Maharaja Jagatjit Singh wife Anita Delgado Briones Story : भारत में आपने कई रानियों के बारे में पढ़ा होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसी रानी के बारे में बताने जा रहे हैं जो थी तो स्पेन की लेकिन उसने खुद को भारतीय रंग में ढाल लिया था... कपूरथला राजघराने की रानी को लोग गोरी महारानी के रूप में भी जानते थे. इनका नाम था अनिता डेलगाडो ब्रियोंस और इन्होंने मैड्रिड के क्लब से भारत में कपूरथला राजघराने की महारानी तक का सफर तय किया... आइए आज जानते हैं इनके बारे में....
बात साल 1906 की है... भारत गुलाम भी था और गरीब भी... लेकिन राजघराने दौलतमंद थे...
स्पेन के क्लब में डांस करके मर्दों का दिल बहलाने वाली एक हसीन लड़की को क्या पता था कि वह एक दिन भारत में महारानी बनकर कदम रखेगी. दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज रही इस लड़की की शादी भारत के ऐसे राजा से होती है, जो इसके नाम पर भारत से पेरिस तक महलों की कतार खड़ी कर देता है... इस लड़की का नाम था अनिता ब्रियोंस और जिस राजा से उनकी शादी हुई उनका नाम था जगतजीत सिंह... स्पेनिश में एक आम कहावत है, "वह कपूरथला के महाराजा से ज्यादा अमीर था" ... वह इन्हीं राजा के लिए थी.
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नमस्कार, देश दुनिया के ऐतिहासिक कार्यक्रम झरोखा में आपका स्वागत है... आज हम जगतजीत सिंह का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 24 नवंबर 1872 को ही उनका जन्म हुआ था... वह 16 अक्टूबर 1877 को कपूरथला राज्य के सिंहासन पर बैठे थे, सिर्फ 5 बरस की उम्र में... हालांकि उन्हें महाराजा की उपाधि मिली 1911 में...
अंग्रेजों की वफादारी का ईनाम इनपर खूब बरसा... सम्मान इनके सामने ताश के पत्तों की तरह बिछ गया था... कुल 6 शादियां की, प्यार के किस्से इससे भी ज्यादा रहे... लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा रही 5वीं शादी की... जिसका जिक्र हमने शुरुआत में किया...
आज हम इसी प्यार के किस्से को जानेंगे झरोखा के इस एपिसोड में...
यूरोप की कई महिलाओं ने भारत के राजाओं से शादी की लेकिन इनमें से जो एक महिला सबसे ज्यादा मशहूर हुई, उसका नाम है अनिता डेलगाडो (1890-1962). अनिता एक फ्लैमेंको डांसर थीं और वह भारत में कपूरथला राजघराने की महारानी बनीं. यह तकदीर का ही लेखा था कि स्पेन के छोटे से शहर की एक गरीब लड़की ने भारत में कपूरथला (Kapurthala Princely State in India) तक का सफर किया, वह भी रानी बनकर.
अनिता डेलगाडो ब्रियोंस (Anita Delgado Briones) का जन्म 1890 में दक्षिणी स्पेन के मलागा में हुआ था. माता-पिता एक छोटा सा कैफे चलाते थे जिसका नाम था ला कैस्टाना. ये जगह थी तो वैसे कैफे लेकिन यह धीरे धीरे जुए का अड्डा बन गई थी. जब स्पेन की सरकार ने जुए को बैन कर दिया, तब अनिता और उनके पैरेंट्स मैड्रिड आने को मजबूर हो गए, ताकि जिंदगी का गुजर बसर किया जा सके.
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पिता कोई भी काम ढूंढ पाने में नाकाम रहे और परिवार की हालत बद से बदतर हो गई. इसी वक्त अनीता और उसकी बहन विक्टोरिया ने डांस सीखना शुरू कर दिया. एक पड़ोसी था जो बिना कोई रकम लिए उन्हें मुफ्त में डांस सिखाने के लिए तैयार था. पिता की मनाही के बावजूद, दोनों बहनों ने डांस सीखा और स्टेज पर इसे करने भी लगीं ताकि वह फैमिली की मदद कर सकें.
वह मई 1906 का वक्त था जब अनिता और उसकी बहन मैड्रिड (Madrid) के मॉडर्न नाइट क्लब में कर्टेन रेजर ऐक्ट कर रहे थे. यहीं पर कुछ ऐसा हुआ जिसने अनिता की जिंदगी को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया.
ये नाइटक्लब काफी नामचीन था और यहां पर अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी आती थीं. उस साल मौका और भी खास था क्योंकि जो हस्तियां मैड्रिड आई थीं वह स्पेन के किंग अल्फोंसो 13वें की शादी के मेहमान थे. इन्हीं हस्तियों में से एक थे कपूरथला के महाराज जगतजीत सिंह, जो उस रात क्लब में 16 साल की अनीता की खूबसूरती पर फिदा हो गए थे.
