Interim Budget of India Before 1947 : 1 फरवरी 2023 को मोदी सरकार (Modi Government) अपने दूसरे कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट पेश करने वाली है...लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे मौजूदा संसद भवन में एक ऐसे शख्स ने देश का बजट पेश किया था जो बाद में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री (Prime Minister of Pakistan) बना...दरअसल ये ऐसा वाक्या है जिसने देश के बंटवारे की बुनियाद को और भी पुख्ता कर दिया. अपने बजट स्पेशल में आज हम बात करेंगे इसी वाक्ये की....
सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली (Central Legislative Assembly) में पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के वित्त मंत्री लियाक़त अली ख़ान (Liaquat Ali Khan) ने दो फ़रवरी 1946 को बजट पेश किया, उसी इमारत में जिसे आज संसद भवन कहा जाता है.
लियाक़त अली खान (Liaquat Ali Khan), मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) के काफी करीबी थे. कैबिनेट में सरदार पटेल (Sardar Vallabh Bhai Patel), अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar), बाबू जगजीवन राम (Babu Jagjivan Ram) जैसे दिग्गज कांग्रेसी भी थे. बात करें लियाकत अली खान की, तो वे बंटवारे से पहले यूपी के मेरठ और मुजफ्फरनगर से यूपी विधानसभा के लिए चुनाव लड़ते थे. संबंध था करनाल के राज परिवार से...
लियाकत का बजट (Liaquat Ali Khan's Budget) कांग्रेस के गले नहीं उतरा था...कांग्रेस का कहना था कि बजट से उद्योगपतियों को चोट पहुंची थी... और वह बजट हिंदू विरोधी था... भारत में तब मुस्लिम उद्योगपति न के बराबर थे. बजट में कारोबारियों के कुल मुनाफे पर 25 फीसदी टैक्स लगा दिया गया था और कॉर्पोरेट टैक्स भी दोगुना कर दिया गया था.
टैक्स चोरी करने वालों पर कठोर कार्रवाई के मकसद से एक आयोग बनाने का वादा भी किया गया... जिसके बाद सरदार पटेल ने राय दी कि ये बजट बिड़ला, बजाज और वालचंद जैसे हिंदू उद्योगपतियों के खिलाफ सोची समझी रणनीति थी. क्योंकि ये सभी कांग्रेस से जुड़े थे..
घनश्याम दास बिड़ला (Ghanshyam Das Birla) और जमनालाल बजाज (Jamnalal Bajaj) बापू के करीबियों में थे... हालांकि तब सिप्ला समूह भी था जिसके संस्थापक मुस्लिम समुदाय से आने वाले केए हामिद (Cipla Founder KA Hamid) थे लेकिन कारोबार में मुस्लिमों की संख्या न के ही बराबर थी. लियाकत पर आरोप लगे कि वे हिंदू मंत्रियों के खर्च और प्रस्ताव पास करने में कई कई दिन लगा देते थे.
जिसके बाद मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच विरोध इतना बढ़ गया कि दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने पर उतर आए. इस तरह अंतरिम सरकार का सपना धूल में मिल गया.
बात करें आजाद भारत के पहले बजट की, तो इसे 26 नवंबर, 1947 को आर के षणमुगम शेट्टी (R. K. Shanmukham Chetty) ने पेश किया था. लेकिन ये सही मायने में अर्थव्यवस्था की समीक्षा ही थी. इसे 1948-49 के बजट से 95 दिन पहले ही पेश किया गया था.