यूपी चुनाव (UP Election) में एक नारा बेहद इस्तेमाल हुआ, नारा था 'अयोध्या तो झांकी है, मथुरा काशी बाकी है'. इस नारे में काशी का इस्तेमाल ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की वजह से हुआ. पिछले कई सालों से काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) बनाम ज्ञानवापी मस्जिद का मामला कोर्ट में लंबित है. दावा है कि स्वयंभू शिवलिंग के ऊपर मस्जिद (mosque) का निर्माण हुआ है. मांग है कि मस्जिद हटाकर वो हिस्सा मंदिर को वापस मिलना चाहिए.
यहां भी मांग हुई कि खुदाई की मांग हुई, लेकिन पूरा मामला सिर्फ इतना नहीं है. भगवान भी कानून के दांवपेच में उलझे हैं. सवाल है कि क्या अयोध्या (Ayodhya) और ज्ञानवापी का मामला एक जैसा है? संपत्ति के मालिकाना हक पर क्या है विवाद ? ASI से खुदाई कराने पर क्या है दलील ? अगर शिवलिंग मस्जिद के नीचे है तो मौजूदा मंदिर (Temple) में किस शिवलिंग की पूजा हो रही है?
ऐसे तमाम मुद्दों को समझने के लिए हमने काशी विश्वनाथ के पुजारी टेक नारायण समेत यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (U.P. Sunni Central Waqf Board) के वकील अभय नाथ यादव और स्वयंभू काशी विश्वनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी से बात की. पहली बार दोनों पक्ष की पूरी दलील देखिए EXCLUSIVE सिर्फ एडिटरजी पर.