Cyber Crime: सेक्सुअल हैरेसमेंट केस 6300%, साइबर क्राइम 400% बढ़े! कहां जा रहा 24 हजार करोड़?

Updated : Aug 23, 2022 17:30
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Deepak Singh Svaroci

Online Sexual Harassment Case and Cyber Crime Case :  नए समय के साथ लोगों का अपडेट होना बहुत ज़रूरी है अन्यथा आप वक़्त के साथ कदमताल मिलाकर नहीं चल पाएंगे. सीखने की ज़िम्मेदारी आपकी है और सिखाने की हमारी. इसी क्रम में कल यानी सोमवार को मैंने आपको बताया था कि 28 करोड़ पीएफ खाताधारकों (EPF Account) का ऑनलाइन डाटा (Online data leak) लीक हो गया है. लेकिन डिजीटल के खतरे एकतरफा नहीं हैं. सावधानी हटी और दुर्घटना घटी. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक देश में सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस 6300% बढ़ गए हैं. वहीं अगर साइबर क्राइम की बात करें तो वह भी पहले के मुकाबले 400 प्रतिशत बढ़े हैं. 

सेक्सुअल हैरेसमेंट (Sexual Harassment) के दर्ज़ मामले

सिर्फ सेक्सुअल हैरेसमेंट (Sexual Harassment) के मामले को देखें तो 2016 में 51 मामले दर्ज हुए थे. जो 2020 तक बढ़कर 3,293 हो गए हैं. statista.com से मिले डाटा के अनुसार साल 2016 में सेक्सुअल हैरेसमेंट के 51 मामले दर्ज हुए थे. जबकि साल 2017 में 81, वहीं साल 2018 में 2030 मामले सामने आए, तो साल 2019 में 2,266 मामले, जबकि साल 2020 में सेक्सुअल हैरेसमेंट के 3,293 मामले दर्ज किए गए हैं.  

ये वह मामले हैं जो दर्ज़ किए गए हैं. ज़ाहिर है भारत देश की एक बड़ी आबादी ने अभी डिजीटल दुनिया को समझना शुरू ही किया है. ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उन्हें फ्रॉड या क्राइम से बचने के तरीके आते होंगे, बेईमानी होगी. हालांकि एक सच यह भी है कि सरकार डाटा सिक्योरिटी के नाम पर 24 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. उसका क्या असर हुआ, उसपर तफ़सील से बात प्रोग्राम के आखिर में करेंगे.

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साइबर क्राइम के प्रकार (Types of Cyber Crime)

फिलहाल साइबर क्राइम (Cyber Crime) के मामले और टाइप को समझ लेते हैं. कुल साइबर क्राइम के मामले देखें तो साल 2016 में यह 12,317 थे. जबकि 2020 तक यह आंकड़ा 50,035 पर पहुंच गया है. यानी कि आंकड़ों में लगभग 400 प्रतिशत की वृद्धि.   

आपकी जानकारी के लिए बता दूं साल 2020 में दर्ज हुए साइबर क्राइम के मामलों में 10,395 मामले, केवल साइबर फ्रॉड के थे. यानी कि बैंक से चुराए गए धन. इनमें से 4047 मामले सीधे तौर पर ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के थे. पिछले पांच सालों के आंकड़े देखें तो ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के मामलों में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. साल 2016 में ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के कुल 1,343  मामले दर्ज़ किए गए थे. जबकि 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,047 पर पहुंच गया है. 

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आइडेंटिटी थेफ्ट के मामले (Identity theft)

वहीं 5,110 दर्ज़ मामले आइडेंटिटी थेफ्ट का था. यानी कि आपकी पहचान चुराने का. रिपोर्ट के मुताबिक आइडेंटिटी थेफ्ट के 3,513 केस, सिर्फ कर्नाटक से थे. इसके साथ ही 3,293 मामले यौन उत्पीड़न के थे. जबकि एक्सटॉर्शन के 2,440 मामले. 
 
ओवरऑल साइबर फ्रॉड के मामले देखें तो तेलंगाना- 3,316 मामलों के साथ पहले नंबर पर है, जबकि 2,032 मामलों के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर और 1,294 मामलों के साथ बिहार तीसरे नंबर पर है.  

ऐसे होते हैं ऑनलाइन ठगी (Online Fraud) के शिकार

अब कुछ ख़बरों की हेडलाइन पढ़ कर सुनाता हूं जो हाल के दिनों में घटित हुई हैं. 6 अगस्त 2022 की एक ख़बर है. हालांकि यह ख़बर ऑस्ट्रेलिया की है. लेकिन इसे बताने का मक़सद सिर्फ़ आपको यह बताना है कि लोग किस तरह ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होते हैं.  

