Power Crisis in India: देश में 300 अरब टन कोयले का भंडार, फिर 16 राज्यों में क्यों है बिजली संकट?

Updated : Apr 29, 2022 20:39
|
Deepak Singh Svaroci

Coal Shortage in India: दिल्ली की सर्दी तो आपने फिल्मी गानों में भी सुना है. लेकिन इस बार बात होगी दिल्ली की गर्मी की. अप्रैल महीने में दिल्ली में अधिकतम तापमान (Delhi Temperature) 43.5 डिग्री दर्ज किया गया है, जो महीने के हिसाब से पिछले 12 सालों में सबसे अधिक है.

अप्रैल महीने में दिल्ली का सबसे अधिक तापमान 45.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, साल 1941 में. हालांकि दिल्ली से सटे गुरुग्राम (Gurugram) में तापमान 45 डिग्री पार कर गया है. ऐसे में देशभर में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन कोयले की कमी (Coal Crisis) के गहराते संकट के बीच देश के एक चौथाई पावर प्लांट बंद हैं. इस वजह से 16 राज्यों में 10 घंटे तक की बिजली कटौती शुरू हो चुकी है.

बिजली कटौती का असर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत, यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार और कई अन्य राज्यों में दिखने लगा है. बिजली कटौती की असल वजह देश के एक चौथाई बिजली प्लांट्स का बंद होना है. इनमें से 50% प्लांट कोयले की कमी के चलते बंद हैं.

कोल इंडिया (Coal India) ने भी माना है कि बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 22 लाख टन कोयला जाता रहा है. जबकि फिलहाल उनकी तरफ से रोजाना 16.4 लाख टन कोयले की ही सप्लाई की जा रही है. सबसे पहले जानते हैं कि देश में बिजली उत्पादन का गणित क्या है?

और पढ़ें- Ukraine War: रूस के एडवांस हथियारों को यूक्रेन ने मार गिराया! भारत के लिए खतरे की घंटी तो नहीं?

बिजली उत्पादन का गणित

  • देश में 3.99 लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन करने की क्षमता
  • 1.10 लाख मेगावॉट बिजली सोलर और विंड से बनती है
  • 2.89 लाख मेगावॉट में से 72,074 मेगावॉट क्षमता के प्लांट बंद
  • 38,826 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स ईंधन की कमी से नहीं चल रहे
  • 9,745 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में शेड्यूल्ड शटडाउन
  • 23,503 मेगावॉट क्षमता के प्लांट अन्य कारणों से बंद

ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक, देश के 18 बिजलीघर यानी कि पिटहेट प्लांट जो कोयला खदानों के मुहाने पर हैं, उनमें तय मानक का 78% कोयला ही मौजूद है. जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर यानी कि नॉन-पिटहेट प्लांट में मानक का औसतन 25% कोयला उपलब्ध है. यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के मुताबिक होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं. देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25% के बीच ही है.

देश में बिजली की जितनी मांग है, उसका 70 फीसदी, सिर्फ कोयले से बनता है. साल 1973 में कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के बाद से अधिकतर कोयले का उत्पादन, सरकारी कंपनियां ही करती हैं. भारत में 90 फ़ीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया करती है. कुछ खदानें बड़ी कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है. इन कैप्टिव खदानों का उत्पान कंपनियां अपने संयंत्रों में ही ख़र्च करती हैं.

भारत में जितना कोयला खपत होता है उसका तीन-चौथाई हिस्सा सिर्फ बिजली उत्पादन पर खर्च होता है. एक नजर देश के उन थर्मल पावर प्लांट्स पर डालते हैं जहां कोयले से ही बिजली उत्पादन होता है.

  • देश में कुल 135 थर्मल पावर प्लांट्स
  • यहां कोयले से बिजली उत्पादन होता है
  • स्टॉक में 1.5 मिलियन टन होता है कोयला
  • इतने कोयले से 40 दिनों की बिजली बन सकती है

भारत के पास कुल 300 अरब टन कोयले का भंडार है. इसके बावजूद भारत, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों से बड़ी मात्रा में कोयले का आयात कर रहा है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2023 तक भारत में कोयले की मांग एक अरब टन पार हो जाएगी.

