PM Modi ने जब 'सौगंध मुझे इस मिट्टी की' वाला नारा गढ़ा था तो पूरे मैदान में तालियां गूंज रही थी. तब लोगों ने कहां सोचा था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कभी वह दिन भी आएगा, जब दूसरे देश भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर भारतीय समुदाय से माफी मांगने को कहेंगे...
कतर की राजधानी दोहा में भारतीय दूत को विदेश मंत्रालय ने तलब किया और भारत सरकार से सार्वजनिक माफी और इन टिप्पणियों की तत्काल निंदा की मांग की... कुवैत ने भी भारत के राजदूत को तलब किया और इन शत्रुतापूर्ण बयानों के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की.
वहीं ईरान के विदेश मंत्रालय ने तेहरान में भारतीय राजदूत को समन कर विरोध जताया. ईरान की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय राजदूत धामू गद्दाम ने मीटिंग के दौरान भारत की तरफ से माफी मांगी और कहा कि पैगंबर के खिलाफ कोई भी अपमान अस्वीकार्य है.
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वहीं सऊदी अरब ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की टिप्पणी को "अपमानजनक" बताया और "विश्वासों और धर्मों के लिए सम्मान" का आह्वान किया है. इतना ही नहीं इस घटना के बाद #Stopinsulting_ProphetMuhammad सऊदी अरब में नंबर-1 सोशल ट्रेंड चल रहा है. अरब के लोग वहां हिंदुस्तानी समानों के बहिष्कार का अभियान चला रहे हैं.
इस मुद्दे पर 57 देशों के इस्लामिक संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने भी आपत्ति जताई और कहा कि भारत की सत्ताधारी पार्टी से जुड़े एक व्यक्ति के दिए विवादास्पद बयान की वो कड़ी आलोचना करता है.
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एक के बाद एक कई ट्वीट कर ओआईसी ने कहा कि भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ सुनियोजित तरीके से हिंसा बढ़ रही है, उनपर पाबंदियां लगाई जा रही हैं. ओआईसी ने अपने ट्वीट में हिजाब बैन और मुसलमानों की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने जैसी ख़बरों का भी ज़िक्र किया.
कतर और कुवैत स्थित भारतीय दूतावास के प्रवक्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि वे ट्वीट किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते हैं. ये हाशिए के तत्वों के विचार हैं.
मुस्लिम समूहों की ओर से इन टिप्पणियों पर नाराज़गी जताए जाने के बाद बीजेपी ने एक बयान जारी कर कहा कि वो सभी धर्मों का सम्मान करती है और किसी धार्मिक व्यक्तित्व के अपमान का कड़ी आलोचना करती है.
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इससे पहले बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा और दिल्ली बीजेपी के नेता नवीन कुमार जिंदल को पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के कारण कार्रवाई करने का फ़ैसला किया है.
नूपुर शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया है जबकि नवीन कुमार जिंदल को पार्टी से निष्कासित करने का फ़ैसला किया गया है.
पीएम मोदी के बयानों की लंबी लिस्ट है. इन सब दावों में एक ही बात कॉमन हैं. उन्होंने जो भी दावे किए, कुछ ही दिनों में उसका असर उल्टा हो गया...
24.20 से (पीएम मोदी का दिल्ली रैली वाला बयान...)
पीएम मोदी जिस पेट्रोल-डीजल के दामों के कम होने की बात कर रहे हैं, भारत में वह महंगाई के सर्वोत्तम रिकॉर्ड स्तर पर है. ऐसा नहीं है कि रूस-यूक्रन के युद्ध की वजह से ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं. 18 फरवरी 2021 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में पहली बार पेट्रोल के दाम 100 रुपये के पार पहुंचे.. तब से 100 रुपये पेट्रोल और 90 रुपये डीजल के दाम सामान्य लगने लगे हैं. इसे आसाना भाषा में न्यू नॉर्मल भी कह सकते हैं...
एक साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन बदनसीबी देखिए, केंद्र सरकार की तरफ से दो बार बड़ी रियायत देने के बावजूद कई शहरों में आंकड़ा 100 के नीचे तक नहीं पहुंचा है.
