Lok Sabha Elections 2024 की सबसे हाईवोल्टेज सीट में अमेठी भी शामिल थी जहां से कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा ने बीजेपी कैंडिडेट स्मृति ईरानी को हराकर सभी को चौंका दिया. जीत के बाद केएल शर्मा ने कहा, "अमेठी की जीत गांधी परिवार और यहां की जनता की जीत है."
अहम ये है कि स्मृति की हार राहुल गांधी की पिछली हार से बड़ी है और उन्हें 1,67,196 वोटों से हार मिली है. गांधी परिवार के खास माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने पहली बार में ही इतिहास रच दिया. राजनीतिक गलियारों में चर्चा तो ये भी है कि केएल शर्मा ने 2019 की राहुल गांधी की हार का बदला आखिरकार ले ही लिया.
ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो जाता है कि आखिर किशोरी लाल शर्मा ने कैसे ये राजनीतिक इतिहास रचा? इसके लिए कुछ बिंदुओं को जानना बेहद जरूरी हो जाता है-
केएल शर्मा की जीत के X-FACTOR
- राहुल गांधी की हार के बाद भी नहीं छोड़ी अमेठी?
2004, 2009 और 2014 के इलेक्शन में राहुल गांधी ने अमेठी से जीतकर संसद में एंट्री ली लेकिन उन्हें 2019 में स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा. ऐसे समय जब राहुल की हार के बाद कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त हुए, उस समय भी केएल शर्मा अमेठी में ही जमे रहे.
- कनेक्ट हमेशा लोगों के साथ बना रहा
किशोरी लाल शर्मा हमेशा अमेठी के लोगों के साथ कनेक्ट रहे. केएल शर्मा हमेशा से ही अमेठी के लिए खड़े रहे और लोगों की मदद करते रहे. केएल शर्मा की अमेठी के हर गांव-मोहल्ले तक अच्छी पैठ है. यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व ने उन पर भरोसा जताया और उन्होंने भी उस भरोसे पर खरा उतरकर अपनी वफादारी का साबित किया और राहुल की हार का बदला ले लिया.
- किशोरी लाल शर्मा आखिर हैं कौन?
गांधी परिवार के बेहद भरोसेमंद किशोरी लाल शर्मा पंजाब के लुधियाना के रहने वाले हैं और उन्होंने 1983 में राजीव गांधी के साथ रायबरेली और अमेठी में एंट्री ली. केएल शर्मा ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 40 साल पहले पूर्व पीएम राजीव गांधी के साथ विधानसभा क्षेत्र समन्वयक के रूप में की. कभी नेहरू युवा केंद्र में पदाधिकारी रहे शर्मा को कांग्रेस पार्टी का चाणक्य कहा जाता है.
- सोनिया गांधी के राइट हैंड भी रहे हैं
राजीव गांधी की मौत के बाद जब सोनिया गांधी राजनीति में काफी सक्रिय हुईं तो केएल शर्मा उनके राइट हैंड बने. 2004 में सोनिया गांधी ने राहुल गांधी के लिए अमेठी सीट छोड़ दी, उस समय केएल शर्मा ने अमेठी ही बनी बल्कि रायबरेली की सीट की जिम्मेदारी भी ले ली. कांग्रेस ने भी उन पर भरोसा जताते हुए, उन्हें कभी बिहार का प्रभार सौंपा तो कभी पंजाब कमिटी का मेंबर नियुक्त किया.
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