आप अनीता के चेहरे के भावों का सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं, जब परफॉर्मेंस के बाद वाली सुबह चांदी के रत्नों से सजी एक गाड़ी उसके घर के बाहर आकर रुकी और गहने पहने एक शख्स उसमें से उतरा. गहनों से सजी पगड़ी पहने इस शख्स ने अनीता से प्यार का इजहार किया. एक हफ्ते से भी कम वक्त में महाराजा के सचिव शादी का औपचारिक प्रस्ताव लेकर आए. अनिता की रूढ़ीवादी ईसाई फैमिली इस शादी के विरोध में आ गई लेकिन महाराज की ओर से 1 लाख पाउंड की भेंट देखकर उनके सारे पूर्वाग्रह मौन हो गए थे.
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अनिता को ट्रेनिंग और ग्रूमिंग के लिए पेरिस ले जाया गया ताकि वह रानी बनने लायक हो सके. महाराजा ने पेरिस में एक बड़ा पैलेस बनाया जिसका नाम था Pavillion de Kapurthala. यह पैलेस सिर्फ अनिता के लिए ही था. अपने संस्मरण में अनिता ने लिखा है कि किस तरह उसे भाषा, भुगोल, संगीत, नृत्य, स्केटिंग, टेनिस और यहां तक की कार चलाने की भी ट्रेनिंग दी गई.
आखिरकार महीनों की ट्रेनिंग के बाद वह घड़ी भी आ गई जब वह महारानी बनने के लिए तैयार थी. 1907 में अनिता भारत पहुंचीं. वह सबसे पहले बॉम्बे पहुंची. वहां एक स्पेशल कपूरथला रेल सलून उनका इंतजार कर रही थी. कपूरथला पहुंचकर 28 जनवरी 1908 को उन्होंने सिख रीति रिवाजों के साथ एक बार फिर महाराजा जगतजीत सिंह से शादी की. अनिता को नया नाम महारानी प्रेम कौर (Maharani Prem Kaur) का मिला.
कपूरथला में अनिता के लिए यूरोपियन ऐशो आराम बिल्कुल दूर नहीं था. महाराजा जगतजीत सिंह ने कपूरथला को मिनी फ्रांस बना डाला था. उन्हें फ्रेंच शैली का खासा शौक था. इसी वजह से कपूरथला को पंजाब का पेरिस कहा जाता था. महाराज ने फ्रेंच शैली से मिलते कई आर्किटेक्चर बनवाए थे. फ्रांस के शाही महल फोंटेनब्लू की तर्ज पर महाराज ने भी एक पैलेस बनवाया था. पेरिस के होटल रिट्स (Hotel Ritz in Paris) में ट्रेनिंग पा चुके बेस्ट फ्रेंच कुक को उन्होंने काम पर रखा था. यही नहीं, कपूरथला का शाही परिवार सिर्फ फ्रेंच एविएन वाटर ही पीता था जो खास तौर से फ्रांस से कपूरथला मंगवाया जाता था.
अनिता ने हनीमून का जिक्र करते हुए अपने संस्मरण में लिखा- एक रोज उनके पति ने उन्हें फ्रेंच शैली के नए पैलेस को दिखाया और कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक खूबसूरत महिला इसमें सबसे पहले रहेगी. अब ये तुम्हारा हुआ.
जल्द ही अनिता ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम अजित सिंह रखा गया. अनिता ने अपनी यात्राओं पर एक किताब भी लिखी जिसका नाम था impresiones de mis viajes a las indias... (the impressions of my trip to the indies). भारत में भी अनिता ने एक सनसनी मचा दी थी.
अंग्रेज नौकरशाही उन्हें फंक्शन में कम एंटरटेन करती थी. लेकिन इसी वक्त इस दिलकश महारानी के बारे में उत्सुकता भी बढ़ी हुई थी. अनिता जब भी यूरोप जातीं, फोटोग्राफर हर जगह उनका पीछा करते रहते थे.
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अनिता अपना अधिकतर वक्त मसूरी में बिताती थीं जहां कपूरथला के महाराज ने Chateau De Kapurthala नाम से बड़ा पैलेस बनवाया था. यहां कई राजा और उनकी रानियां उनसे मिलने आया करते थे. एक बार रानी हैदराबाद गईं. तब निजाम मीर उस्मान अली खान (Hyderabad Nizam Mir Osman Ali Khan) का दिल उनपर आ गया था.
निजाम ने नैपकिन में लपेटकर कई ज्वेलरी उनके आगे तोहफे के रूप में रख दी थी, हालांकि बाद में इन्हें नकली पाया गया. इसी विजिट के दौरान मशहूर फोटोग्राफर राजा दीन दयाल (Raja Deen Dayal) ने उनकी तस्वीरें लीं जिसमें से एक में वह गहनों में लिपटी साड़ी पहने भी नजर आई थीं.
