How Indira Gandhi Arrested in 1977? : भारत की मजबूत नेता रहीं इंदिरा (Indira Gandhi) ने भी अपने राजनीतिक जीवन में बुरा दौर देखा. ये वो वक्त था जब लगा था कि इंदिरा की राजनीतिक पारी यहीं खत्म हो जाएगी. आइए आज जानते हैं देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के उस राजनीतिक दौर को जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
इमरजेंसी का दौर... इंदिरा ने अपने विरोधियों को और जनता पार्टी के नेताओं को चुन चुनकर जेल में डाल दिया था... इंदिरा के विरोधियों में एक नाम था चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) का... 25 जून 1975 से मार्च 1976 तक वह इमर्जेंसी के दौरान तिहाड़ जेल में रहे... चरण सिंह तिहाड़ के वॉर्ड नंबर 14 में रहा करते थे. इसी बैरक में उन्होंने एक दिन कसम खा ली कि वह अगर वह सत्ता में आए तो इंदिरा को इसी कोठरी में भेजकर रहेंगे.
तकदीर कुछ महीनों पर जब चरण सिंह पर मेहरबान होती है तो वह इंदिरा से खुन्नस निकालने के लिए ऐसी हड़बड़ी मचा बैठते हैं कि सरकार से बड़ी गड़बड़ी हो जाती है. इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी को 3 अक्टूबर 1977 को अंजाम दिया गया था... आज हम पलटेंगे 45 साल पहले के इसी राजनीतिक रंजिश के किस्से को.
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इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार जाती है, इंदिरा खुद अपनी सीट नहीं बचा पातीं... नई सरकार में गृह मंत्री बने थे चौधरी चरण सिंह... नई सरकार को 9 महीने हो चुके थे.
बिहार विधानसभा के चुनाव (Bihar Assembly Elections) सिर पर थे, तभी हथियारों से लैस कुर्मियों के एक गिरोह ने बेलछी गांव में मौत का तांडव (Belchi Massacre) किया. घंटों गोलियां चलीं, 11 लोग जिंदा जला दिए गए. एक 14 साल के लड़के ने आग से निकलने की कोशिश की तो उसे उठाकर फिर आग में झोंक दिया गया. मृतकों में 8 पासवान और 3 सुनार थे. जब इंदिरा को इसका पता चला तो उन्होंने तुरंत बेलछी जाने का फैसला कर लिया.
13 अगस्त 1977 को तेज बारिश हो रही थी. इंदिरा गांधी पटना तक फ्लाइट से पहुंचीं. इसके बाद कार से बेलछी के लिए निकल लीं. कार कीचड़ में फंस गई... इसके बाद ट्रैक्टर से इंदिरा और आगे पहुंची... वर्कर्स ने कहा कि मौसम को देखते हुए इंदिरा को ये दौरा रद्द कर देना चाहिए लेकिन वह अपने फैसले पर अड़ी रहीं... आगे नदी आई, जिसे पार करने के लिए हाथी का इंतजाम किया गया.
इंदिरा बिना हौदे के ही हाथी पर सवार हो गईं. महावत के बाद इंदिरा बैठीं और पीछे बैठीं प्रतिभा सिंह पाटिल (Pratibha Singh Patil). प्रतिभा पाटील ने इंदिरा की साड़ी पकड़ रखी थी... नदी को पार करके देर रात अंधेरे में दोनों बेलछी पहुंचीं.
इंदिरा जब वह बेलछी पहुंचीं तो गांववालों को ऐसा लगा कि कोई देवदूत आ गया है. इस दौरे ने इंदिरा के अस्त हो रहे राजनीतिक सूरज में मानों फिर से नया तेज भर दिया हो... इंदिरा गांधी जब दिल्ली लौटीं तो उनके चेहरे पर चमक थी. हाथी पर सवार इंदिरा गांधी कि फोटो ने तब देश ही नहीं अतरर्राष्ट्रीय मीडिया का भी ध्यान खींचा था...
इंदिरा का ये नया दौर जनता पार्टी को रास कैसे आता? सरकार किसी भी कीमत पर इंदिरा को रोकना चाहती थी... अब इसी आपाधापी में केंद्र सरकार ने एक ऐसी चूक कर दी जिसकी उम्मीद कभी की ही नहीं जा सकती.
जनता पार्टी सरकार में इंदिरा को रोकने की आवाज तेज हो गई... मोरारजी देसाई (Morarji Desai) पीएम थे, शांतिभूषण कानून मंत्री थे. ये चाहते थे कि गिरफ्तारी संभलकर हो... लेकिन अटल-आडवाणी (Atal Bihari Vajpayee and Lal Krishna Advani) सहित चरण सिंह चाहते थे कि इसे तुरंत किया जाए. चौधरी चरण सिंह क्योंकि गृह मंत्री थे तो उन्होंने एसपी स्तर के अफसरों की लिस्ट मंगाई जिसमें से एनके सिंह को उन्होंने इस काम के लिए चुना.
