No Confidence Motion: संसद में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संख्याबल के बूते एक तरफ जहां मोदी सरकार बेफिक्र है, वहीं, इतिहास के पन्नों को पेलट कर देखें तो पता चलता है कि देश में कई बार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान मौजूदा सरकार गिर गई. इस दौरान देश के चार प्रधानमंत्रियों को अपनी कर्सी गंवानी पड़ी. आई जानते हैं कब-कब और किन-किन प्रधानमंत्रियों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा...
पंडित नेहरू के काल में आया पहला अविश्वास प्रस्ताव
अविश्वास प्रस्ताव लाने का सिलसिला देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय ही शुरू हो गया था. नेहरू के खिलाफ 1963 में देश का पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 मत पड़े थे जबकि विरोध में 347 मत आए थे. हालांकि इस दौरान जवाहर लाल नेहरू की सरकार बच गई थी.
देश के चार प्रधानमंत्री गवां चुके हैं अपना पद
1979 में मोरारजी देसाई के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. इस दौरान मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई थी.
1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के खिलाफ भी सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
1997 जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री रहे एचडी देवगौड़ा की सरकार में भी अविश्वास प्रस्ताव के चक्कर में चली गई थी.
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा था, जहां मात्र एक वोट से बीजेपी की सरकार गिर गई थी.
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