Yasin Malik: कश्मीर में ‘आजादी गैंग’ का सरगना है यासीन मलिक...आतंकवादी से बना अलगाववादी नेता

Updated : May 11, 2022 21:45
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Deepak Singh Svaroci

दिल्ली की NIA कोर्ट ने कश्मीर के बड़े अलगाववादी नेता यासीन मलिक के गुनाहों का हिसाब-किताब कर दिया है...यासीन वो शख्स है जिसकी निगहबानी में साल 1987 से लेकर 1994 तक धरती का जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में आतंकवाद फला-फूला...कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से लेकर घाटी में कई बड़ी आतंकी घटनाओं में यासीन का सीधा कनेक्शन रहा है...तभी तो उसकी सजा के ऐलान को लेकर पाकिस्तान में भी कोहराम मचा हुआ है...ऐसे में यासीन के किरदार को जानना दिलचस्प रहेगा..

एक नजर डालते हैं और जानते हैं कि यासीन मलिक पर कौन कौन से चार्ज लगे थे.

यासीन मलिक पर चार्ज
UAPA की धारा 16- आतंकवादी गतिविधि
UAPA की धारा 17- आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाने
UAPA की धारा 18- आतंकवादी कृत्य की साजिश रचने
UAPA की धारा 20- आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होने
भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी- आपराधिक साजिश
भारतीय दंड संहिता की धारा 124-A- देशद्रोह) के तहत बता दें, आतंकवाद से जुड़ा ये मामला 2017 का है.

मामला क्या है?
ये मामला साल 2017 में कश्मीर घाटी में बढ़ी आतंकी घटनाओं और माहौल खराब करने की साजिशें रचने से जुड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मार्च 2022 में कोर्ट ने यासीन मालिक के खिलाफ आरोप तय करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यासीन मलिक ने ‘कश्मीर की आजादी’ के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और दूसरी गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया. साथ ही उसने इन कामों को अंजाम देने के लिए दुनिया भर से धन जुटाने का नेटवर्क भी तैयार किया.

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कौन है यासीन मलिक?

वैसे यासीन मलिक, कश्मीर की राजनीति में हमेशा से सक्रिय रहा है. युवाओं को भड़काने से लेकर उनके हाथों में बंदूक थमाने तक, उसने सब कुछ किया है.
यासीन मलिक पर पाकिस्तान से हथियार लेने के भी आरोप लगे. इसके साथ ही उसपर पाकिस्तानी सपोर्ट से कश्मीर में अशांति फैलाने और हर वक्त घाटी में खुराफात मचाने के आरोप भी लगे हैं.

25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के बाहरी इलाके रावलपोरा में आतंकियों ने वायुसेना के जवानों पर हमला कर दिया था. इस घटना में 40 लोग घायल हुए थे जबकि चार जवान शहीद हो गए थे. भारतीय वायुसेना के 4 निहत्‍थे अधिकारियों की हत्‍या के आरोप, उसने खुद स्वीकार भी किए हैं.

1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में भी यासीन मलिक का हाथ बताया जाता है.

साल 2013 में अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में यासीन मलिक और लश्कर ए तैयबा चीफ हाफिज सईद दोनों पाकिस्तान में भूख हड़ताल पर बैठे.

(भारत में इसपर हंगामा मचने के बाद यासीन मलिक ने कहा गया कि मैं पाकिस्तान निजी कारणों से आया हुआ था. इस बीच अफजल गुरु के फांसी की खबर आई और मैंने इस्लामाबाद में प्रेस क्लब के सामने 24 घंटे की भूख हड़ताल का ऐलान किया. भूख हड़ताल के लिए किसी ने दावत नहीं दी थी.)

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यासीन मलिक ने स्वतंत्रता संग्राम के नाम पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में नेटवर्क बना लिया था.

अब इस मामले में 9 मई को स्पेशल जज प्रवीण सिंह सजा तय करने के लिए दलीलें सुनेंगे. यासीन के खिलाफ जिन धाराओं में मामले दर्ज है, उसमें अधिकतम आजीवान कारावास की सजा मिल सकती है.

Yasin MalikJammu & KashmirTerrorism

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