CBI-ED Raids : बिहार विधानसभा (Bihar Legislative Assembly) में बुधवार को महागठबंधन सरकार (Mahagathbandhan Govt) ने विश्वासमत हासिल कर लिया. विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 160 विधायक रहे. जबकि बीजेपी विधायकों (BJP MLA) ने सदन से वॉकआउट किया. इस मामले को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि आप सब भाग रहे हैं, जरूर आलाकमान ने आपसे ऐसा करने को कहा होगा.
नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तंज में यह तो कह दिया कि आप सब भाग रहे हैं. लेकिन उसके बाद से Rashtriya Janata Dal (RJD) के कई नेता लगातार भाग रहे हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी बुधवार को Central Bureau of Investigation (CBI) और Enforcement Directorate (ED) की टीम ने देशभर में 42 ठिकानों पर छापेमारी की. CBI की टीम ने बिहार में ही राजद के 6 नेताओं समेत 25 ठिकानों पर छापेमारी की. इनमें RJD के 2 राज्यसभा सांसद- अशफाक करीम और फैयाज अहमद भी हैं. इनके अलावा पूर्व विधायक अबु दोजाना, लालू के OSD रहे भोला यादव, पूर्व MLC सुबोध राय और लालू के करीबी और बालू माफिया सुभाष यादव के ठिकानों पर भी छापेमारी हुई. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रेड के दौरान CBI के हाथ 200 सेल डीड के पेपर मिले हैं.
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बिहार में RJD नेताओं के घर जब CBI की छापेमारी चल रही थी, उसके कुछ ही देर बाद बुधवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना था. ऐसे में आरजेडी ने इस कार्रवाई को बदले की कार्रवाई बताते हुए, केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधा.
आरजेडी एमएलसी सुनील सिंह ने CBI की इस कार्रवाई को लेकर कहा कि यह जानबूझकर का किया जा रहा है. उन्हें ऐसा लगता है कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने से विधायक डर के मारे उनके पक्ष में आ जाएंगे.
वहीं RJD सांसद मनोज झा ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि, आज बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट है और BJP ने डराने के लिए आज का दिन चुना है, आप राजनीतिक रूप से लड़ाई नहीं लड़ सकते हैं. आप इन्हें ED, CBI की नहीं आप इन्हें भाजपा की रेड कहिए. ये संगठन BJP के लिए काम करती है.
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अभी कुछ दिनों पहले ही उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि BJP इस स्तर पर जाएगी. एक दिन वो भी आएगा जब आप नहीं होंगे और आप भी इसी जद में आएंगे. दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और फिर बिहार आपके पास स्क्रिप्ट वही है. हम बिहारी हैं टिकाऊ हैं...बिकाऊ नहीं है. हम डरेंगे नहीं.
हालांकि बिहार BJP अध्यक्ष संजय जायसवाल ने आरजेडी के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि आज से डेढ़ साल पहले नीतीश कुमार ने खुद ही शिकायत की थी, जब बिस्कोमान में करोड़ों रुपए पकड़े जा रहे थे. क्योंकि तब रुपयों के साथ एक गाड़ी पकड़ी गई थी. अब इन सब की जो परिणति होती है वह हो रही है.
ये तो हुई CBI रेड, RJD के आरोप और BJP के पलटवार की बात. आपको बताता हूं कि यह पूरा मामला क्या है?
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दरअसल इस घोटाले की कहानी, यूपीए-1 सरकार के समय से जुड़ी है. तब लालू यादव, रेल मंत्री हुआ करते थे. लालू यादव पर आरोप है कि बतौर रेल मंत्री, उन्होंने जॉब लगवाने के बदले जमीन और प्लॉट लिए थे. इस मामले में लालू यादव के करीबी भोला यादव को CBI ने गिरफ्तार भी किया था. साल 2004 से 2009 के बीच भोला यादव, लालू यादव के OSD थे. CBI ने 18 मई 2022 को FIR दर्ज की थी, जिसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव समेत कुछ अन्य लोगों के नाम हैं. CBI ने इस साल राबड़ी आवास पर भी छापेमारी की थी, जिसमें तेजस्वी यादव के कमरे से कई दस्तावेज सामने आने की बात कही गई थी.
