगलवार को खूबसूरत कांसटेलेशन विमान पर आपका 1720 रुपए में स्वागत है.
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