Loudspeaker Row: BJP पर गरम रहने वाले Raj Thackeray, उद्धव सरकार पर सख्त क्यों?

Updated : Jul 02, 2022 21:11
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Deepak Singh Svaroci

Maharashtra Politics: पूरे देश में हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर BJP भले ही आक्रामक दिख रही हो लेकिन महाराष्ट्र (Maharashtra) में उनका अब तक बहुत खास असर नहीं दिखा है. हालांकि महाराष्ट्र की राजनीति में हाशिए पर जा चुके राज ठाकरे (Raj Thackeray) एक बार फिर हिंदुत्व (Hindutva) के मुद्दे को लेकर अपने पुराने रंग में नज़र आ रहे हैं. लाउडस्पीकर मुद्दे को लेकर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर से ऐलान किया है कि जहां मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं उतरेगा, वहां हनुमान चालीसा चलेगा. ऐसे में सियासी गलियारों में भी इस बात की चर्चा जोर-शोर से है कि राज ठाकरे के पीछे कहीं बीजेपी का सपोर्ट तो काम नहीं कर रहा है.

राजनीति में नहीं टिकती दोस्ती-दुश्मनी

कहते हैं राजनीति में दोस्ती हो या दुश्मनी लंबे समय तक टिकती नहीं. महाराष्ट्र की राजनीति में दोनों ही उदाहरण मिल जाएंगे. शिवसेना से बीजेपी की 25 साल पुरानी दोस्ती सत्ता की भेंट चढ़ गई. वहीं कुछ दिनों पहले तक प्रधानमंत्री मोदी को कोसने वाले राज ठाकरे इन दिनों अपने भाई और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए ही चुनौती बन गए हैं. औरंगाबाद में राज ठाकरे की रैली में जुटी भीड़, इशारा कर रही है कि महाराष्ट्र में उनको सुनने वालों की आज भी कमी नहीं. लाउडस्पीकर मुद्दे ने राज ठाकरे को एक नया अवसर दिया है और प्रतीक के तौर पर उनके साथ हैं बाला साहेब ठाकरे.

हालांकि पुत्र उद्धव खुद सीएम हैं लेकिन राज ठाकरे ने स्वर्गीय पिता को ही उनके सामने खड़ा कर दिया है.

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उद्धव के सामने बाल ठाकरे

हालांकि बीजेपी ने बाला साहेब के नाम पर कई बार उद्धव सरकार को निशाने पर लिया है. लेकिन शिवसेना ने ज्यादा लोड नहीं लिया. वहीं जब राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर मुद्दे को लेकर हमला बोला तो शिवसेना में खलबली मच गई. अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने राज ठाकरे को बीजेपी की रखैल तक कह डाला. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा जोर-शोर से है कि राज ठाकरे के पीछे बीजेपी का सपोर्ट काम कर रहा है. लेकिन क्यों?

राज ठाकरे के निशाने पर उद्धव क्यों?

  • 2019 महाराष्ट्र चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी बीजेपी सत्ता तक नहीं पहुंच सकी
  • दूसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली
  • बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका बदलने की वजह से शिवसेना ने बदला पाला
  • 2014 तक बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में थी तो शिवसेना बड़े भाई की भूमिका में
  • 2019 तक पूरी कहानी बदल चुकी थी, नाराज शिवसेना ने बीजेपी से तोड़ लिया गठबंधन
  • अब राज ठाकरे को आगे कर शिवसेना पर निशाना साधने की कोशिश कर रही है बीजेपी

राज ठाकरे को इस बात का भी मलाल रहा है कि बाल ठाकरे जब तक ज़िदा थे तब तक राज ठाकरे ही उनके उत्तराधिकारी माने जाते रहे. लेकिन जब बाल ठाकरे बीमार रहने लगे तब पुत्र मोह उन पर हावी हो गया और उद्धव को अपनी विरासत दे गए. जबकि उद्धव ठाकरे तब राजनीति में दखल भी नहीं रखते थे. हलांकि राज ठाकरे जानते हैं कि बीजेपी, किसी भी क्षेत्रीय पार्टियों का इस्तेमाल अपने हित में कर सकती है. जैसे बिहार में उन्होंने चिराग पासवान का इस्तेमाल किया और नीतीश कुमार को तीसरे पर ले आए. तेलंगाना के नगर निगम चुनाव में ओवैसी का इस्तेमाल करके अपना प्रदर्शन बेहतर किया.