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जहां तक जेब में पैसे बचने की बात है तो आज आटा-चावल से लेकर सब्जी-भाजी तक... जूते-चप्पलों से लेकर फोन और लैपटॉप तक सभी के रेट बढ़ गए हैं. नौकरी है तो ऑफिस जाना और आना, नहीं है तो नौकरी ढूंढ़ना, कुछ भी आसान नहीं रह गया है. अगर दिल्ली जैसे शहर में किसी शख्स की सैलरी पचास हजार रुपये है तो उसके जेब में कितना बचता है...
हमने आपको समझाने के लिए एक कैरेक्टर लिया है. जिनका नाम विनोद जी है... उनकी सैलरी पचास हजार रुपये हैं.. परिवार में विनोद जी के अलावा उनकी पत्नी, बूढ़े माता-पिता और एक बेटा-बेटी हैं. एक बेटा है जो दूसरी कक्षा में पढ़ता है और एक बेटी है जो आठवीं क्लास में पढ़ती है...
बेटे-बेटी की पढ़ाई में महीने का तकरीबन 20 हजार रुपये खर्च होता है. और हां मैं यहां जिस स्कूल की बात कर रहा हूं वह टॉप ब्रांड का नहीं है, बल्कि एक औसत स्कूल है.. यहां पर पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों के मां-बाप नौकरी पेशा हैं... और उनकी तनख्वाह 50 हजार के करीब है....
विनोद जी का अपना घर नहीं है... इसलिए किराए में साढ़े नौ हजार रुपये खर्च होते हैं. वहीं बिजली बिल में तीन हजार रुपये खर्च होते हैं. विनोज जी अपने घर में एसी चलाते हैं.. लेकिन यह एसी एयर कंडिशनर वाला नहीं एयर कूलर वाला है.
वहीं 6 लोगों के परिवार में खाने-पीने पर महीने का 20 हजार रुपये खर्च हो जाता है... जबकि ऑफिस आने-जाने में 3,500 हजार रुपये खर्च होते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि विनोद जी के पास एक दोपहिया गाड़ी है. कार नहीं....
यानी कि आमदनी 50 और खर्च लगभग 57.. जबकि अभी इसमें मैंने चॉकलेट-आइस्क्रीम, बूढ़े माता-पिता की दवाइयां, कपड़ा-लत्ता, मोबाइल बिल और तमाम अन्य छोटे-मोटे खर्चे तो जोड़े ही नहीं है... तो इससे अंदाजा लगा लीजिए कि हमारे विनोद जी महीने में कितने पैसे बचा लेते होंगे.... कहां से मैनेज करते हैं उसपर बात किसी और एपिसोड में....
आगे बढ़ते हैं.. (यहां पर वीडियो चलेगा, पीछे से मेरी आवाज होगी.. एक विंडो पर मैं दिखूंगा, दूसरे पर मोदी... बाईट शुरू होते ही फुल वीडियो हो जाएगा...
पीएम मोदी का ये बयान 16 जून 2020 का है. जब पीएम मोदी कहते हैं कि आज भारत उन देशों में से है जहां कोरोना की वजह से सबसे कम मौतें हुई हैं... एक बार यह वीडियो सुन लिया जाए...
इससे पहले कि मैं इस बयान पर चर्चा करूं, पीएम मोदी का एक और बयान सुन लेते हैं... यह वीडियो 17 जून 2020 का है... जिसमें पीएम मोदी कह रहे हैं कि हमारे पास अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है, पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई है... पहले यह वीडियो भी सुन ही लेते हैं.
आप तमाम दर्शक जो मेरा यह कार्यक्रम देख रहे हैं, आप खुद ही तय कीजिए कि फरवरी 2021 में देश का क्या हाल था... ऑक्सीजन के लिए सड़कों पर तड़पते लोग, अस्पताल में बेड के इंतजार में बैठे मरीज, दवाओं के लिए दर-दर भटकते मरीजों के परिजन. शायद ही कोई परिवार ऐसा बचा होगा जिसने किसी अपने को दूसरी लहर में नहीं खोया...
अगर भारत सरकार के आंकड़ों की ही बात करें तो भारत में कोरोना संक्रमण का पहला केस 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था. पहली लहर का पीक 17 सितंबर को था. उस दिन 24 घंटे में 97,894 मामले सामने आए थे. उसके बाद पहली लहर कमजोर पड़ गई और पहली लहर के सबसे कम मामले 16 फरवरी 2021 को आए. 16 फरवरी को एक दिन में मात्र 9,121 केस मिले. इस दौरान 1.09 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हुए, जबकि 1.55 लाख लोगों की मौतें हुईं..