मोरारजी देसाई से हरी झंडी ली गई... शर्त ये रखी गई कि इंदिरा की गरिमा का सम्मान करते हुए उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी. 1 अक्टूबर को शनिवार था तो चरण सिंह की पत्नी ने संभावित आशंका के डर से इस दिन कार्रवाई करने से मना किया... अफसरों ने कहा कि इसे 2 अक्टूबर के बाद किया जाए.
इंदिरा पर आनन फानन में एफआईआर दर्ज की गई... आरोप ये लगाया गया कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी जीप का इस्तेमाल किया और एक फ्रेंच कंपनी को ड्रिलिंग का कॉन्ट्रैक्ट दिया जिससे भारत सरकार को 11 करोड़ का घाटा हुआ.
सरकार ने इंदिरा के सम्मान को लेकर संजीदगी दिखाई थी... हथकड़ी न लगाने के फैसले के साथ कुछ और भी फैसले लिए लिए गए थे... जैसे एनके सिंह इंदिरा को पर्सनल बॉन्ड भी देंगे... अगर उन्हें बेल लेनी होगी तो वहीं से ले लेंगी... एनके सिंह के साथ एक और कार थी जिसे इंदिरा के सामान के लिए भेजा गया था... रोडमैप तैयार किया गया और अब आती है 3 अक्टूबर की शाम.
जगह- 12 क्रिसेंट रोड दिल्ली, वक्त- शाम के 5:15 बजे
एक अंबेसडर कार इंदिरा के घर के आगे रुकती है... इसमें से एसपी एनके सिंह और डिप्टी एसपी एमवी राव उतरते हैं.
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घर के लॉन में संजय गांधी और मेनका गांधी बैडमिंटन खेल रहे थे
संजय गांधी ने एनके सिंह को देखा और पहचान लिया... दोनों में दुआ सलाम हुई
इंदिरा तब ड्रॉइंग रूम में कुछ लोगों से बात कर रही थी... इंदिरा के सचिव आरके धवन तुरंत बाहर आए और एनके सिंह से आने की वजह पूछी
एनके सिंह ने कहा कि मामला अर्जेंट है और इस मामले में वे सिर्फ इंदिरा से ही बात कर सकते हैं... इंदिरा से अंदर से संदेश भिजवाया कि अगर मामला अर्जेंट था तो भी उन्हें अपॉइंटमेंट लेकर आना चाहिए था... सिंह ने कहा कि मैं जिस काम के लिए आया हूं, उसे करने के लिए अपॉइंटमेंट नहीं लिया जाता.
इसपर धवन ने उत्तर दिया कि अंदर के लोग जैसे ही बाहर आएंगे आपको बुलाया जाएगा... एनके सिंह को कुर्सी दी गई लेकिन वे बैठे नहीं... वे घर से बाहर सड़क पर खड़े होकर इंतजार करने लगे...
इंतजार की घड़ियां लंबी हो रही थी और इधर कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं सहित वकील फ्रैंक एंथनी, पार्टी के दिग्गज नेता सीपीएम सिंह इंदिरा के पास पहुंच जाते हैं
इनके सिंह ये देखकर गुस्सा हो जाते हैं... अब उनसे कहा जाता है कि इन नेताओं का अपॉइंटमेंट पहले से था... सीबीआई के एक इंस्पेक्टर ने सिंह को बताया कि मेनका और संजय लोगों को फोन कर रहे हैं और बुला रहे हैं.
एनके सिंह अल्टीमेटम पर आ गए और बोले कि अगर 15 मिनट के अंदर उनको इंदिरा के पास नहीं ले जाया गया तो वे सख्त कदम उठाने पर मजबूर हो जाएंगे.
तब किरण बेदी अडिश्नल एसपी थी, उनको भी अफसरों के साथ इंदिरा के घर पर तैनात किया गया था.
आखिर में एनके सिंह को इंदिरा के ड्रॉइंग रूम में ले जाया गया. एक और कांग्रेस नेताओं का हुजूम था जिसमें कमलापति त्रिपाठी, केसी पंत, सीताराम केसरी, मोहम्मद यूनुस थे... दूसरी ओर एनके सिंह और दूसरे अफसर.
इंदिरा से एनके सिंह ने कहा कि उन्हें अकेले में बात करनी है... जब सभी नेता उठने लगे तो मेनका ने कहा कि आप सभी मेहमान हैं, यहीं बैठिए.
कॉरिडोर में 3 कुर्सियां लगाई गईं... यहां एनके सिंह और इंदिरा बैठे... सिंह ने यहीं बैठकर इंदिरा को अपना आईडी कार्ड दिखाया और परिचय दिया... इंदिरा से आईडी कार्ड अच्छे से देखा और फिर यहीं पर सिंह ने करप्शन केस में आरोपी बनाए जाने की इंदिरा को जानकारी दी.
