Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को कौन ले डूबा? Adhir Vs Mamata 

Updated : Jun 06, 2024 14:17
|
Editorji News Desk

चुनाव प्रचार में दिखे गंभीर, संसद में बीजेपी नेताओं पर जमकर चलाए जुबानी तीर लेकिन इन सबके बावजूद भी पश्चिम बंगाल के बहरामपुर से हार गए कांग्रेस नेता अधीर...

यूं तो ये चुनाव नतीजे कई दिग्गजों को झटका देने वाले साबित हुए लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी की हार के बाद अब उनका राजनीतिक करियर ही सवालों के घेरे में है.

साल 1999 से राज्य के बहरामपुर से सांसद अधीर रंजन चौधरी को इस बार टीएमसी उम्मीदवार यूसुफ पठान के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. क्रिकेट की पिच पर शानदार बैटिंग करने वाले यूसुफ पठान ने राजनीति की पिच पर भी शानदार प्रदर्शन किया और अधीर के छक्के छुड़ा दिए...ऐसा इसलिए क्योंकि बहरामपुर सीट पर एकछत्र राज करने वाले अधीर को 85,000 से ज्यादा वोटों से हार मिली.

अपने राजनीतिक करियर पर सवाल तो खुद अधीर रंजन चौधरी ने ही खड़े कर दिए.

एक बंगाली टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा-

"नहीं पता कि राजनीतिक भविष्य अब कैसा होगा, इस बात की भी आशंका है कि अब कठिन समय आने वाला है. TMC से लड़ाई के चक्कर में अपनी आय का सोर्स तक खतरे में डाल दिया, BPL सासंद हूं और राजनीति के अलावा पास कोई हुनर भी नहीं है. जाहिर तौर पर आने वाले दिनों में अब मुश्किल घड़ी आएगी और नहीं पता उससे कैसे पार पाना होगा. नया घर भी ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है."

अधीर रंजन चौधरी की हार के साथ ही कांग्रेस ने बहरामपुर समेत कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले मुर्शिदाबाद, मालदा उत्तर समेत अन्य इलाकों से अपनी राजनीतिक पकड़ खो दी है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों मिली ये हार और कौन है इसका जिम्मेदार?

क्या ममता बनर्जी से दुश्मनी पड़ी भारी?

अधीर रंजन चौधरी की ममता से राजनीतिक दुश्मनी कोई नई नहीं है. जब-जब अधीर को मौका मिला है तब-तब वो ममता बनर्जी पर जमकर बरसे हैं इसकी तस्दीक करता है चुनाव प्रचार के समय अधीर का दिया ये बयान-

"ममता बनर्जी पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है, उन्होंने गठबंधन छोड़ दिया है और वह भाजपा के साथ जुड़ सकतीं हैं. टीएमसी के बदले बीजेपी को वोट देना बेहतर है."

हार पर जारी बवाल के बीच एक सवाल ये भी सामने आ रहा है कि क्या अधीर ने खुद ही अपनी शिकस्त की जमीन तैयार की, ऐसा इसलिए क्योंकि जब कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन के नेता किसी भी हाल में ममता से दूरी को राजी नहीं थे ऐसे समय भी अधीर के चुनावी तीर थमने का नाम नहीं ले रहे थे और उनके तेवरों की गर्मी बरकरार थी...


तो आइए एक नजर उन आंकड़ों पर भी डालते हैं जो स्याह तस्वीर को साफ करते हुए दिखाई दे रहे है...

- रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की वजह से ही पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के रिश्ते पर बर्फ जमी रही और सीटों के बंटवारे पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी. - अधीर रंजन चौधरी ने तो यहां तक दिया कि उनकी, 'राजनीति ममता बनर्जी के विरोध पर टिकी है, भला वो साथ जाकर नुकसान क्यों उठाना चाहेंगे.'
- अधीर ने यहां तक कहा, 'किसी ऐसे व्यक्ति के पक्ष में नहीं बोल सकता जो हमारी पार्टी के साथ ही मुझे भी बंगाल में राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहे.'

जो भी हो, अधीर रंजन चौधरी की बुलंद आवाज 18वीं लोकसभा में नहीं सुनाई देगी. राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है और माना जा रहा है कि कांग्रेस वरिष्ठ नेता को यूं ही रूठने नहीं देगी और उन्हें राज्यसभा भेज सकती है...अगर ऐसा होता है तो जाहिर तौर पर अधीर के पॉलिटिकल करियर को नया आयाम मिलेगा लेकिन इसे लेकर किसी भी पुष्टि पर भरोसा भला कैसे किया जाए? कांग्रेस के सामने एक तरफ INDIA अलायंस को मजबूत करने की चुनौती है जिसमें TMC एक बड़ा रोल अदा कर सकती हे तो वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी हैं. वो कहते हैं न कि राजनीति में कोई परमानेंट दुश्मन नहीं होता और न ही दोस्त. 

Sunil Lahri: अयोध्या के लोगों पर भड़के टीवी के 'लक्ष्मण', पोस्ट शेयर कर कहा-'शर्म आनी चाहिए'

Adhir Ranjan Chowdhury

Recommended For You

editorji | भारत

History 05th July: दुनिया के सामने आई पहली 'Bikini', BBC ने शुरू किया था पहला News Bulletin; जानें इतिहास

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History 4 July: भारत और अमेरिका की आजादी से जुड़ा है आज का महत्वपूर्ण दिन, विवेकानंद से भी है कनेक्शन

editorji | एडिटरजी स्पेशल

Hathras Stampede: हाथरस के सत्संग की तरह भगदड़ मचे तो कैसे बचाएं जान? ये टिप्स आएंगे काम

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History 3 July: 'गरीबों के बैंक' से जुड़ा है आज का बेहद रोचक इतिहास

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History: आज धरती के भगवान 'डॉक्टर्स' को सम्मानित करने का दिन, देखें इतिहास