आरोप है कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के जरिए रांची और पूरी में दो होटलों के संचालन के नियम को नजरअंदाज कर ठेका सुजाता होटल्स नाम की एक कंपनी को दिया गया. इस कंपनी के मालिक विनय कोचर और विजय कोचर थे. आरोप है कि सुजाता होटल्स ने इसके बदले कथित तौर पर लालू यादव को तीन एकड़ जमीन दी थी. जो बेनामी संपत्ति थी.
इधर CBI के छापों के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी एक्टिव हो गई है. ED ने अवैध खनन में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में झारखंड, तमिलनाडु, बिहार और दिल्ली में 17-20 ठिकानों पर छापेमारी की है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा और बच्चू यादव से पूछताछ के बाद ED ने ये छापेमारी की. ED ने दोनों को कुछ समय पहले ही ED गिरफ्तार किया है.
मुश्किल बस इतना नहीं है. EC ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश तक भेज दी है. इस सिफारिश के बाद झारखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है. सभी JMM विधायकों को सीएम आवास बुलाया गया है. राज्यपाल रमेश बैस भी दिल्ली से रांची पहुंच गए हैं. हेमंत सोरेन ने इस पूरे मामले में बीजेपी पर वैधानिक प्राधिकरणों और सार्वजनिक एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया.
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दरअसल बीजेपी ने एक याचिका दी थी. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खुद को एक खनन पट्टा जारी करके चुनावी कानून का उल्लंघन करने के लिए एक विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी. झारखंड के राज्यपाल ने इस मामले को चुनाव आयोग के पास भेजा था. इस मामले में 18 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने बंद लिफाफे में अपनी राय राज्यपाल को भेजी है.
इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को नैतिक आधार पर मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ना चाहिए. हमारी मांग है कि विधानसभा को भंग करके सभी 81 सीटों पर चुनाव कराए जाएं.
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वहीं झारखंड सीएम दफ्तर की ओर से इस मामले में सफाई देते हुए कहा गया है कि CMO को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. मुख्यमंत्री को मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें उनके विधायक के तौर पर सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश की गई है.
इधर झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी के एक सांसद और उनके कठपुतली पत्रकारों समेत भाजपा नेताओं ने EC की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है. भाजपा मुख्यालय द्वारा संवैधानिक प्राधिकरणों और सार्वजनिक एजेंसियों का दुरुपयोग और शर्मनाक तरीके से अधिग्रहण किया गया. ऐसा भारतीय लोकतंत्र में कभी नहीं देखा गया.
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि पिछले महीने ही झारखंड के कांग्रेस विधायक पश्चिम बंगाल में पैसों के साथ धरे गए. इस मामले को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में बैठी भाजपा शासित केंद्र सरकार झारखंड में भी ऑपरेशन लोटस की तैयारी कर रही है. और इसमें नोडल एंजेट थे असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा.
इस मामले को लेकर हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, ''कांग्रेस नेताओं से तो मेरा संपर्क बना ही रहता है, क्योंकि वहां मेरे कई पुराने दोस्त हैं. मैं 20 साल इसी पार्टी में था. वो गुवाहाटी आते हैं, तो मुझसे मिलते हैं. मैं दिल्ली जाता हूं, तब भी मुलाकात होती रहती है. इसमें कोई नई बात नहीं है.''
क्या सच है क्या ग़लत यह लोगों तक पहुंच भी पाएगा कि नहीं, मुझे नहीं मालूम. लेकिन आरोप के बीच एक बात तो साफ है कि CBI और ED उन्हीं राज्यों में ज्यादा सक्रिय हैं, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है. तो क्या गैर बीजेपी शासित राज्यों का आरोप ठीक है कि बीजेपी जानबूझकर उनके विधायकों को या लोगों को परेशान कर रहे हैं या वाकई मोदी सरकार से अलग होने की वजह से ये लोग भ्रष्ट्राचारी हो गए हैं, बेलगाम हो गए हैं?