जबकि 17 फरवरी 2021 से 16 जून 2021 यानी कि सिर्फ चार महीनों में 1.87 करोड़ लोग कोरोना संक्रमित हुए और 2.24 लाख लोगों की मौतें हुईं... भारत सरकार के मुताबिक हमारे देश में कोरोना से कुल मरने वालों की संख्या 5 लाख के करीब हैं. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी कि WHO ने दावा किया है कि भारत में कोरोना की वजह से 47 लाख लोगों की जानें गई हैं.
यह वीडियो 18 मई 2021 की है. जब पीएम मोदी कोरोना वैक्सीन के उत्पादन बढ़ाने की बात कह रहे हैं और सभी राज्यों को सिस्टम के तहत वैक्सीन मुहैया कराने की बात कर रहे हैं. लेकिन उसके बाद क्या हुआ आपने देखा....
महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों में कोरोना महामारी को रोकने के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान धीमा पड़ गया. राज्यों को 'ग्लोबल टेंडर' जारी कर, दूसरे देशों से वैक्सीन हासिल करने की जो उम्मीद बंधी थी, वो भी खत्म हो गई. बहुत सी दवा निर्माता कंपनियों ने या तो राज्यों द्वारा निकाले गए ग्लोबल टेंडर का कोई जवाब नहीं दिया, या फिर साफ़ तौर पर ये कहा कि वैक्सीन बेचने के लिए केंद्र सरकार से ही समझौता किया जा सकता है, राज्य सरकारों से नहीं. जिसके बाद आखिरकार पीएम मोदी को अपनी वैक्सीन नीति बदलनी पड़ी थी.
अब एक और वीडियो देखिए जो ताज़े मामले से जुड़ा है... 12 अप्रैल 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अपनी बातचीत के दौरान कहा कि अगर विश्व व्यापार संगठन यानी की WTO की अनुमति मिले तो भारत पूरी दुनिया का पेट भरने को तैयार है... पीएम मोदी ने वीडियो लिंक के माध्यम से गुजरात के अदलज में श्री अन्नपूर्णा धाम ट्रस्ट के छात्रावास और शिक्षा परिसर का उद्घाटन करने के बाद भी इस बात की पुष्टि की.. उनका यह बयान गुजराती में है.. लेकिन खबरें सभी वेबसाइट्स और चैनल पर मौजूद है...
लेकिन पीएम मोदी के इस बयान के कुछ दिनों बाद ही मई महीने में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी. ये रोक ऐसे समय लगाई गई जब रूस-यूक्रेन जंग की वजह से पूरी दुनिया में गेहूं की सप्लाई पर असर हुआ. भारत के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफिल्ड ने कहा कि इससे भोजन की कमी और बढ़ जाएगी. भारत को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. क्योंकि भारत के इस फैसले से मौजूदा वैश्विक खाद्य संकट और बदतर होता जाएगा.
सोचिए गेहूं का सबसे ज्यादा निर्यात करने वाले भारत के सामने अपने ही देश के लोगों की पेट भरने तक की समस्या पैदा हो गई. बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए भारत सरकार को निर्यात पर रोक लगाना पड़ा... खास बात यह है कि यह रोक गेहूं की कम उत्पादन की वजह से नहीं बल्कि किसानों से नहीं खरीद पाने की वजह से लगानी पड़ी.. क्योंकि प्राइवेट कंपनियों ने विश्व बाजार में गेहूं के बढ़ते दामों को देखते हुए किसानों से सारे गेहूं खरीद लिए... इस वजह से गेहूं की सरकारी खरीद में करीब 55% की गिरावट दर्ज की गई..
मैं यह नहीं कह रहा कि दूसरी सरकारों के समय भारत ने किसी मुश्किल का सामना नहीं किया. लेकिन पीएम मोदी ने जिन चीजों को लेकर बढ़-चढ़ कर दावे किए उन्हीं दावों को लेकर बाद में उन्हें मुंह की भी खानी पड़ी... एक बात और साफ कर दूं, पीएम मोदी के ये सभी बयान देश की सत्ता में आने के बाद के हैं....