लेकिन सच यही है कि हर कहानी की हैप्पी एंडिग होती नहीं है. महाराजा जगतजीत सिंह (Maharaja Jagatjit Singh) अपने प्यार के किस्सों के लिए कुख्यात थे. लेकिन अनिता को महारानी के तौर पर हर वक्त मर्यादा में रहना होता था. वहीं, महाराज नौजवान युवतियों और प्रेमिकाओं से संबंध रखे रहते. 1925 की बात है, लंदन के होटल सेवॉय में महाराज और अनिता की तीखी नोकझोंक हुई. वो भी सरेआम...
महाराज ने अनिता पर बेवफाई और तलाक की धमकी देने का आरोप लगाया. अनिता फर्श पर बैठ गई और रोने लगीं. होटल में एक बड़ा सीन क्रिएट हो गया. भीड़ में एक शख्स मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) भी थे, जो कि अनिता और महाराज के कॉमन फ्रेंड थे. वह भी इसी होटल में रुके हुए थे. वह अनिता की मदद के लिए आगे आए.
18 साल की शादी के बाद, अनिता और महाराज ने जल्द ही तलाक भी ले लिया. जिन्ना की मदद से अनिता को अच्छी खासी रकम फाइनेंशियल सेटलमेंट के रूप में मिली और वह यूरोप लौट गईं.
कपूरथला में गोरी महारानी वाली अनिता का पद एक दूसरी महिला ने ले लिया था. 1942 में महाराजा जगतजीत सिंह ने चेक महिला Eugenie Grosupova से शादी की. उन्हें तारा देवी का नाम दिया गया. भारतीयों से मिलने से हिचकने वाली ये नई महारानी अनिता से बहुत अलग थीं. वक्त के साथ महाराज की रुचि यहां भी कम होने लगी और इस शादी का भी दुखद अंत हुआ. 9 दिसंबर 1946 को तारी देवी ने अपने दो कुत्तों के साथ दिल्ली में कुतुब मीनार (Qutub Minar) की 5वीं मंजिल से छलांग लगा दी.
रानी और कुत्तों की बॉडी कुतुब मीनार की तीसरी मंजिल पर झूलती मिली. सेंट जेम्स चर्च दिल्ली (St. James Church) में उन्हें दफ्न किया गया. ऐसा कहा जाता है कि महाराजा जगतजीत सिंह इस सदमे से कभी बाहर नहीं आए. 1949 में बॉम्बे के ताज महल होटल में उनकी मृत्यु हो गई.
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वहीं, बात अगर अनिता की करें तो उसने पेरिस, स्विट्जरलैंड, मैड्रिड और मलागा के अपने घरों में शानो शौकत से भरी जिंदगी जीयी. ऐसा कहा जाता है कि वह बेशकीमती गहने पहनती थीं और सोने के बर्तन में भोजन करती थीं. उन्होंने अपना वक्त संस्मरणों को लिखने में भी बिताया. वह चाहती थीं कि उनकी कहानी दुनिया जाने. 1962 में 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उन्होंने अपने गहने बेटे प्रिंस अजित को दे दिए जबकि दूसरी संपत्तियां भतीजियों को...
हालांकि, अनिता की दिलचस्प कहानी का अंत उनकी मृत्यु के साथ नहीं हुआ. उनके बेटे प्रिंस अजित सिंह ने ब्यूनस आयर्स और लंदन में भारतीय डिप्लोमैट के रूप में सेवा दी और नई दिल्ली में 1984 में उनकी मृत्यु हुई. वह अविवाहित रहे. 2009 तक यही माना जाता रहा कि अनिता का परिवार खत्म हो गया है लेकिन जब लेबनीज अमेरिकन जर्नलिस्ट महा अख्तर (Maha Akhtar) ने अपनी बेस्टसेलिंग बुक द महारानी हिडन ग्रेंडडॉटर (The Maharanis Hidden Granddaughter) पब्लिश की, तो सबकुछ बदल गया. इस किताब में उन्होंने बताया कि कैसे अपने बर्थ सर्टिफिकेट की तलाश करते करते उसे पता चला कि वह प्रिंस अजित की बायोलॉजिकल बेटी है. महा के पास एक अंगूठी भी है जो अनिता की थी.
कई टर्न्स और ट्विस्ट के बाद इसमें कोई शक नहीं कि अनिता की जिंदगी लेखकों और फिल्ममेकर्स को प्रेरित करती रहती है. इस दिलचस्प कहानी में कुछ भी फिक्शन नहीं है.
चलते चलते 24 नवंबर की दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1988 : दल बदल कानून के तहत पहली बार सांसद लालदूहोमा को अयोग्य करार दिया गया
1992 : चीन का घरेलू विमान दुर्घटनाग्रस्त, 141 लोगों की मौत
1881 : भारत के स्वाधीनता सेनानी और राजनेता छोटूराम (Chhotu Ram) का जन्म हुआ
1944 : प्रसिद्ध अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक अमोल पालेकर (Amol Palekar) का जन्म हुआ
2003 : हिंदी फिल्मों की मशहूर कॉमेडियन उमा देवी खत्री (Uma Devi Khatri aka Tun Tun) का निधन हुआ