McDonald’s Founder Ray Kroc Story : हम से से कई लोगों ने पहली बार जिस जगह बर्गर को मजे से खाया होगा, वह McDonald’s ही रही होगी. बर्गर, कोल्डड्रिंक की दीवानगी बढ़ाने वाले McDonald’s करोड़ों लोगों की भूख मिटाने वाली खुराक का पहला नाम है. दुनिया को McDonald’s फास्ट फूड का चस्का लगाने वाले Ray Kroc का आज जन्मदिन है. आइए जानते हैं फास्ट फूड के पितामत क्रॉक को करीब से.
1974 में ऑस्टिन की टेक्सस यूनिवर्सिटी में मैकडॉनल्स के संस्थापक Ray Kroc ने लेक्चर दिया. बाद में, स्टूडेंट्स ने रे से साथ में बियर पीने की रिक्वेस्ट की. रे इसपर सहमत भी हो गए. जब सबके हाथ में बियर के मग आ गए तब स्टूडेंट्स से रे ने पूछा कि क्या वे जानते हैं कि रे का बिजनेस है क्या? यह सुनकर विद्यार्थी हंस दिए... ज्यादातर ने इस सवाल को मजाक में लिया. फिर एक स्टूडेंट ने जवाब दिया कि जाहिर है, वे हेमबर्गर बेचने के कारोबार में हैं.
लेकिन अब रे मुस्कुराए और बोले- मुझे पता था, आप सब यही कहोगे... वे रुके और आगे कहा कि मेरा काम तो रियल एस्टेट का है. मेरा असल काम हैमबर्गर कारोबार नहीं हैं. रे के बिजनेस प्लान का केंद्र हेमबर्गर फ्रेंचाइजी बेचने का था लेकिन उन्होंने फ्रैंचाइजी की जगह पर भी नजरें गड़ाई रखीं.
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वे जानते थे कि फ्रैंचाइजी की कामयाबी में जमीन और इसकी जगह सबसे अहम थे. मोटे तौर पर जो शख्स रे क्रॉक की कंपनी की फ्रेंचाइजी खरीदता, वह उसके नीचे की जमीन खरीद रहा था.
आज मैकडॉनल्ड्स संसार में रियल एस्टेट का सबसे बड़ा मालिक है, जिसके पास कैथलिक चर्च से भी ज्यादा जमीन है. मैकडॉनल्ड्स के पास अमेरिका और पूरी दुनिया के सबसे कीमती चौराहे और नुक्कड़ हैं.
लेकिन Ray Kroc से पहले भी McDonald’s का जन्म हो चुका था. 1954 में 52 साल के सेल्समैन रे क्रॉक (Ray Kroc) मल्टी- मिक्सर बेचने का कारोबार कर रहे थे. तब तक Richard and Maurice McDonald, 1940 में मैकडॉनल्ड बना चुके थे... लेकिन ये एक आम रेस्टोरेंट जैसे ही चल रहा था... जहां बिजनेस तो था लेकिन आगे बढ़ने की कोशिश शून्य थी... एक दिन रे क्रॉक मैकडॉनल्ड्स (Mcdonald’s) रेस्तरां गए. तब रिचर्ड और मॉरिस मैकडॉनल्ड्स (Mcdonald’s) हर कस्टमर को सिर्फ 8 सेकेंड में बर्गर दे रहे थे.
वह एक बार में 40 मिल्क शेक बना रहे थे. ग्राहक उनके रेस्टोरेंट पर टूटे पड़े रहते थे. रे क्रॉक (Ray Kroc) को लगा, जैसे मैकडॉनल्ड्स (Mcdonald’s) भाइयों ने हेनरी फोर्ड की असेंबली लाइन की टेक्नोलॉजी रेस्तरां में लागू कर दी हो. self-service में बर्तन साफ करने की झंझट नहीं थी. प्लास्टिक की प्लेट और पेपर नैपकिन काम आसान बना चुके थे.
रे क्रॉक (Ray Kroc) के दिमाग में विचार आया, कि क्यों ना इसी तरह के रेस्तरां की चेन खोली जाए. उन्होंने मैकडॉनल्ड्स (Mcdonald’s) भाइयों को रेस्तरां चेन खोलने का सुझाव दिया. लेकिन जब वे लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए, तो रे क्रॉक (Ray Kroc) ने यह काम खुद कर दिया. (Ray Kroc) के मन में आने वाला यही विचार मैकडॉनल्ड्स (Mcdonald’s) के विशाल साम्राज्य की बुनियाद है. इसी के बाद रे क्रॉक के हाथों McDonald’s का पुनर्जन्म हुआ.
लेकिन रे क्रॉक की जिंदगी का एक पन्ना यहां पलटना बाकी रह गया...
