राजस्थान के कोटा शहर में न जाने कितने छात्र हर साल इंजीनियर और डॉक्टर बनने की चाह में अपने घरों से आतें हैं, लेकिन कोटा में कदम रखते ही ऐसा क्या होता है कि अपने सपनों को पंख देने के बजाय यहां आने वाले छात्र खुद को इस उस उड़ान के काबिल ही नहीं समझते, कोटा में इन दिनों जो हो रहा है, वो ये सोचने को मज़बूर कर रहा है. सालों से राजस्थान का कोटा पढ़ने-लिखने वाले छात्र-छात्राओं के लिए प्रशिक्षण का गढ़ माना जाता है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोटा में छात्रों की आत्महत्या की वजह से लगातार चर्चा में भी बना हुआ है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार कोटा से डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं बात अगस्त के महीने की करें तो अब तक 4 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, वहीं पिछले 8 महीने में कुल 22 छात्रों के आत्महत्या करने की ख़बर है.
आइए एक नज़र डालते हैं अगस्त के महीने में हुई मौतों पर
04 अगस्त 2023
नाम - मनजोत सिंह
उम्र - 17 साल
NEET की कर रहा था तैयारी
05 अगस्त 2023
नाम - भार्गव मिश्रा
उम्र - 17 साल
JEE की कर रहा था तैयारी
10 अगस्त 2023
नाम - मनीष प्रजापति
उम्र - 17 साल
JEE की कर रहा था तैयारी
15 अगस्त 2023
नाम - वाल्मिकी प्रसाद जांगिड़
उम्र - 18 साल
आईआईटी की कर रहा था तैयारी
वाल्मिकी प्रसाद जांगिड़ की कहानी
हैरान करने वाली खबर ये है कि पिछले एक साल में 29 और पिछले दस सालों में ये आंकड़ा 160 से ऊपर भी है. अगर बात 15 अगस्त के वाल्मिकी प्रसाद जांगिड़ की आत्महत्या की करें तो वाल्मीकि दो बहनों का इकलौता भाई था, तकरीबन सात महीने पहले वो कोटा में पढ़ाई करने आया था. 14 अगस्त की शाम को वाल्मीकि से दो बार परिवार की फोन पर बात हुई थी और उस समय उसने कुछ नहीं बताया.जानकारी मिली है कि वाल्मिकी के कक्षा दसवीं-बारहवीं में उसके नंबर अच्छे थे. घरवालों को लगा की उनका बच्चा JEE का एग्ज़ाम पास करके इंजीनियर बन जाएगा. लेकिन जैसे ही वाल्मीकि कोटा पहुंचा और उसने अपने जैसे हज़ारों मासूमों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते देखा उनसे खुद को कमतर समझा और क्योंकि वह अपने परिवार को सच नहीं बता सकता था तो उसने मौत को गले लगा लिया.
क्यों पड़ता है बच्चों पर दबाव?
अगर साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो JEE एग्जाम में 2022 में कुल 10 लाख 26 हजार 799 छात्रों ने परीक्षाएं दी, लेकिन इनमें से केवल ढाई लाख छात्र छात्रों को ही अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल पाया.NEET और JEE के एग्जाम में कोटा की कामयाबी का प्रतिशत 8 से 10 प्रतिशत है. बात अगर देश के बाकि सेंटर्स की करें तो उनकी कामयाबी का ग्राफ थोड़ा नीचे मात्र प्रतिशत है. ये कोटा में छात्रों के आने का एक बड़ा कारण है, इसीलिए जैसे की अभिभाकों के बच्चों के नंबर 80 या 90 प्रतिशत आते हैं, और वो अपने बच्चों पर अपनी उम्मीदों का बोझ डाल देते हैं.
अलर्ट है सरकार
कोटा में छात्रों की खुदखुशी के बढ़ते मामलों से सीएम अशोक गहलोत भी चिंतित हैं, सीएम साहब ने खुद कहा हैं कि " वो डॉक्टर बनना चाहते थे, बहुत मेहनत करने की बाद भी नहीं बने, लेकिन अब मुख्यमंत्री हैं और इससे पहले केंद्र में मंत्री भी रहे हैं, उन्होंने छात्रों के माता-पिता से अपील की है कि वो अपने बच्चों को उनकी पसंद का करियर चुनने की आज़ादी दें". इसी के साथ कोटा के हर एक कोचिंग सेंटर को ये निर्देश दिया गया है कि रविवार को कोई भी टेस्ट या परीक्षा नहीं ली जाएगी. बच्चे पूरी तरह पूरी तरह से फ्री रहेंगे और इस दौरान उनके लिए मोटिवेशनल सेशन का आयोजन किया जाएगा.