मुझे क्या मिलेगा नहीं, मैं देश को क्या दे रहा हूं पूछें... मोहन भागवत का ये बयान क्या कहता है?

Updated : Aug 25, 2022 20:41
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Deepak Singh Svaroci

Azadi ka Amrit Mahotsav : आजादी के अमृत महोत्सव पर ना केवल तिरंगा की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है, बल्कि देशवासी होने का भी नया मतलब समझाया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने आज़ादी के 75वें वर्ष पर नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में तिरंगा तो लहराया. लेकिन तिरंगे के तीनों रंग का अर्थ ही बदलकर रख दिया.

मोहन भागवत मे बताया कि राष्ट्र ध्वज में सबसे ऊपर स्थित रंग, यानी कि केसरिया, त्याग, कर्म, प्रकाश और ज्ञान का रंग है. उन्होंने कहा कि हम पवित्र बनेंगे, हमारा मन विकारों से ग्रस्त नहीं होगा इसलिए दूसरा रंग सफेद है. और हरा रंग लक्ष्मी जी का प्रतीक है. जो सभी प्रकार की समृद्धि दिखाती है. उन्होंने कहा कि, यह सब हम धर्म का पालन करके ही कर सकते हैं, इसलिए ध्वज के केंद्र में धर्म चक्र है.

इन बातों को समझकर हमें परिश्रम करना चाहिए. हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि मुझे क्या मिलेगा. मैं अपने देश को क्या दे रहा हूं. इसका विचार करके ही हमें अपना जीवन जीने की आवश्यकता है.

चर्चा को आगे बढ़ाएं, उससे पहले एक बार मोहन भागवत के उस बयान को सुन लेते हैं.

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने जब मौजूदा तिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया. तब केसरिया रंग को देश की शक्ति और साहस के तौर पर परिभाषित किया गया. वहीं बीच की सफेद पट्टी को धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक बताया गया. जबकि निचली हरी पट्टी को उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता के तौर पर दर्शाया गया. इसके बीचों-बीच गहरे नीले रंग का एक चक्र है. नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता है. जो अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है. और इसमें 24 तीलियां है. 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को प्रदर्शित करती है. मनुष्य के लिए बनाये गए 24 धर्म मार्ग की तुलना अशोक चक्र की 24 तीलियों से की गई हैं. 

अशोक चक्र के अंदर मौजूद 24 तीलियों का भी अलग-अलग महत्व है.

पहली तीली- संयम (संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है)

दूसरी तीली- आरोग्य (निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है)

तीसरी तीली- शांति (देश में शांति व्यवस्था कायम रखने की सलाह)

चौथी तीली- त्याग (देश एवं समाज के लिए त्याग की भावना का विकास)

पांचवीं तीली- शील (व्यक्तिगत स्वभाव में शीलता की शिक्षा)

छठवीं तीली- सेवा (देश एवं समाज की सेवा की शिक्षा)

सातवीं तीली- क्षमा (मनुष्य एवं प्राणियों के प्रति क्षमा की भावना)

आठवीं तीली- प्रेम (देश एवं समाज के प्रति प्रेम की भावना)

नौवीं तीली- मैत्री (समाज में मैत्री की भावना)

दसवीं तीली- बन्धुत्व (देश प्रेम एवं बंधुत्व को बढ़ावा देना)

ग्यारहवीं तीली- संगठन (राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत रखना)

बारहवीं तीली- कल्याण (देश व समाज के लिये कल्याणकारी कार्यों में भाग लेना)

तेरहवीं तीली- समृद्धि (देश एवं समाज की समृद्धि में योगदान देना)

चौदहवीं तीली- उद्योग (देश की औद्योगिक प्रगति में सहायता करना)

पंद्रहवीं तीली- सुरक्षा (देश की सुरक्षा के लिए सदैव तैयार रहना)

सोलहवीं तीली- नियम (निजी जिंदगी में नियम संयम से बर्ताव करना)

सत्रहवीं तीली- समता (समता मूलक समाज की स्थापना करना)

अठारहवी तीली- अर्थ (धन का सदुपयोग करना)

उन्नीसवीं तीली- नीति (देश की नीति के प्रति निष्ठा रखना)

बीसवीं तीली- न्याय (सभी के लिए न्याय की बात करना)

