बचपन से आपने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) होने का मतलब सत्य, अहिंसा, जुझारूपन और आंदोलन समझा है... पीएम मोदी (PM Narendra Modi) हों या उनसे पहले के प्रधानमंत्री, विदेश यात्रा के दौरान सभी ख़ुद को महात्मा गांधी की पीढ़ी बताते हैं और पूरी दुनिया को उनके बताए मार्ग पर चलने की नसीहत देते हैं. क्या आपने किसी स्वदेशी नेता को विदेश में गोडसे (Nathram Godse) के विचारों का उल्लेख करते सुना है या गोडसे के सिद्धांतों पर बढ़ते हुए वैश्विक समस्या का हल ढूंढ़ने का सुझाव देते हुए देखा है?
अगर नहीं तो फिर क्या वजह है कि अपने देश के अंदर ही गांधी को बार-बार मारा जा रहा है? ताज़ा मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता का है, जहां दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja 2022) में महिषासुर के चेहरे की जगह महात्मा गांधी जैसा दिखने वाला एक चेहरा लगाया गया है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक इस पंडाल में दुर्गापूजा (Durga Puja 2022) का आयोजन अखिल भारतीय हिंदू महासभा (All India Hindu Mahasabha) ने किया है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा, PFI की तरह बैन किया गया संगठन नहीं है. लेकिन इस तस्वीर से जो संदेश दिया जा रहा है क्या वह हिंसा का नहीं है? गांधी की हत्या करने का मतलब उनके विचारों को मारना है. देश से अहिंसा और सहिष्णुता को ख़त्म करना है.
गांधी जयंती पर इवेंट क्यों?
साल 2019 में गांधी की 150वीं जयंती पर भारत सरकार ने बापू का जन्मदिन मनाने के लिए पूरे देश में कई सरकारी कार्यक्रमों या यूं कहें कि इवेंट का आयोजन किया था. ताकि लोगों तक उनके विचारों को पहुंचाया जा सके. स्वच्छता अभियान हो या कोरोना महामारी, पीएम मोदी ने बार-बार गांधी के बताए मार्ग का उल्लेख किया है. फिर क्या वजह है कि एक वर्ग गांधी के विचारों को नफ़रत से ख़त्म करने पर तुला है. क्या एक बार फिर से पीएम मोदी की तपस्या में कहीं कमी रह गई? अगर नहीं तो अखिल भारतीय हिंदू महासभा और उसके राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय पर सख़्त कार्रवाई क्यों नहीं होती? आज इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात आपके अपने कार्यक्रम मसला क्या है में?
राजघाट जाकर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
यह तस्वीर देखिए, दिल्ली स्थित राजघाट की है. पीएम मोदी यहां रविवार को गांधी जयंती के मौके पर बापू को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. पीएम मोदी ने बापू की 153वीं जयंती पर उन्हें पुष्प समर्पित कर नमन किया. इतना ही नहीं इस मौके पर पीएम ने लोगों से खादी और हस्तशिल्प उत्पाद खरीदने की भी अपील की.
अब एक और तस्वीर देखिए, यह अगस्त महीने की ही है. जब प्रधानमंत्री 27 अगस्त को गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर थे. इस दौरान पीएम मोदी साबरमती रिवरफ्रंट पर खादी उत्सव में शामिल हुए और 7500 खादी कारीगर महिलाओं के साथ चरखा चलाया. इतना ही नहीं विदेश से जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत दौरे पर आते हैं तो पीएम मोदी उन्हें गुजरात के साबरमती आश्रम नहीं ले जाना भूलते.
विदेशी राष्ट्राध्यक्ष क्यों जाते हैं साबरमती-राजघाट
ये चार तस्वीरें देखिए... पहली तस्वीर में पीएम मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दिख रहे हैं, दूसरी तस्वीर में वह अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ दिख रहे हैं. वहीं तीसरी तस्वीर में पीएम मोदी, ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और चौथी तस्वीर में वह जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ दिख रहे हैं. ये सभी तस्वीरें गांधी की कर्मस्थली गुजरात स्थित साबरमती आश्रम की हैं. इन सभी तस्वीरों में वह दुनिया के चार बड़े राष्ट्राध्यक्षों के साथ देखे जा सकते हैं.