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बीजेपी के लिए राज ठाकरे जरूरी क्यों?

बीजेपी के लिए जरूरी है कि वह महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सामने एक वैकल्पिक नैरेटिव खड़ा करे. ऐसे में जो काम चाहकर भी बीजेपी नहीं कर पा रही थी, वह राज ठाकरे बख़ूबी कर रहे हैं. महाविकास अघाड़ी गठबंधन को सत्ता से दूर रखने के लिए बीजेपी को किसी का साथ चाहिए. ऐसे में बीजेपी को यह साथ राज ठाकरे के रूप में मिल रहा है. ठीक वैसे ही जैसे जैसे बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए तीनों दल एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस एक साथ आई थीं.

BJP-MNS की मुश्किल

हालांकि राजनीति में वक्त बदलते देर नहीं लगता. बीजेपी महाराष्ट्र में अपने लिए नए साथी की तलाश में है. फिलहाल राज ठाकरे बीजेपी गठबंधन के साथ मिलकर सीटों के लिए दबाव बनाने की स्थिति में तो नहीं है. लेकिन अगर हालात बदल गए तो कौन रोक सकता है.

एक दौर वो भी था जब मुंबई से शिवसेना या बीजेपी का एक भी प्रतिनिधि संसद नहीं पहुंचा था, तब भी एमएनएस ने मुंबई मराठियों की है वाला कैंपेन चलाया. बीजेपी और शिवसेना को इससे भारी नुकसान भी पहुंचा था. महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे की पार्टी का अकेले भी वजूद है. एक दौर में एमएनएस के 11 विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे थे. आज उनका केवल एक विधायक है. मौजूदा दौर में राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस मुंबई और उसके आसपास के इलाके में ही सिमट कर रह गई है. जबकि उनका लक्ष्य अब राज्य की राजनीति में बड़े भूमिका की तैयारी की है. महाराष्ट्र की सियासत, मीडिया और दूसरी जगहों पर जिस प्रकार राज ठाकरे की चर्चा हो रही है उसके बाद उन्होंने अपने कदम आगे बढ़ा दिए हैं. वहीं बीजेपी के लिए भी राज ठाकरे के रूप में शिवसेना के लिए काट मिल गया है. बीजेपी को उम्मीद है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर राज ठाकरे का साथ मिले तो शिवसेना को घेरा जा सकता है. और राज ठाकरे गठबंधन में अगर शामिल हो तो उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. वहीं राज ठाकरे बीजेपी का साथ पाकर एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं.

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हालांकि एक बात यह भी है कि अब राजनीतिक ट्रेंड बदल रहा है. 60 के दशक में कांग्रेस पार्टी भारत की राजनीति का केंद्र बिंदु हुआ करती थी. पिछले सात सालों से बीजेपी राजनीति के केंद्र बिंदु में है, इसलिए अब विपक्षी पार्टियां बीजेपी के ख़िलाफ़ लामबंद हो रही है. वहीं एक सवाल यह भी उठता है कि पांच साल पहले तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो अपनी रैली में दिखा कर अपने लिए जगह बनाने वाले राज ठाकरे, बीजेपी के साथ कैसे जाएंगे?

बीजेपी में भीतरखाने भी इस बात की चर्चा हो रही है कि क्या राज ठाकरे को जरूरत से ज्यादा आगे बढ़ाना ठीक होगा? क्योंकि पहले भी बीजेपी की यही राय थी कि हिंदुत्व के मुद्दे पर वह शिवसेना को काफी पीछे छोड़ देगी. लेकिन क्या हुआ वह सबके सामने है. ऐसे में अगर राज ठाकरे के लिए जनसमर्थन बढ़ता गया तो भविष्य में बीजेपी के लिए ही बड़ा खतरा ना पैदा हो जाए.

Raj ThackerayBJPMaharashtra

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