London Beer Flood : आपने नदियों में आई बाढ़ का किस्सा पढ़ा होगा, समंदर में सुनामी की खबरें देखी होंगी, बर्फ के पहाड़ भी दरकते देखे होंगे... लेकिन अगर आपसे कोई ये कहे कि दुनिया में एक बार बीयर की सुनामी भी आई थी, तो क्या आप यकीन करेंगे? शायद नहीं... लेकिन ये सच है. यूरोप के लंदन में एक बार बीयर सुनामी बनकर सड़क पर बही थी. आइए जानते हैं इस पूरे किस्से को आज के झरोखा में...
17 अक्टूबर 1814 की शाम... लंदन की Tottenham Court Road के पास एक घर में 4 साल की नन्हीं Hannah Bamfield अपनी मां के साथ बैठी थी... मां के एक हाथ में चाय का प्याला था और दूसरे में एक और नन्हा बच्चा... बगल में एक दूसरे घर के बेसमेंट में एक आइरिश परिवार इकट्ठा था. मौका था एक 2 साल के नन्हें बच्चे की मौत पर शोक प्रकट करने का... बच्चे की मौत पिछले दिन ही हुई थी...
शाम 5 से 6 बजे के बीच, इसी वक्त पोर्टर बीयर की 15 फीट ऊंची उनके घर में अचानक किसी सैलाब बनकर दाखिल हो गई... कोई कुछ समझता इससे पहले ही वह बीयर की सुनामी में समा चुका था.
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नन्हीं Hannah इसमें डूब गई जबकि उसकी मां और उनकी गोद में मौजूद छोटा बच्चा लहर के साथ ही बहने लगे... वहीं आइरिश परिवार (Irish Family) के सभी 5 सदस्य भी इसमें डूब जाते हैं... ये प्रलय कई दीवारों को ढहा देती है... घरों को तहस नहस कर देती है...
हम सभी ने जल प्रलय के बारे में सुना है, बर्फ के पहाड़ खिसकते गिरते देखे हैं लेकिन बीयर की सुनामी का ऐसा विचित्र किस्सा न तो कभी देखा गया और न ही सुना गया... आज हम जानेंगे लंदन की इसी बीयर वाली बाढ़ के बारे में... जब बीयर लंदन की सड़क पर समंदर की लहर बनकर निकला... 17 अक्टूबर 1814 को ही ये घटना हुई थी...
दुनिया में बीयर की कई तरह की किस्मे हैं. इन्हीं में एक किस्म है पोर्टर बीयर. साल 1700 के दरमियान इसे लंदन में ही ईजाद किया गया था. गहरे रूबी भूरे और काले रंग वाली डार्क बीयर का स्वाद चॉकलेट और कारमेल जैसा होता है. इसे जिस कंपनी ने बनाया था उसका नाम था Horseshoe Brewery...
हॉर्स शू ब्रेवरी सिर्फ बीयर ही नहीं बनाती थी बल्कि कंपनी में विशालकाय वैट भी तैयार किए गए जिनके अंदर बीयर को स्टोर करके रखा जाता था. सबसे पहले कंपनी ने 1500 बैरल की क्षमता वाले वैट बनाए और फिर ये आ पहुंची 20 हजार बैरल की क्षमता वाले वैट तक... कंपनी ने जब 10 बैरल वाला वैट तैयार किया था तो इसमें 200 लोगों ने बैठकर डिनर किया था. 81 मीट्रिक टन का लोहा इन वैट को बांधने में लगाया गया था.
रईस लोग बीयर को चाव से पी रहे थे और हॉर्स शू ब्रेवरी कामयाबी का शिखर छूती जा रही थी.. 1811 तक यह लंदन में एक लाख बैरल से ज्यादा के सालाना प्रोडक्शन के साथ छठी सबसे बड़ी ब्रेवरी बन चुकी थी.