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मतलब साफ है गांधी मॉडल पूरी दुनिया में मशहूर है. भारत से बाहर के लोग हमारे देश को गांधी की धरती के तौर पर ही देखते हैं. यही वजह है कि पीएम मोदी सभी राष्ट्राध्यक्षों को साबरमती आश्रम ले जाते हैं और यह बताने नहीं भूलते कि भारत शांतिप्रिय देश है.
अब दो और तस्वीरें देखिए... पहली तस्वीर कोलकाता के एक दुर्गा पूजा पंडाल की है. यहां पर देवी दुर्गा के साथ महिषासुर की जगह पर गांधी को दिखलाया गया है. इतना ही नहीं इस बारे में जब हिंदू महासभा के अध्यक्ष चंद्रचूड़ गोस्वामी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम गांधी को असली असुर के तौर पर देखते हैं. इसलिए हमने ये मूर्ति लगाई है.
अब दूसरी तस्वीर देखिए. यह वीडियो 30 जनवरी 2019 की है. जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव डॉ. पूजा शकुन पांडेय ने गांधी के पुतले को तीन गोलियां मारकर उनकी हत्या के सीन को दोहराया. एक गोली से पुतले के अंदर रखी थैली फूट गई, जिसके बाद ख़ून जैसा कोई लिक्विड सड़क पर बहता नजर आया. इतना ही नहीं इसके बाद गांधी के पुतले पर पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया गया.
सोचिए दोनों तस्वीरें एक ही देश से हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी तमाम बड़े मौक़ों पर देशवासियों को बापू की सीख बताते रहते हैं. फिर चाहे वह स्वच्छता आंदोलन हो या खादी महोत्सव. वहीं दूसरी तरफ उनके ही देश में खुलेआम उसी गांधी को सांकेतिक तरीके से बार-बार मारा जा रहा है. या यूं कहें कि उनके विचारों को हराने की कोशिश की जा रही है. ताकि इनके विचारों वाला भारत बनाया जा सके.
विडंबना देखिए यति नरसिंहानंद जैसे लोग ना केवल डॉ. पूजा की गिरफ्तारी का विरोध करते हैं, बल्कि गांधी के विचारों से ही आगे की लड़ाई लड़ने का संकल्प लेते हैं. यह हेडलाइन पढ़िए- डॉ. पूजा के बचाव में सामने आए संन्यासी, गिरफ्तारी हुई तो करेंगे अनशन: नरसिंहानंद... सोचिए देश को अनशन कर अपनी बात मनवाना किसने सिखाया? तो सवाल उठता है कि भारत में क्या इस तरह से गांधी के विचारों को समाप्त किया जा सकता है?
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राहुल गांधी की यह तस्वीर, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, बता रही है कि भारत में एक बड़ा वर्ग हिंसा और नफ़रत के खिलाफ़ है.
बारिश में राहुल गांधी बोल रहे हैं, इस तस्वीर को ऐसे मत देखिए. इसे इस तरह देखिए कि बारिश के बीच सिर पर कुर्सी लेकर खड़ा हुजूम सुन क्या रहा है? राहुल गांधी कह रहे हैं- कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा पहुंची है. नदी जैसी यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलेगी. इस नदी में आपको हिंसा, नफरत नहीं दिखेगी. सिर्फ प्यार और भाईचारा दिखेगा.
आखिर में एक और वीडियो देखिए... इसमें राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी उन लोगों को जवाब दे रहे हैं, जिसमें कुछ लोग पीएम मोदी के दीया जलाने और ताली-थाली बजाने के आह्वान का मज़ाक बना रहे हैं. सुधांशु त्रिवेदी, पीएम मोदी के आह्वान की तुलना बापू के चरखे को राष्ट्र की संकल्प शक्ति के प्रतीक बनाने से कर रहे हैं. मतलब साफ है, गांधी एक ऐसी दवा हैं जिसनें हर किसी को बाहर निकलने का रास्ता दिया है, फिर कोई आम हो या ख़ास?
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सवाल यह है कि अपने ही देश में बापू के विचारों को बार-बार मारने की कोशिश क्यों की जा रही है, गांधी के विचारों से किसे ख़तरा है? क्या गांधी के विचारों को मारने से हमारा देश विश्वगुरु बनेगा या फिर विषगुरु.. इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात. हमारे साथ बातचीत करने के लिए जुड़ गए हैं- गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत...