Inflation: लोकसभा चुनाव के बीच महंगाई बम फूटा है. थोक महंगाई दर पिछले 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई है और ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सब्जी, बिजली, तेल, ईंधन से लेकर खाने-पीने तक की चीजों में आग लग गई है. Wholesale inflation यानी थोक महंगाई दर लगातार दूसरे महीने बढ़कर 1.26 फीसदी हो गई. मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने बताया, 'अप्रैल 2024 में महंगाई में बढ़ोतरी की मुख्य वजह थीं-
थोक महंगाई दर क्यों बढ़ी ?
भारत में महंगाई का राजनीति से सीधा कनेक्शन होता है. महंगाई के कारण सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार पलटवार भी होता रहा है. लेकिन इन सबसे बदलता कुछ नहीं है...महंगाई की मार जनता को ही झेलनी पड़ती है.
फूड इन्फ्लेशन ने दिया झटका
इस बार फूड इन्फ्लेशन ने सबसे बड़ा झटका देने का काम किया है. आंकड़ों के मुताबिक, 'अप्रैल में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर बढ़कर 7.74 फीसदी हो गई, जो मार्च में 6.88 फीसदी थी. सब्जियों की महंगाई दर 23.60 फीसदी रही, जो मार्च में 19.52 फीसदी थी. ईंधन और बिजली में मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.38 फीसदी रही, जो मार्च में (-)0.77 फीसदी थी.'
लोकसभा चुनाव के बीच महंगाई के ग्राफ यूं आसमान छूना सरकार के लिए मुसीबत तो विपक्ष के लिए चुनावी ब्रह्मास्त्र बन सकता है.
आइए अब ये जानने की कोशिश करते हैं कि थोक महंगाई दर क्या होती है और इसका कैसे पड़ता है. दरअसल,
चुनावी गरमागर्मी के बीच मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की तरफ से जारी किए गए महंगाई के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं. चुनावी मौसम में उम्मीद की जाती है कि महंगाई घटेगी लेकिन अप्रैल में महंगाई बढ़ने से हर कोई हैरान है.
खुदरा महंगाई में मिली राहत
सरकार ने अप्रैल का खुदरा महंगाई का आंकड़ा भी जारी किया और मार्च के मुकाबले इसमें गिरावट दिखी. अप्रैल में खुदरा महंगाई की दर 4.83% रही, जो मार्च में 4.85% थी. वैसे तो अप्रैल में खुदरा महंगाई 11 महीने के निचले स्तर पर थी, लेकिन ये लगातार 55वें महीने भी आरबीआई के 4% के तय दायरे से बाहर ही दिखी.
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