लेकिन कंपनी के पीछे एक ऐसी दुनिया थी जो बीयर पीने वाले अमीरों की दुनिया से बहुत अलग थी. हॉर्स शू ब्रेवरी लंदन में Tottenham Court Road और Oxford Street के कोने पर थी. कंपनी के ठीक पीछे एक ऐसा रास्ता था जो एक छोर से बंद था... इसका नाम था New Street.यहां सेंट जाइल्स झुग्गी बस्ती थी, यानी गरीबों का ठिकाना.
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यहां क्राइम रेट काफी था और ये एक तरह का बदनाम इलाका था. किंग्स कॉलेज लंदन में आयरिश लेक्चरर प्रोफेसर रिचर्ड किर्कलैंड ने इसे ऐसी जगह के रूप में पारिभाषित किया था जो 'सामाजिक और आर्थिक पतन के कगार पर' थी. झुग्गियों में ज्यादातर लोग आइरिश मूल के थे और इनमें से कई घरों के बेसमेंट में रहते थे.
17 अक्टूबर 1814 की दोपहर, ब्रेवरी के क्लर्क ने देखा कि 320 किग्रा (700 पाउंड) लोहे के बैंड में से एक जो लकड़ी की वैट को बांधकर रखता था, वह अपनी जगह से खिसक चुका था. उस समय, 32 टन की फरमेंटिंग पोर्टर बीयर इसमें भरी हुई थी.
सुपरवाइजर से उसने इसे रिपोर्ट किया लेकिन उसे बताया गया कि पहले भी बैंड स्लिप हुआ है और जल्द ही इसे रिपेयर कर लिया जाएगा. एक घंटे बाद ही 22 फीट ऊंचा वैट फट गया. लिक्विड ने दूसरे कई दूसरे बैरल को भी तबाह कर दिया.
नतीजा ये हुआ कि लाखों गैलन बीयर सड़कों पर एक साथ बह गई. पोर्टर बीयर की लहर ने ब्रेवरी की पिछली दीवार को ढहा दिया और St Giles झुग्गी बस्ती में सैलाब उमड़ आया.
14 साल की Eleanor Cooper तब मारी गईं जब ब्रेवरी के पीछे की दीवार गिरी. वह इसके नीचे दब गई थीं. 8वीं मौत भी एक बच्चे की ही थी जिसका नाम Sarah Bates था और उसका शव भी एक धराशायी हो चुके घर के मलबे से मिला. ब्रेवरी के सभी कर्मचारी सकुशल रहे.
लंदन की इस बस्ती में उस रोज 6 लाख लीटर से ज्यादा बीयर बही थी... बीयर की नदी जब थमी तो अपने पीछे फोम से सना मलबा छोड़ गई. इस घटना में कुल 8 लोगों की मौत हुई थी लेकिन अगर यही हादसा 1 या 2 घंटे बाद हुआ होता तो शाम को वे लोग भी इसकी चपेट में आते जो काम से घरों को लौट चुके होते....
कचरा साफ करने का काम बुधवार को भी जारी रहा... मकान के मलबे और कचरे से कई लोगों को जिंदा बाहर निकाला गया.
दुर्घटना के बाद एक और दर्दनाक किस्सा हुआ... मलबों में अपनों को तलाश करवाने के लिए चौकीदारों ने लोगों से पैसे भी लिए. ढेरों लोग इस मौके पर इकट्ठा हो गए थे.
हालांकि अखबारों ने रिपोर्ट कुछ और ही छापी. द टाइम्स की एक रिपोर्ट ने स्थानीय लोगों की सराहना की और बताया कि मलबे में फंसे लोगों की तलाश करने के लिए भीड़ खामोश हो गई थी, ताकि चीखें साफ सुनी जा सकें... लगभग हर अखबार ने लोगों की तारीफें ही की थीं.
लेकिन ऐसी बातें भी सामने आई कि तबाही के बीच बर्तन और पैन लेकर लोग बीयर इकट्ठा करने के लिए जुट गए थे...
