History 19 June: 58 साल पहले आज ही के दिन अंग्रेजी अखबार के एक कार्टूनिस्ट ने राजनीतिक पार्टी बनाई. खुद कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन उनका बेटा एक वक्त पर राज्य का मुख्यमंत्री तक बना.
हम बात कर रहे हैं...महाराष्ट्र की सबसे मजबूत पार्टियों में से एक शिवसेना की. जिसकी नींव 19 जून 1966 में बाला साहब ठाकरे ने रखी थी. उन्होंने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा. लेकिन उनकी पार्टी कई बार महाराष्ट्र की सियासत में किंगमेकर साबित हुई.
मराठी लोगों के अधिकारों के संघर्ष के लिए इस पार्टी का गठन किया गया. शिवसेना के गठन से पहले बाल ठाकरे एक अंग्रेजी अखबार में कार्टूनिस्ट थे. उनके पिता ने मराठी बोलने वालों के लिए अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन किया था.
1990 में शिवसेना ने पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें 183 में से पार्टी के 52 प्रत्याशियों को जीत मिली. इससे एक साल पहले 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में पहली बार शिवसेना का कोई नेता लोकसभा पहुंचा. बॉम्बे नॉर्थ सेंट्रल सीट से जीते विद्याधर संभाजी गोखले शिवसेना के पहले सांसद थे.
ठाकरे 90 के दशक में महाराष्ट्र की राजनीति में किंगमेकर रहे, लेकिन 2019 में उनका परिवार किंगमेकर से किंग की भूमिका में आ गया. बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और पोते आदित्य ठाकरे ने विधानसभा चुनाव लड़ा.
1961: ब्रिटेन से आजाद हुआ था कुवैत
इतिहास के अगले अंश की तरफ बढ़ते हैं. करीब 45 भारतीय मजदूरों की अग्निकांड में मौत के बाद कुवैत दुनियाभर की खबरों में बना हुआ है. उसी कुवैत से आज का इतिहास जुड़ा है.
दरअसल, 19वीं शताब्दी में कुवैत पश्चिमी देशों में व्यापार का एक अहम केंद्र बनकर उभरा. लेकिन ब्रिटेन का प्रभाव कुवैत पर बहुत ज्यादा था.
साल 1937 में कुवैत में भारी मात्रा में तेल भंडार होने का पता चला और इराक कुवैत पर अपना दावा करने लगा. इधर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की हालत पहले जैसी नहीं रही.
लिहाजा आज ही के दिन साल 1961 में ब्रिटेन ने कुवैत को आजाद कर दिया. इसके बाद 1963 में कुवैत ने संविधान को अपनाया और निर्वाचित संसद की स्थापना की. ऐसा करने वाला वो पहला अरब देश बना.
फिलहाल कुवैत को दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है. पर कैपिटा इनकम के लिहाज से कुवैत दुनिया के टॉप 10 देशों में शुमार है.
कुवैत की करेंसी कुवैती दीनार की वैल्यू 250 भारतीय रुपए से भी ज्यादा है. जो अमेरिकी डॉलर से भी तीन गुना ज्यादा है. दुनियाभर के कुल ऑइल रिजर्व का करीब 6% कुवैत के पास है और यही इस देश की इकोनॉमी की रीढ़ है.
1981: भारत ने APPLE सैटेलाइट लॉन्च की
अब बात भारत की दूरसंचार क्रांति से जुड़े इतिहास की. आज से 43 साल पहले सन 1981 में भारत ने APPLE नाम का सैटेलाइट लॉन्च किया था. जिसने दुनिया भर भारत को एक नई पहचान दिलाई.
इस सैटेलाइट का इतिहास टेलिविजन और रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के प्रयोगों के लिए किया गया था. ये भारत के लिए बहुत सम्मान और गर्व का अवसर था. एप्पल को 13 अगस्त, 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था. उन्होंने सांकेतिक रूप में एप्पल का मॉडल संचार मंत्री को सौंपते हुए कहा था कि एप्पल ने ‘भारत के उपग्रह संचार युग की शुरूआत’ की है.
1981 को ही 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को प्रधानमंत्री के संबोधन का एप्पल द्वारा सीधा प्रसारण किया गया था. इसकी पहली सालगिरह पर भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट जारी किया था. व्यापक परीक्षण करने हेतु एप्पल का लगभग दो सालों तक उपयोग किया गया और 19 सितंबर, 1985 में निष्क्रिय घोषित कर दिया गया.
APPLE यानी एरिएन पैसेंजर पे लोड एक्सपेरिमेंट ने तकनीकी विकास और संचार उपग्रह के अनुभव में बहुत लाभ पहुंचाया.
APPLE भारत का पहला संचार उपग्रह था. इस उपग्रह का वजन 670 किलो ऊंचाई और चौड़ाई 1.2 मीटर थी और इसकी ऑनबोर्ड पॉवर 210 वाट थी.
19 जून की यादें -
2018: भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में सत्ताधारी पीडीपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया.
2017: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने काबुल एयरपोर्ट पर पहले अफगानिस्तान-भारत एयर कॉरिडोर का उद्धघाटन किया. इसके जरिए पाकिस्तान के एयर स्पेस का इस्तेमाल किए बिना दोनों देशों के बीच हवाई यातायात किया जा सकता है.
1981: भारत ने APPLE सैटेलाइट लॉन्च की.
1953: अमेरिका में जूलियस और एथेल रोजनबर्ग को फांसी दी गई. अमेरिकी इतिहास में ये पहली बार हुआ, जब जासूसी के शक में किसी अमेरिकी नागरिक को फांसी दी गई.
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