इंदिरा ने जैसे ही ये सुना वह चिल्लाने लगीं... वो कहने लगी कि उन्हें कोई डर नहीं है, ले आइए हथकड़ियां... इस बीच तमाम लोग और आम लोग, कांग्रेस वर्कर्स, जगदीश टाइटलर जैसे संजय गांधी के साथी भी वहां पहुंच गए.
अब इंदिरा ने कहा कि वे चलने से पहले तैयार होना चाहेंगी. इंदिरा बेडरूम में गई और दरवाजा बंद कर लिया. 1 डेढ़ घंटे अंदर रही. रात साढ़े 8 बजे सफेद साड़ी में बाहर आईं. उनके कंधे पर एक झोला था.
रात साढ़े 8 बजे अंधेरा घिर गया था... पहले तो ये तय था कि इंदिरा को बडकल लेक ले जाया जाएगा लेकिन फरीदाबाद के बाद एक रेल फाटक पर वो गाड़ी से बाहर आकर विरोध करने लगीं जिसके बाद उन्हें वापस किंग्सवे कैंप में पुलिस ऑफिसर्स मेस ले जाया गया.
इंदिरा को ग्राउंड फ्लोर पर वीआईपी कमरे में रखा गया. भोजन ऑफर किया गया. एनके सिंह ने यहां इंदिरा से माफी मांगी.
अब आई 4 अक्टूबर की घड़ी... इस दिन इंदिरा को चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया
सुबह 8 बजे एनके सिंह इंदिरा (Indira Gandhi) को लेने पहुंच गए थे. जब सब लोग कोर्ट पहुंचे तो वहां राजीव और संजय पहले से मौजूद थे. वे मां के लिए नाश्ता लेकर आए थे. पार्लियामेंट स्ट्रीट में पेशी के दौरान भारी भीड़ इकट्ठा हो गई... विरोधी भी थे और समर्थक भी.
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मजिस्ट्रेट ने सुनवाई में सवाल किया कि इंदिरा के खिलाफ क्या सबूत है तो प्रॉसिक्यूटर की ओर से जवाब दिया गया कि एफआईआर कल ही दर्ज की गई है, सबूत के लिए वक्त लगेगा... चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने यहीं पर केस डिस्मिस कर दिया.. अब क्या था संजय गांधी डिस्मिस डिस्मिस चिल्लाते बाहर आ गए... कार्यकर्ताओं को जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया.
हार के बाद निराशा में डूबी कांग्रेस को जनता पार्टी ने मानो संजीवनी दे दी थी.
ये तब की सरकार के लिए झटका था.. उन्होंने बिना किसी तैयारी के ये कदम उठाया था.
प्रणव मुखर्जी ने इस अवसर पर एक बात कही, उन्होंने बोला कि जिस जनता पार्टी के नेताओं को इंदिरा ने 19 महीने जेल में रखा रखा, वही नेता इंदिरा को 19 घंटे जेल में नहीं रख सके.
इसके बाद इंदिरा के नेतृत्व में कांग्रेस आजमगढ़ उपचुनाव में जीतीं, चिकमगलूर में जीती, इंदिरा पार्लियामेंट में भी पहुंची... हालांकि दो महीने बाद उन्हें फिर गिरफ्तार किया गया और इस बार वह तिहाड़ भी गईं लेकिन कांग्रेस पार्टी को 3 अक्टूबर के किस्से ने जो ताकत दी, वह 19 दिसंबर 1977 में इंदिरा की दूसरी गिरफ्तारी से और मजबूत ही हुई... और फिर 1980 में वह चमत्कार हुई जिसकी किसी ने कल्पना ही नहीं की थी...
कांग्रेस ने 353 सीटें अकेले जीत ली थीं जो पिछली बार से 199 सीट ज्यादा थी... और जनता पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया था... पार्टी 31 सीटों पर सिमट गई थी जो पिछली बार यानी 1977 के नतीजों से 264 सीट कम थी.
(इस लेख में शामिल तथ्यों को एनके सिंह की किताब 'द प्लेन ट्रुथ' से लिया गया है)
चलते चलते 3 अक्टूबर की दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1831- मैसूर (अब मैसुरु) पर ब्रिटेन ने कब्जा कर लिया
1984 - भारत की सबसे लंबी दूरी की ट्रेन हिमसागर एक्सप्रेस कन्याकुमारी से जम्मू तवी के लिए रवाना की गई
1863- अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अमेरिका में ‘थैंक्स गिविंग डे’ मनाए जाने की घोषणा की
1923 भारत की पहली महिला ग्रेजिएट और पहली महिला फ़िजीशियन कादम्बिनी गांगुली का निधन हुआ