इक्कीसवीं तीली- सहकार्य (आपस में मिलजुल कार्य करना)

बाईसवीं तीली- कर्तव्य (अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना)

तेईसवी तीली- अधिकार (अधिकारों का दुरूपयोग न करना)

चौबीसवीं तीली- बुद्धिमत्ता (देश की समृधि के लिए स्वयं का बौद्धिक विकास करना)

क्या किसी व्यक्ति के लिए तिरंगा की नई परिभाषा गढ़ना इतना आसान है? या देशवासी को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, उसको लेकर भी नए तरीके से परिभाषा गढ़ी जाएगी? मोहन भागवत अपने बयान में कहते हैं, हमें ये नहीं सोचना चाहिए कि मुझे क्या मिलेगा. मैं अपने देश को क्या दे रहा हूं. इसका विचार करके ही हमें अपना जीवन जीने की आवश्यकता है. तो क्या लोगों से कहा जा रहा है कि अब वह सरकार से सवाल ही ना करे. पिछले 70 सालों की सरकार के दौरान भी देश में किसी ना किसी की सरकार रही है? क्या यही बात तब बीजेपी या RSS के लोग कहते थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर एक बार फिर से लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर देश को संबोधित किया. यह लगातार नौंवी बार है जब पीएम मोदी ने इस मौके पर देशवासियों को संबोधित किया. लगभग 80 मिनट के इस भाषण में पीएम मोदी ने एक बार फिर देश के गौरव को बढ़ाने और अपनी विरासत पर गर्व करने की नसीहत दी. मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि कौन सा ऐसा भारतीय है जो अपने अतीत पर शर्म महसूस करता है. खैर इसको फिलहाल रहने देते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि हमें 2047 तक भारत को विकसित बनाना है. गुलामी के सारे अंश को दूर करना है. अपने विरासत पर गर्व करना सीखना है.

इसके साथ ही पीएम मोदी ने महिला सम्मान को देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए कहा कि हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं. उन्होंने देशवासियों से सवाल करते हुए कहा कि क्या हम अपने व्यवहार में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं? तो क्या हम उम्मीद करें कि अब प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद अब देश में महिलाओं के साथ होने वाला अपमान रुक जाएगा. ठीक वैसे ही जैसे स्वच्छता अभियान की अपील के बाद देश से गंदगी ख़त्म हो गई. क्या अब हमें प्रधानमंत्री से यह सवाल भी नहीं करना चाहिए कि पिछले 8 सालों में जो आपने वादे किए थे उसका क्या हुआ? आपके उन वादों का क्या हुआ जो 2022 में पूरे होने थे. क्योंकि अगला टारगेट तो आपने 2047 का दिया है. क्या लोगों को हर साल 2 करोड़ के हिसाब से 16 करोड़ रोजगार मिल गए? क्या बुलेट ट्रेन चलने लगी, क्या बिना नल वाला ही मकान सबको मिल गया? क्या किसानों की आय दोगुनी हो गई?

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग 

1.22 करोड़ घर बनाने की मिली थी मंजूरी

अब तक सिर्फ 61 लाख मकान बने हैं

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय

2014 में किसानों की आय ₹ 6,426

2021 तक बढ़कर 10,218 हुई किसानों की आय

अश्विनी वैष्णव

2026 तक चलेगी पहली बुलेट ट्रेन

गुजरात के सूरत और बिलीमोरा के बीच चलेगी पहली ट्रेन

मिनिस्ट्री ऑफ़ हाउसिंग के डाटा के मुताबिक 1.22 करोड़ घर बनाने की मंजूरी मिली थी. इनमें से अब तक 61 लाख़ मकान ही बने हैं. दिए किसी को नहीं गए हैं. वहीं किसानों की आय की बात करें तो राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के मुताबिक 2014 में किसानों की आय ₹ 6,426 थी जो 2021 तक बढ़कर 10,218 हुई है.  

वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक 2026 तक गुजरात के सूरत और बिलीमोरा के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन चल जाएगी. तो मोहन भागवत की नई परिभाषा के मुताबिक क्या हमें सरकार से यह नहीं पूछना चाहिए कि आपने जो वादा किया था उसका क्या हुआ?  

PM ModiIndependence dayMohan Bhagwat

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