15 साल की उम्र में क्रॉक ने पहले विश्व युद्ध में रेड क्रॉस एम्बुलेंस सर्विस से जुड़ने के लिए झूठ बोला था. ये झूठ उम्र को लेकर था. उन्हें ट्रेनिंग के लिए कनेक्टिकट भेजा गया था, जहां उन्हें वॉल्ट डिज़्नी भी मिले थे. कमाल की बात ये थी कि डिज्नी ने भी काम के लिए तब झूठ का सहारा लिया था. लेकिन क्रॉक के पहुंचने से पहले युद्ध खत्म हो गया. अब उन्हें फॉरेन सर्विस में भेज दिया गया. क्रॉक फिर शिकागो लौट आए और 1920 और 30 के दशक में जैज़ पियालिस्ट, रियल-एस्टेट सेल्समैन, और लिली-ट्यूलिप कप कंपनी के लिए पेपर-कप सेल्समैन सहित कई नौकरियां की.
1940 के दशक की शुरुआत में वह "मल्टीमिक्सर" के लिए एक्सक्लूसिव डिस्ट्रीब्यूटर बन गए. ये एक ऐसा ब्लेंडर था जो एक साथ पांच मिल्क शेक मिला सकता है.
जब रे McDonald’s की नई कहानी लिखनी शुरू कर रहे थे तब उनकी उम्र 52 साल की हो चुकी थी. उन्होंने बाद में 1977 में आई अपनी ऑटोबायोग्रफी Grinding It Out में लिखा- मैं 52 साल का था. मुझे डायबिटीज थी और आर्थराइटिज भी. मैं अपना गाल ब्लेडर और थाईराइड का ज्यादातर ग्लैंड खो चुका था. लेकिन वह जानते थे कि अभी उन्हें कुछ करना बाकी है.
मिक्सर ग्राइंडर बेचने की नौकरी के दौरान, रे क्रॉक मैकडॉनल्ड के रेस्तरां पहुंचे थे. जहां उन्होंने पहली बार कस्टमर्स को सेल्फ सर्विस करते देखा. रे क्रॉक को 'मैकडॉनल्ड' का यह तरीका पसंद आया और उन्होंने उसी तरह से बर्गर बेचने का, रेस्तरां चलाने का लाइसेंस मैकडॉनल्ड बंधुओं से खरीदा. आज के हिसाब से रे क्रॉक ने फ्रेंचाइजी खरीदी थी. हॉलीवुड से जुड़े मैकडॉनल्ड बंधु इसे अपने साइड बिजनेस के तौर पर चला रहे थे, इसलिए उन्होंने रे क्रॉक को वह रेस्तरां सर्वाधिकार के साथ, ज्यादा कीमत चुकाकर खरीदना पड़ा.
रे क्रॉक ने आलू के अलग अलग टुकड़ों को अलग अलग तेल में तलकर देखा और फिर जाना कि इस साइज का टुकड़ा इतने गरम तेल में इतने समय तक तलने पर बेहतरीन स्वाद देता है. हजारों प्रयोग करके उन्होंने हर तरह के पकवान को बेहतरीन स्वाद वाला बनाया और एक जैसे स्वाद के लिए सूत्र को लिख दिया.
लगातार बेहतरीन स्वाद, हेल्दी और क्लीन माहौल, बेस्ट कस्टमर सर्विस के फॉर्मूले पर चलते हुए McDonald’s रेस्तरां की फील्ड में मील का पत्थर न गया. उसका नाम दूर दूर तक फैल गया. इस कारोबार को बढ़ाने के लिए रे क्रॉक ने पहले से चली आ रहे तरीकों के हिसाब से कोशिशें की लेकिन हर बार मुश्किलें आती रहीं. हर ब्रांच के लिए जो चीज सबसे जरूरी थी वो थी पूंजी, वक्त और समय.
रे क्रॉक ने बहुत पूंजी कमाई थी, वे मेहनत से भी पीछे नहीं थे, लेकिन समस्या थी वक्त की. हर इंसान की तरह उनके पास भी दिन में 24 घंटे ही थे. जिसमें से वे अधिकतम 20 घंटे ही काम कर सकते थे. इन 20 घंटों में भी वे पूरी तरह से 2 ही रेस्तरां चला सकते थे. वे दो-तीन या चार रेस्तराओं के लिए मेहनत कर सकते थे.
कमाई की पूंजी से वे 4-5 रेस्तरां शुरू कर सकते थे. उनसे मिले मुनाफे से और, फिर और, फिर और... लेकिन समय की समस्या थी, जिसमें दो से ज्यादा रेस्तरां चलाना असंभव था.
इसका समाधान परंपरागत तरीकों से था कि हर जगह एक मैनेजर रखा जाए. यहां समस्या ये थी कि नौकर कभी मालिक की तरह काम नहीं कर सकता है. रे क्रॉक ने सोचा कि McDonald’s नाम और तीन फॉर्मूले अगर किसी भी रेस्तरां में हों और उसे नौकर की जगह मालिक चलाए, तो ऐसा हर रेस्तरां चलेगा.
बस यहीं उन्होंने दुनिया को और कारोबार जगत को नई चीज़ दे डाली.
रे क्रॉक ने अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को जोड़ने की योजना बनाई. रे ने उन्हें मालिक बनकर McDonald’s की शाखा शुरू करने की बात समझाई. इसमें रे क्रॉक ने उन्हें अपना नाम McDonald’s देने और कामयाब सिस्टम सिखाने का प्रपोजल रखा.