Amber, Gold & Black: The History of Britain's Great Beers के लेखक मार्टिन कॉर्नेल बताते हैं: "लंदन के किसी भी समाचार पत्र ने ऐसी रिपोर्ट नहीं दिखाई कि लोग तबाही के बाद बीयर बटोरने की होड़ में लग गए... जबकि उन्होंने लोगों के इकट्ठा होने और सभ्य आचरण को ही प्रकाशित किया. आगे चलकर दंगे और बीयर पीकर लोगों के बहकने की खबरें सामने आई.
ज्यूडिशियल ऑफिसर ने हादसे को ‘casually, accidentally और दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. आखिरकार, कोर्ट के फैसले में इसे ऐक्ट ऑफ गॉड बताया गया और ब्रेवरी के मालिकों को किसी भी तरह का कंपेनसेशन देने के लिए मजबूर नहीं किया गया बल्कि ब्रेवरी के ऊपर से एक्साइज टैक्स हटा लिया गया. ऐसा उसके बीयर के नुकसान को देखते हुए किया गया था. यही नहीं, कंपनी को 7,250 पाउंड का मुआवजा भी मिला. पीड़ितों को कुछ नहीं मिला.
बीयर की बाढ़ का नतीजा ये हुआ कि बड़े लकड़ी के वैट को धीरे धीरे बाहर कर दिया गया और कंक्रीट के वैट तैयार किए गए.
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हॉर्स शू ब्रेवरी इस घटना के तुरंत बाद फिर से प्रोडक्शन के काम में जुट गई. 100 साल से भी ज्यादा वक्त बाद यह 1921 में बंद हुई तब यहां डोमिनियन थिएटर खोला गया. दो सौ साल पहले वहां जो भयानक दृश्य सामने आया था, उसे अब काफी हद तक भुला दिया गया है. इस घटना से जुड़ा कोई मेमोरियल भी नहीं बनाया गया. हालांकि एक स्थानीय पब - द होलबोर्न विपेट - हर साल इसे लेकर एक स्पेशल एनिवर्सरी मनाता है.
घटना की तुलना शीरे की उस बाढ़ से की जाती है जो 100 से ज्यादा वर्ष बाद 1919 में बोस्टन में हुई थी. ये भी वैट टूटने का ही मामला था. तब विशाल वैट में रखा शीरा यानी गुड़ जैसे पदार्थ ने बोस्टन एलिवेटेड रेलवे के कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचाया था. इसमें 21 लोगों की मौत हुई थी जबकि 150 अन्य घायल हुए थे.
बात बीयर की हुई है तो आइए बीयर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें भी जान लेते हैं-
दुनिया की सबसे स्ट्रॉन्गेस्ट बीयर की स्ट्रेंथ 67.5% है. इसे 2017 में स्कॉटिश ब्रेवरी Brewmeister ने बनाया था. इस बीयर को Snake Venom नाम दिया गया.
Cenosillicaphobia एक ऐसा फियर है जो बीयर की खाली ग्लास को देखकर होता है.
बीयर की सबसे पुरानी रेसिपी 4 हजार साल पुरानी है जिसे Sumerians ने बनाया था.
बियार कभी इजिप्ट में नेशनल करेंसी रही है.
बीयर की पहली बोतल 1850 में बेची गई थी और पहली बीयर कैन 24 जनवरी, 1935 को अमेरिका में बेची गई थी.
1963 में, Albert Heineken ने एक बीयर की बोतल बनाई जिसे गरीब देशों में स्थायी आवास बनाने के लिए ईंट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता था.
चलते चलते 17 अक्टूबर को हुई दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1817- अलीगढ़ ओरिएंटल कॉलेज (Aligarh Oriental College) के संस्थापक सर सैयद अहमद खां (Sir Syed Ahmad Khan) का जन्म हुआ.
1933- अल्बर्ट आइंसटाइन (Albert Einstein) नाजी जर्मनी से भागकर अमेरिका पहुंचे.
1955- ऐक्ट्रेस स्मिता पाटील (Smita Patil) का जन्म हुआ.