Ayodhya Special: राम की नगरी अयोध्या में कैसे हार गई BJP? ये सवाल बीजेपी से लेकर बड़े-बड़े राजनीतिक पंड़ितों के लिए भी एक अबूझ पहेली बना हुआ है. जिस राम के नाम पर बीजेपी ने पूरे देश में वोट मांगे उसी राम की नगरी में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारतीय जनता पार्टी को यहां प्रचंड जीत की उम्मीद थी. बीजेपी को लगता था कि अयोध्या की वजह से उसे इस पूरे क्षेत्र में फायदा होगा, लेकिन कैसरगंज और गोंडा सीट को छोड़कर अयोध्या के आसपास बीजेपी को एक-दो नहीं बल्कि 15 से ज्यादा सीटें गंवानी पड़ीं.
अयोध्या में हारी BJP
अयोध्या की फैजाबाद सीट पर भी बीजेपी का कमल मुरझा गया. यहां समाजवादी पार्टी की साइकिल ने बीजेपी को कमल को कुचल दिया. यहां सपा के अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों के बड़े मार्जन से जीते. उन्हें 5,54,289 वोट मिले. जबकि बीजेपी के लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट ही हासिल हुए.
आखिर ऐसा क्या हुआ कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के महज चार महीने बाद ही अयोध्या में बीजेपी की हार हो गई ? मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी पर कौन से मुद्दे भारी पड़ गए ? आइए जानते हैं -
जातीय समीकरण और मुस्लिम फैक्टर
फैजाबाद सीट पर अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया. सामान्य सीट होने के बावजूद सपा ने यहां से अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अपने सबसे बड़े चेहरे अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद यहां नारा चल पड़ा- 'अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी'. इस सीट पर करीब पांच लाख मुस्लिम वोटर हैं, वो भी इंडिया गठबंधन की ओर लामबंद दिखाई दिए.
जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का मुद्दा
अयोध्या में मंदिर के निर्माण के लिए कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए. दावा है कि इनमें से कई लोगों को मुआवजा तक नहीं मिला. इसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ नजर आई.
कार्यकर्ताओं की अनदेखी बड़ी वजह
फैजाबाद में BJP की हार की एक और बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की अनदेखी मानी जा रही है, जिसके चलते पार्टी से सच्चिदानंद पांडेय जैसे युवा नेता टूट गए. चुनाव की घोषणा के 6 दिन पहले 12 मार्च को सच्चिदानंद ने BSP ज्वॉइन कर ली और उन्होंने BJP के वोट में सेंध लगाकर 46,407 वोट पा लिए और अयोध्या में खेल हो गया.
अखिलेश यादव की रैलियों का असर
फैजाबाद लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं- दरियाबाद, बीकापुर, रुदौली, अयोध्या और मिल्कीपुर. इनमें से अखिलेश ने दो विधानसभाओं मिल्कीपुर और बीकापुर में रैलियां कीं. यहां उन्होंने जमीन अधिग्रहण, मुआवजे का मुद्दा, युवाओं को नौकरी जैसे मुद्दों को जनता तक पहुंचाया. इसका असर देखने को मिला.
लल्लू सिंह का संविधान को लेकर बयान
फैजाबाद से बीजेपी सांसद और प्रत्याशी लल्लू सिंह ने ही ये बयान दिया था कि BJP को संविधान बदलने के लिए 400 सीट चाहिए. फैजाबाद में 26 फीसदी दलितों को शायद ये रास नहीं आया और BJP को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा.
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