Congress New President : लगभग 24 सालों बाद कांग्रेस पार्टी को गांधी परिवार से इतर कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष मिला है. कांग्रेस पार्टी का अब तक का कुल 137 सालों का इतिहास रहा है. जिसमें ताज़ा चुनाव मिलाकर छठी बार अध्यक्ष पद के लिए चुनाव करवाया गया. पार्टी महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक, अध्यक्ष पद के लिए अब तक 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए हैं. अगर राजस्थान वाला एपिसोड नहीं हुआ होता तो अशोक गहलोत का अध्यक्ष बनना तय था.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या गांधी परिवार की नज़दीकियों की वजह से ही मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष पद मिला है या कांग्रेस का गेमप्लान कुछ और है? इस फ़ैसले से एक बात तो साफ़ है कांग्रेस फिलहाल बीजेपी को चुनौती देने के लिए नहीं, ख़ुद को मजब़ूत करने के लिए जद्दोजहद कर रही है.
बीजेपी ने पहले कांग्रेस को गांधी परिवार की जागीर बताकर लोगों का पार्टी से मोहभंग तोड़ा, बाद में राहुल गांधी पर हल्के कमेंट और हंसी-मज़ाक का पात्र बनाकर उत्तर भारत में कांग्रेस की मटिया पुलित ही कर दी. ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस परिवार अब पीएम मोदी को ध्यान में रखकर ही आगे का प्लान कर रहे हैं. सबसे पहले पीएम मोदी का यह पुराना बयान सुन लीजिए...
Congress अध्यक्ष का चुनाव हारने पर शशि थरूर ने क्या कहा?
क्या यही वजह है कि राहुल गांधी ने सभी की बात काटते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने का फ़ैसला किया और यह सुनिश्चित किया कि इस बार अध्यक्ष गांधी परिवार से ना हो. खड़गे कांग्रेस के लिए ना केवल दलित चेहरा हैं बल्कि गांधी परिवार के बेहद करीबी भी हैं. खड़गे का अध्यक्ष बनना पहले से ही तय माना जा रहा था.
यही वजह थी कि जब राहुल गांधी से पार्टी में उनकी भूमिका से जुड़ा सवाल पूछा गया था, तो उन्होंने कहा था, 'कांग्रेस अध्यक्ष मेरी भूमिका तय करेंगे... खड़गे जी से पूछिए. कांग्रेस अध्यक्ष ही सुप्रीम हैं. मैं अध्यक्ष को ही रिपोर्ट करूंगा. पार्टी के नए अध्यक्ष ही पार्टी में मेरी भूमिका तय करेंगे.'
हालांकि खड़गे का सियासी किरदार भी बेहद शानदार रहा है. वह अब तक 12 चुनाव जीते हैं. सिर्फ 2019 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. कर्नाटक में उनका बड़ा जनाधार माना जाता है. तीन बार वह सीएम बनते बनते रह गए थे. अगले साल कर्नाटक में चुनाव होने हैं.
सवाल उठता है कि दक्षिण भारत के नेता, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में अपनी पहुंच कैसे मजबूत करेंगे या फिर खड़गे के चुनाव की मुख्य वजह ही दक्षिण में कांग्रेस को मजबूत करना है. आपको याद होगा फरवरी 2021 में तिरुवनंतपुरम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि वहां की राजनीति देखकर उन्हें ख़ुशी हुई, क्योंकि वहां के लोग राजनीति को बारीकी से लेते हैं. सिर्फ हवा में बयानबाजी नहीं करते हैं. फिर 'भारत जोड़ो यात्रा' और अब खड़गे को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना.
Mallikarjun Kharge: 'बकरे ईद में बचेंगे तो मोहर्रम में नाचेंगे' ऐसा क्यों बोले मल्लिकार्जुन खड़गे ?
ऐसा लगता है कि राहुल गांधी अपना सिक्का पहले दक्षिण भारत में जमाना चाहते हैं. एक बात और भी है कि वरिष्ठ नेता होने के नाते खड़गे को कोई हल्का बताने की भूल नहीं करेगा. पार्टी के अंदर भी और बाहर भी. जैसा कि अब तक बाकी अध्यक्षों को लेकर होता रहा है. खड़गे की साफ-सुथरी और शांत स्वभाव वाली छवि की असली परीक्षा राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में होगी. जहां पर पहले से ही पार्टी के अंदर अंतर्कलह रही है और गांधी परिवार की वजह से तूफ़ान से पहले वाला सन्नाटा पसरा है.
ऐसे में अगर मौजूदा हालात को देखें तो बस यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस आने वाले समय में आक्रामक होने से ज़्यादा ख़ुद को संभालने की कोशिश में दिख रही है. गहलोत की जगह खड़गे को अध्यक्ष बनाना कांग्रेस की मजबूरी है या आपदा में अवसर वाली बात है. आज इन्हीं तमाम मुद्दों पर होगी बात, आपके आपने कार्यक्रम में, जिसका नाम है मसला क्या है?
Congress President: खड़गे के अध्यक्ष बनने पर कांग्रेस के बड़े नेताओं ने क्या कहा?