Mulayam Singh Yadav: पहलवान से नेताजी कैसे बने मुलायम सिंह यादव? लखनऊ की सड़कों पर दौड़ती थी साइकिल

Updated : Nov 05, 2022 20:25
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Aariz Matloob

Mulayam Singh Yadav Biography : पहले पहलवानी, फिर शिक्षक और उसके बाद नेतागिरी...! मुलायम सिंह यादव की शुरूआत तो ऐसे ही हुई, लेकिन मुलायम बाबू अपने व्यक्तित्व और अंदाज की वजह से देश और उत्तर प्रदेश (UP News) की सियासत (politics) में हर वक्त छाए रहे. कहते हैं शुरुआती दौर में मुलायम सिंह लखनऊ (lucknow) में साइकिल (cycle) से सवारी करते भी नजर आ जाते थे. दर-दर जाकर लोगों से मिलते थे. अखबारों और पत्रकारों के दफ्तर तक वो साइकिल दौड़ा देते थे. साइकिल पर घूम-घूम कर पार्टी के लिए प्रचार किया करते थे. उसी जमाने में उन्हें खांटी सादगी पसंद और जमीन से जुड़ा नेता माने जाना लगा.

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जाने-माने बॉडी बिल्डर थे

मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव (Saifai, Etawah) में हुआ था. वो एक किसान परिवार से तालुक रखते थे. मुलायम सिंह यादव अपने 5 भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर और शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) उनके छोटे भाई हैं. मुलायम सिंह सियासी अखाड़े में कूदने से पहले जाने-माने बॉडी बिल्डर थे. उनके समर्थक उन्हें पहलवान कह कर पुकारा करते थे.  

'नेताजी' बनने की कहानी (Mulayam Singh Yadav Career)

मुलायम सिंह ने अपने सियासी सफर की शुरूआत महज 15 साल की उम्र में की थी. उन्होंने 1954 में समाजवादी नेता डॅा. राममनोहर लोहिया (Socialist leader Dr. Ram Manohar Lohia) के नहर रेट आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए. लोहिया ही उन्हें राजनीति में लेकर आए. मुलायम सिंह यादव 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (United Socialist Party) के टिकट पर पहली बार UP विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 1977-78 में मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश सरकार में सहकारिता एंव पशुपालन मंत्री बनाया गया. बस फिर शुरू हो गई 'नेताजी' बनने की कहानी.

भरने लगे अपनी उड़ान

मुलायम सिंह यादव 80 के दशक तक अपने राजनीतिक गुरु चौधरी चरण सिंह (Political Guru Chaudhary Charan Singh) के साथ मिलकर इंदिरा गांधी को वंशवाद के मुद्दे पर घेरते रहे, लेकिन जैसे ही चौधरी साहब ने राष्ट्रीय लोकदल में अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी में अहमियत देनी शुरू की, मुलायम सिंह का सपना टूटने लगा, फिर क्या भरने लगे अपनी उड़ान और बन गए नेताजी. 

समाजवादी पार्टी का गठन

चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद लोकदल लगभग टूट सी गई. पार्टी के नेता बिखरने लगे, पार्टी के एक बड़े धड़े की अगुवाई मुलायम सिंह यादव करने लगे. साल 1992 में नेताजी ने समाजवादी पार्टी का गठन किया, जिसका प्रतीक चिन्ह साइकल रखा और उसपर खूब सवारी की.

मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर (Mulayam Singh Yadav Political Career)

- 1967 से लेकर 1996 तक 8 बार विधायक
- 1982 से 87 तक विधान परिषद के सदस्य 
- 1996 से अबतक 7 बार लोकसभा में पहुंचे
- पहली बार 1989 में UP के मुख्यमंत्री
- 1993-95 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने 
- 2003-2007 में तीसरी बार मुख्यमंत्री 
- 1996- देवगौडा सरकार में रक्षा मंत्री 

कहते हैं मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश की राजनीति में पिछड़े समाज की खूब राजनीति की, उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान हो गई. राम मंदिर आंदोलन के शुरुआती दिनों में वो मुस्लिमों के पसंदीदा नेता बन गए. 

नेताजी तो अपनी जिंदगी के अंत तक सदन में अटल रहे. लेकिन साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत के बाद उन्होंने अपनी विरासत को अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंप दिया. अखिलेश के मुख्यमंत्री बनते परिवार और पार्टी में बड़ी बगावत देखने को मिली, कहीं भाई शिवपाल नाराज दिखे, तो कहीं उनके साथ काम करने वाले नेता. लेकिन अंत में समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश यादव संभाल रहे हैं. 

Samajwadi PartyMulayam Singh Yadav

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