1- Cyber Crime: 55 साल से ऊपर के लोगों को फंसाकर ऐंठ लिए 2 मिलियन डॉलर, जानें क्या है 'Hi Mum' कोड?

इस खबर को संक्षेप में समझा देता हूं जिससे आप मज़मून भांप लें. इन दिनों विदेशों में 'Hi Mum' कोड से काफी फ्रॉड हो रहे हैं. अपराधी अज्ञात मोबाइल नंबर से मैसेजिंग एप्पलिकेशन पर टेक्स्ट मैसेज भेजता है और दावा करता है कि व्यक्ति का बेटा या बेटी है. बाद में वो बताता है कि उनके बेटे या बेटी का फोन गुम हो गया है, इसलिए वह पुराना नंबर हटा दे और नया नंबर सेव कर ले. बाद में उसी नंबर से चैट कर पैसे की लेनदेन करता है. 

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अब अपने देश में घटित घटनाओं पर आधारित कुछ ख़बरों की हेडलाइन देख लेते हैं- 

2- जस्ट डायल ने 15 हजार में बेचा डेटा, फर्जी कॉल सेंटर ने कर डाली लाखों की ठगी

3- जमशेदपुर में साइबर क्राइम का अनूठा मामला, बिना कॉल किए साइबर बदमाशों ने उड़ा लिए खाते से 80 हजार

4- बहुत महंगी पड़ी सोशल मीडिया पर अंजानों से दोस्ती, हनीट्रैप में फंसाकर खेला जा रहा ब्लैकमेलिंग का खेल

5- हर तीन में एक भारतीय बच्चा साइबर बुलिंग का शिकार   

इन हेडलाइंस के माध्यम से मैं बस ये बताना चाहता हूं कि आने वाले दिनों में आप किस तरह की मुसीबतों से दो-चार होने वाले हैं. अब एक बार सरकार की तरफ रुख़ करते हैं और जानते हैं कि भारत सरकार भविष्य के इस ख़तरे को लेकर कितनी चौकन्नी है, सतर्क है. 

यूरोपीय संघ ने लागू किया था GDPR

साल 2018 में यूरोपीय संघ ने जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) लागू किया था. बढ़ते साइबर क्राइम्स और कंपनियों के डेटा प्रोटेक्शन की दिशा में इसे एक बड़ा कदम बताया गया. इसके बाद भारत में भी डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम शुरू हुआ. लेकिन संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के संशोधनों और सुझावों के बाद, डेटा प्रोटेक्शन बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है.  

हालांकि भारतीय बैंकिंग, फाइनांस, इंश्योरेंस और IT कंपनियां, साइबर सिक्योरिटी के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती हैं. 2019 से 2022 के बीच देश में साइबर सिक्योरिटी पर होने वाले खर्च में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इनमें सबसे अधिक खर्च बैंकिग सेक्टर और आईटी सेक्टर पर होता है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साइबर सिक्योरिटी पर 2019 में करीब 15 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो 2022 में 24 हजार करोड़ तक पहुंच गया. 

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Cyber Crime पर सख़्ती की ज़रूरत

हमारे देश में साइबर क्राइम को लेकर सरकार को जल्द से जल्द सख्त होने की जरूरत क्यों हैं? अब एक बार इसको भी समझ लेते हैं.  

इंटरनेट यूजर्स की आबादी के लिहाज से भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. वर्तमान में देश की 66% आबादी यानी करीब 85 करोड़ लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्वास्थ्य, बैंकिंग सेक्टर, शिक्षा और रिटेल सेक्टर से जुड़ी ज्यादातर सेवाएं अब ऑनलाइन इस्तेमाल की जा रही हैं. ऐसे में नागरिकों और कंपनियों के लिए चुनौती अपना डाटा सुरक्षित रखने की है. एक दिक्कत और भी है. हमारे देश में डाटा सिक्योरिटी के उल्लंघन के शिकायत की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है. साइबर क्राइम क्या है? कितने प्रकार के होते हैं? सरकार ने इसकी सुरक्षा के लिए क्या क़दम उठाया है? इन्हीं तमाम मुद्दों पर बातचीत करने के लिए हमारे साथ जुड़ गए हैं साइबर मामलों के जानकार राहुल त्यागी...

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