यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Dmitry Kuleba) ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि यूक्रेन ने युद्ध के मैदान में सबसे एडवांस रूसी हथियारों (Russian Weapons) को प्रभावी ढंग से नष्ट कर दिया है. ऐसे में सोचना चाहिए कि भारत के लिए क्या वास्तव में ऐसे हथियार खरीदना हितकारी है जो युद्ध के मैदान में टिक ही नहीं सकते? उनके इस बयान के बाद सवाल उठने लगे हैं कि रूस जिसकी गिनती दो सबसे ताकतवर देशों में होती है और यूक्रेन जो किसी भी लिहाज से उसके सामने कहीं नहीं ठहरता, आखिर पिछले दो महीने से इस महाशक्ति और खतरनाक हथियारों का मुकाबला कैसे कर रहा है?
भारत के लिए यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अपने आधे से ज्यादा हथियार रूस से खरीदता है. हालांकि हाल के दिनों में भारत की रूस पर निर्भरता कम हुई है.
दुनियाभर में हथियारों के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़ों के मुताबिक, 2011 से 2015 तक भारत ने 70% हथियार रूस से खरीदे थे, वहीं 2016 से 2020 के बीच ये आंकड़ा कम होकर 49% पर आ गया. जबकि, यूक्रेन से भारत सिर्फ 0.5% हथियार खरीदता है.
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Brahmos Missile को दुनिया का सबसे ताकतवर मिसाइल बताया गया है. भारतीय वायुसेना के 40 सुखोई-30 MKI फाइटर जेट पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें तैनात की हैं. यह मिसाइलें दुश्मन के कैंप को पूरी तरह से तबाह कर सकती हैं. इसकी रेंज 500 किलोमीटर है. भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइलों को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी तैनात करने की योजना है. इसके अलावा पनडुब्बियों में लगाने के लिए ब्रह्मोस के नए वैरिएंट का निर्माण जारी है. अगले साल तक इन फाइटर जेट्स में ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने की तैयारी पूरी होने की संभावना है.
ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभगल अंसभव है. यह अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है. इसे भारत ने रूस के साथ मिलकर बनाया है.
भारतीय वायुसेना में Su-30MKI के 272 विमान मौजूद हैं. इसे उड़ाने के लिए दो पायलट लगते हैं. 21.93 मीटर लबें फाइटर जेट की अधिकतम गति 2120 किलोमीटर प्रतिघंटा है. युद्ध के दौरान यह पूरे हथियार के साथ 3000 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है. आमतौर पर यह 8000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है.
यह अधिकतम 17,300 मीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें 12 हार्ड प्वाइंट्स हैं, जिनमें रॉकेट्स, मिसाइल और बम या फिर इनका मिश्रण बनाकर लगाया जा सकता है.
यह राफेल के साथ मिलकर किसी भी युद्ध में कहर बरपा सकता है. भारत को यह दमदार फाइटर जेट रूस से मिला है. जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अपडेट किया है.
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Mi हेलिकॉप्टर को भारतीय वायुसेना का सबसे भरोसेमंद हेलिकॉप्टर माना जाता है. सैनिकों के रेसक्यू मिशन के दौरान यह काफी मददगार साबित हुआ है. दुनिया के करीब 60 देश इस हेलिकॉप्टर का उपयोग करते हैं. साल 2007 से अब तक 12 हजार हेलिकॉप्टर बनाए जा चुके हैं. इसमें 3 क्रू होते हैं. यह 24 सैनिक, 12 स्ट्रेचर या 4 हजार किलोग्राम वजन उठाकर उड़ सकता है.
18.46 मीटर लंबे इस हेलिकॉप्टर की अधिकतम गति 280 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह एक बार में 800 किलोमीटर उड़ सकता है. यह अधिकतम 6 हजार मीटर की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें छह हार्ड प्वाइंट्स लगे हैं. यूपीके-23-250 गन लगी होती है.
भारत ने 20 जनवरी 2004 को इस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए ऑर्डर दिया था. इस पोत को अपग्रेड करने में भारत को 2.3 अरब डॉलर खर्च करने पड़े. 2008 में लॉन्च करने के बाद इसे नवंबर 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. INS विक्रमादित्य 1987 से 1996 तक सोवियत नौसेना और रूसी नौसेना में एडमिरल फ्लोटा सोवेत्स्कोगो सोयुजा गोर्शकोव के नाम से तैनात एक विमानवाहक पोत हुआ करता था.
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S-400 को रूस का सबसे एडवांस लॉन्ग रेंज सर्फेस-टु-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है. यह सिस्टम दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है. यह एक ही राउंड में 36 वार करने में सक्षम है. S-400 की खास बात यह है कि इसके रडार एक बार में 100 से 300 टारगेट ट्रैक कर सकते हैं.
भारत ने साल 2016 में रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की डील की थी. साल 2021 से इस सिस्टम की डिलिवरी भी शुरू हो गई है. यह सिस्टम S-300 का अपग्रेडेड वर्जन है. इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने रूस के साथ परमाणु पनडुब्बियों की खरीद को लेकर एक सीक्रेट डील की है, जिसके तहत 2025 में भारत को रूस से एक परमाणु पनडुब्बी मिलेगी, जिसे INS चक्र III के नाम से जाना जाएगा. यह पनडुब्बी भी INS चक्र की तरह भारतीय नौसेना में अगले 10 साल तक सेवा देगी. लगभग तीन साल पहले इस डील की कुल लागत 3 बिलियन डॉलर बताई गई थी.
