कई धूप तो कहीं छांव है लेकिन चर्चाओं में इस वक्त गुड़गांव है और ऐसा हो भी क्यों न...पहले तो यहां 23 कैंडिडेट्स ने चुनावी मैदान में उतरकर सुर्खियां बटोरीं और अब खबरों में कुशेश्वर भगत हैं.
ये नाम सुनने में साधारण भले ही लगे लेकिन इसके पीछे की कहानी आपके लिए शौकिंग होने के साथ ही इन्स्पायरिंग भी होने वाली है.
दरअसल, कुशेश्वर भगत पाव भाजी बेचते हैं...इंटरनेट पर वड़ा पाव के बाद अब ये पाव भाजी मैन चर्चा में है. पाव भाजी सुनकर आपके मन में जरूर पानी तो आ ही गया होगा लेकिन पानी छोड़िए और कहानी पर फोकस कीजिए.
कुशेश्वर भगत लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और गुड़गांव सीट से उम्मीदवार हैं. अहम ये है कि कुशेश्वर भगत इससे पहले तीन बार लोकसभा और दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं...चौथी बार लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने फिर दावेदारी ठोक दी है.
NCR के रियल एस्टेट हब बन चुके गुरुग्राम में जहां महंगी गाड़ियों और ऊंची बिल्डिंगों की चकाचौंध हैं तो वहीं कुशेश्वर भगत पूरे दिन धूप में घूमकर अपने लिए वोट मांगते हैं और शाम होते ही पाव भाजी की रेहड़ी सजा लेते हैं.
ये ईश्वर की कृपा है कि कुशेश्वर का हौसला डिगता ही नहीं है.
कैसी है कुशेश्वर भगत की तैयारी?
सेक्टर-15 में कई सालों से पाव भाजी की रेहड़ी लगाने वाले कुशेश्वर भगत घर-घर, गली-गली, कॉलोनी-कॉलोनी, गांव-गांव जाकर अपना चुनाव प्रचार करने में जुटे हैं. सुबह होते ही वो प्रचार की तैयारियों में जुट जाते हैं और अपना सफर शुरू कर देते हैं...शाम होते ही पाव भाजी की रेहड़ी लगाकर भी रोजगार के साथ ही प्रचार भी चलता रहता है क्योंकि उन्होंने पाव भाजी की रेहड़ी पर चुनाव निशान के साथ ही बैनर भी लगाया हुआ है...अपने कस्टमर्स से भी वो वोट देने की अपील करते रहते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की भी जताई थी इच्छा
पाव भाजी विक्रेता कुशेश्वर भगत देश के राष्ट्रपति के पद के लिए भी आवेदन करने की तैयारी कर रहे में थे लेकिन बिना संसदों की रिकमन्डेशन के बिना आवेदन न किए जाने की बात मालूम चलते ही उनके हाथ से ये अवसर चूक गया.
क्यों लड़ना चाहते हैं चुनाव?
कुशेश्वर भगत ने कहा कि वो देश में बदलाव लाने के लिए हर बार चुनाव लड़ते रहेंगे. चुनाव लड़ने के पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि, "यूं तो कई मुद्दे हैं- कोई भी सरकार, कोई भी सांसद जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है और ऐसी व्यवस्था मंजूर नहीं है...मौजूदा सांसद रील वाले सांसद हैं और उन्होंने गुरुग्राम के लिए कोई भी काम नहीं किया, दावे खूब किए लेकिन विकास नहीं."
क्यों बेचते हैं पाव भाजी?
1996 से गुरुग्राम में पाव भाजी बना रहे कुशेश्वर भगत ने पाव भाजी की रेहड़ी लगाने के सवाल पर जवाब दिया कि- "पहले बिहार से मुंबई गया, वहां किस्मत आजमाने का प्रयास किया लेकिन काम नहीं मिला तो पाव भाजी बनानी सीखी और तभी से इस काम को कर रहा हूं."
दूसरे शब्दों में यूं कह लीजिए कि बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों का मुकाबला पाव भाजी से है. ये देखना वाकई दिलचस्प होगा कि क्या इस बार वोटर पाव भाजी बेचने वाले कुशेश्वर से राजी होगा या उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा है.