हिंदू-मुसलमान, मंगलसूत्र और पाकिस्तान... इन सभी मुद्दों के बाद अब लोकसभा चुनाव में एंट्री हुई है आतंकी अजमल कसाब की...वही अजमल कसाब जो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और जिसने 2008 के मुंबई हमलों के दौरान कई लोगों को अपनी गोली से निशाना बनाया.
आखिर लोकसभा चुनाव में आतंकी अजमल कसाब का जिक्र किसने और किस पर निशाना साधते हुए किया ये जानना भी बेहद दिलचस्प है...सबसे पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा, "मुंबई पुलिस के अधिकारी हेमंत करकरे की हत्या आतंकी अजमल कसाब की गोली से नहीं हुई बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वफादार पुलिस अधिकारी की गोली से हुई थी...उज्ज्वल निकम गद्दार है, जिसने इस तथ्य को छुपाया."
पांच मई को दिया गया यही बयान सियासी भूचाल की वजह बना हुआ है और उज्ज्वल निकम को बीजेपी ने मुंबई North Central से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है.
कांग्रेस के इस आरोप पर भला बीजेपी कहां चुप रहने वाली थी, तुरंत ही बीजेपी हमलावर हो गई...बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने सोशल मीडिया X पर लिखा-
कांग्रेस अपने खास वोटबैंक को खुश करने और उसे पाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और LoP विजय वडेट्टीवार ने 26/11 के आतंकियों को क्लीन चिट देकर ये बात साबित कर दी। उनके मुताबिक शहीद हेमंत करकरे जी पर कसाब ने गोली नहीं चलाई थी. क्या आतंकियों का पक्ष लेते समय कांग्रेस को बिल्कुल भी शर्म नहीं आई? आज पूरे देश को ये भी पता चल गया है कि क्यों कांग्रेस और शहजादे की जीत के लिए पाकिस्तान में दुआएं मांगी जा रही हैं.
बीजेपी उम्मीदवार उज्ज्वल निकम के समर्थन में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी उतरे और कहा-
"विपक्ष अजमल कसाब को लेकर चिंतित है और निकम को निशाना बनाकरर आतंकियों का समर्थन करना चाहती है."
इस मामले के तूल पकड़ते ही विजय वडेट्टीवार ने भी सफाई दी और एक किताब का हवाला तक दे दिया-
विजय वडेट्टीवार ने कहा- हेमंत करकरे की हत्या आतंकियों की गोली से नहीं हुई, ये बात मैं नहीं बल्कि पुलिस अफसर एस एम मुश्रीफ ने अपनी किताब में छपवाई है...रिपोर्ट्स के मुताबिक विजय वडेट्टीवार बोले- "किताब में लिखा है कि हेमंत करकरे की जिस गोली से हत्या हुई है वो गोली आतंकियों की नहीं है और इस बात को वकील उज्ज्वल निकम ने कोर्ट के आगे क्यों नहीं रखा."
वडेट्टीवार यहीं नहीं रुके और कहा- "अजमल कसाब को फांसी देना कोई बड़ी बात नहीं है. कोई भी सामान्य वकील और बेलआउट करने वाला वकील भी ये काम कर सकता था."
अहम ये भी है कि पूर्व आईजी एसएम मुश्रीफ ने हेमंत करकरे की हत्या की जांच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और याचिका दायर की थी. लाइव लॉ कि रिपोर्ट की मानें तो याचिका में जिक्र किया गया था कि हेमंत करकरे की हत्या पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब और अबू इस्माइल नहीं बल्कि उन लोगों ने की जो उनकी हत्या की साजिश से फायदा उठाना चाहते थे. हालांकि, टॉप कोर्ट ने इस मामलो के बाद में खारिज कर दिया था.
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने भी इस मुद्दे पर जो कहा, अब वो भी सुन लीजिए-
"RSS और करकरे साहब का झगड़ा चल रहा था...इसलिए इस प्रकार की बातें आती हैं, ATS ने उस समय तो लोगों को पकड़ा था एक साध्वी प्रज्ञा सिंह और दूसरे कर्नल पुरोहित जो RSS से जुड़े लोग थे...RSS के लोग कहते थे कि करकरे साहब ने गलत तरीके से एक्शन लिया है और उनका अंदरुनी संघर्ष चल रहा था."
जो भी हो...देश में कुछ मुद्दों का लेकर तनाव है क्योंकि चुनाव है... ऐसे मुद्दे जहां कुछ दलों के हाथ बटेर लगने का काम कर रहे हैं तो वहीं कुछ दलों के लिए बैकफायर भी कर सकते हैं.