बता दें, INS चक्र भारतीय नौसेना में कमीशन की गई पहली परमाणु शक्ति संचालित पनडुब्बी थी. 10 साल की सेवा पूरी करते के बाद इसे वापस रूस को दे दिया गया था.
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मिग-21 इस समय भारत समेत कई देशों की वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रहा है. मिग- 21 एविएशन के इतिहास में अबतक का सबसे अधिक संख्या में बनाया गया सुपरसोनिक फाइटर जेट है. इसके अबतक 11496 यूनिट्स बनाए जा चुके हैं. यह इकलौता ऐसा विमान है जिसका प्रयोग दुनियाभर के करीब 60 देशों ने किया है.
1959 में बना मिग-21 अपने समय में सबसे तेज गति से उड़ान भरने वाले पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों में से एक था. इसकी तेज रफ्तार की वजह से ही अमेरिका भी तत्कालीन सोवियत संघ के इस लड़ाकू विमान से डरता था.
आईएनएस तबर रूस में ही बना हुआ युद्धपोत है. इसे भारतीय नौसेना में 19 अप्रैल 2004 को रूस के कलिनिनग्राद में शामिल किया गया था. इस युद्धपोत का संचालन भारतीय नौसेना की वेस्टर्न कमांड करती है. 3620 टन डिस्प्लेसमेंट वाले इस युद्धपोत की लंबाई 124.8 मीटर है. इसके पिछले हिस्से पर हेलिकॉप्टर डेक भी बना हुआ है.
आईएनएस तबर की टॉप स्पीड 56 किलोमीटर प्रति घंटा है. इस युद्धपोत पर 18 ऑफिसर्स सहित 180 क्रू मेंबर तैनात होते हैं. आईएनएस तबर भारतीय नौसेना के तलवार क्लास का तीसरा फ्रिगेट है.
भारत ने रूस से लगभग 2000 टी-90 भीष्म टैंक खरीदा है. इसकी गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली टैंकों में की जाती है. इसमें तीन क्रू मेंबर होते हैं जिनमें ड्राइवर, कमांडर और गनर शामिल होता है.
T-90 टैंक में Kaktus K-6 एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर लगा हुआ है, जो इसे दुश्मन के हमले से बचाता है. भारत का टी-90 भीष्म टैंक मूल रूप से रूस में बना है. टी फॉर टैंक, जबकि 90 से आशय यह है कि यह आधिकारिक रूप से 1990 के दशक में बनकर तैयार हुआ था.
T-72 टैंक को भारत में अजेय के नाम से जाना जाता है. यह बेहद हल्का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है. यह न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए बनाया गया है. 'अजेय' में 125 एमएम की गन लगी है. साथ ही इसमें फुल एक्सप्लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है.
यूरोप के बाहर भारत पहला ऐसा देश था जिसने रूस से टी-72 टैंक को खरीदा था. वर्तमान में भारत के पास टी-72 टैंक के तीन वैरियंट में करीब 2000 से अधिक यूनिट हैं. यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्सा बना था.
भारतीय थलसेना, नौसेना और वायु सेना, एके-47 और एके-203 राइफल को अपने मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है. भारत ने कुछ दिनों पहले ही रूस के साथ 5 लाख से अधिक लेटेस्ट AK-203 असॉल्ट राइफलों के निर्माण को मंजूरी दी है. एके-203 राइफल तीन दशक पहले रक्षा बलों को दिए गए इंसास राइफल की जगह लेगी. एके-47 को दुनियाभर के 30 से ज्यादा देश इस्तेमाल करते हैं.
भारतीय आर्मी में भारत की सेना का मुख्य युद्धक टैंक T-72M1 और T-90s मुख्य रूप से रूस के ही हैं. इसके अलावा नेवी के पास 10 गाइडेड मिसाइल हैं, जिनमें से 4 रूस के हैं. नेवी के पास 17 युद्धपोतों में से 6 रूस से आए हैं. वहीं एयरफोर्स में 29 से 30 स्क्वाड्रन में रूस के बने विमान हैं. भारत के पास करीब 272 मल्टी रोल Su-30MKIs लड़ाकू विमान हैं, जो रूस से बने हैं. इसके अलावा 100 से ज्यादा MIG 21 भी हैं.
हालांकि यूक्रेन ने चेतावनी इसलिए भी जारी की है क्योंकि भारत अब तक दोनों देशों से शांति की बात जरूर करता रहा है लेकिन पूरी तरह से रूस का विरोध कभी नहीं किया. लेकिन जो आंकड़े हैं, यह बताते हैं कि भारत के पास ज्यादातर हथियार जो काफी महत्वपूर्ण हैं वह रूस से लिया गया है. ऐसे में भारत के लिए यूक्रेन की चेतावनी को नजरअंदाज करना कितना सही होगा?