इसे पार्टनरशिप में ही रे ने 98% और 2% का प्रस्ताव भी रखा जिसमें 98 फीसदी ब्रांच मालिक को और 2 फीसदी रे क्रॉक को मिलता. प्रस्ताव अच्छा था लेकिन लोगों ने उसपर काम करने की बजाय अपनी शंकाएं सामने रखीं जिनका कोई अंत न था.
हर शंका का समाधान असंभव था. लोगों ने रे क्रॉक को पागल करार दिया, जो अपना नाम और कारोबार के रहस्य दूसरों को सिखाने के लिए तैयार थे. ऐसा पागलपन अब तक किसी ने नहीं किया था इसलिए उस प्रस्ताव पर काम करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. कहा जाता है कि नैंसी ने, जो कि शायद रे क्रॉक की कोई रिश्तेदार थी, उन्होंने इस प्रस्ताव को माना और व्यापार जगत में नई क्रांति का शुभारंभ हुई.
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नैंसी ने उसी डिजाइन का रेस्तरा अपनी पूंजी से शुरू किया. इस पर एक ही तरीके से मैकडॉनल्ड लिखा गया था. रे क्रॉक ने नैन्सी को अपने तीनों सिद्धांतों के साथ कामयाब सिस्टम सिखाया, उसके साथ मेहनत भी की. इस वजह से नैंसी की मैकडॉनल्ड शाखा चल निकली.
रे क्रॉक ने नैन्सी को एक बार सिखाया, फिर सिखाने की जरूरत नहीं पड़ी. रे क्रॉक को पागल कहने वाले लोग, एक के बाद एक लौटकर आने लगे और नई नई ब्रांचेस खुलने लगी. 1984 में रे क्रॉक की मृत्यु के वक्त दुनिया में मैकडॉनल्ड की 8 हजार शाखाएं खुल चुकी थीं. मृत्यु के बाद भी यह सिलसिला चलता रहा. और साल 2001 तक मैकडॉनल्ड की लगभग 25 हजार ब्रांचेस खुल चुकी थीं.
रे क्रॉक ने मृत्यु से पहले ही एक फूड सप्लायर डिपार्टमेंट खोल दिया था, जो हर रेस्तरां तक चीजें 80 फीसदी तैयार करके पहुंचाता था. आज हर 15 घंटे में एक मैकडॉनल्ड की ब्रांच हर जगह खुल रही है.
1961 में, क्रॉक ने इलिनोइस के इल्क ग्रोव गांव में एक नए मैकडॉनल्ड रेस्टोरेंट में ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया जिसे बाद में हैमबर्गर यूनिवर्सिटी के नाम से जाना गया. वहां, एक कामयाब मैकडॉनल्ड्स रेस्तरां चलाने के लिए फ्रेंचाइजी को ट्रेनिंग दी जाती थी. हैंबर्गर यूनिवर्सिटी ने बाद में रिसर्च और डेवलपमेंट लैबोरेट्री भी खोली. इसमें से लगभग 3 लाख फ्रेंचाइजी, मैनेजर और कर्मचारी ग्रेजुएट हो चुके हैं.
एक कमाल की बात और... जब रे क्रॉक (Ray Kroc) 4 साल के थे, तो उनके पिता उन्हें एक फ्रेनोलॉजिस्ट के पास ले गए थे. उन्होंने रे क्रॉक (Ray Kroc) के मस्तिष्क की जांच करके बताया कि यह बच्चा आगे चलकर या तो शेफ बनेगा या फूड इंडस्ट्री में जाएगा. तब उनके पिता को क्या मालूम था, कि यह लड़का आगे चलकर आधुनिक फास्ट फूड इंडस्ट्री की नींव रखेगा, और दुनिया की नंबर वन फास्ट फूड चेन को शुरू करेगा.
दुनिया में हर 15 घंटे में एक नया McDonald’s रेस्टोरेंट खुल जाता है
यूके की जितनी आबादी है उससे ज्यादा लोग हर दिन McDonald’s में खाते हैं
McDonald का निशान क्रॉस के निशान से भी ज्यादा मशहूर है
इंग्लैंड की दिवंगत महारानी के पास भी McDonald’s के एक आउटलेट का मालिकाना हक था
McDonald’s हर साल 7 करोड़ 50 लाख डॉलर से ज्यादा कमाई कर लेता है, जो भारत में 6 अरब से भी ज्यादा हो जाता है
2021 में McDonald’s के दुनियाभर में 40,031 रेस्टोरेंट थे...
1880 - अलोंजो टी क्रॉस ने आज ही के दिन पहले बॉल प्वॉइंट पेन का पेटेंट कराया
1805 - भारत में ब्रिटिश राज के दूसरे गवर्नर जनरल लार्ड कार्नवालिस का गाजीपुर में निधन
1962 - जेम्स बॉन्ड सीरीज की पहली फिल्म ‘Dr. No’ रिलीज हुई
2011 - Apple के को फाउंडर स्टीव जॉब्स का 2011 में 56 वर्ष की आयु में निधन