और पढ़ें- Prashant Kishor-Congress Deal: 15 दिन, दर्जनों बैठक फिर भी नहीं बनी बात...एक क्लिक में देखें सभी थ्योरी

कोल इंडिया ने साल 2030 के लिए अपने दृष्टिपत्र में तापीय कोयले की मांग 115 करोड़ टन से 175 करोड़ टन रहने की भविष्यवाणी की है. भारत कोयला उत्पादन के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है. यही वजह है कि यहां बिजली उत्पादन के लिए मुख्य तौर पर कोयला का इस्तेमाल किया जाता है.

भारत जैसे विकासशील देश में ऊर्जा के बिना बेहतर अर्थव्यवस्था की कामना नहीं की जा सकती. भारत में बिजली कटौती की यह हालत तब है जब खपत के मामले में भारत दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी पिछड़ा है.

प्रति व्यक्ति बिजली खपत

  • भारत- 917 किलोवाट घंटे
  • चीन- 3,298 किलोवाट घंटे
  • जर्मनी- 7081 किलोवाट घंटे
  • अमेरिका- 13,246 किलोवाट घंटे
  • वैश्विक औसत खपत- 2600 किलोवाट घंटे

यानी भारत में बिजली की खपत, वैश्विक औसत की एक-तिहाई ही है. जबकि कोयले को लेकर भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता, 23 फीसदी पर पहुंच गई है.

भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं. दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं. भारत में इन राज्यों में कोयला का सबसे बड़ा भंडार माना जाता है.

और पढ़ें- PM Modi की राह पर बढ़ रहे हैं CM Arvind Kejriwal, ऐसा क्यों कह रहे हैं लोग?

सबसे अधिक कोयले उत्पादन वाला राज्य

  • झारखंड
  • ओडिशा
  • छत्तीसगढ़
  • पश्चिम बंगाल
  • मध्य प्रदेश
  • तेलंगना
  • महाराष्ट्र

इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयला मिला है. बीते एक दशक में भारत की कोयले की खपत लगभग दोगुनी हो गई है. देश अच्छी गुणवत्ता का कोयला आयात कर रहा है और उसकी योजना आने वाले सालों में कई दर्जन नई खदान खोलने की है.

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा समिति के अनुसार, भारत में अगले 20 सालों में ऊर्जा की ज़रूरत किसी भी देश से सबसे अधिक होगी. और भारत में अभी भी कोयला ही सबसे सस्ता ईंधन है.

कोयला वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण भी है और भारत पर अपने पर्यावरण लक्ष्य हासिल करने का दबाव भी है. ऐसे में भारत अक्षय ऊर्जा स्रोतों का विकास भी कर रहा है. लेकिन विश्लेषकों की माने तो भारत के लिए कोयले से दूरी बनाना आसान नहीं होगा. हालांकि कोयला उत्पादन की भी चुनौतियां हैं.

और पढ़ें- भारत Brain drain रोके बिना कैसे बनेगा महाशक्ति? हर साल लाखों भारतीय छोड़ रहे नागरिकता

कोयला उत्पदान की चुनौतियां

  • खदानों में 1200 मीटर की गहराई तक खोदा जा रहा कोयला
  • खुली खदानों या ओपन कास्ट माइन्स से निकलता है अधिकतर कोयला
  • खदान की गहराई बढ़ने से बढ़ जाता है कोयला निकालने का खर्च
  • खनन कंपनियां टार्गेट पूरा करने के लिए कर रही है खनन
  • खदान को सुरक्षित रखने के लिए नहीं उठाए जा रहे कोई कदम
  • बारिश के मौसम में खदानें धंस जाने से भी उत्पादन पर होता है असर

पूरे देश में कोयले की कमी की वजह से हो रही बिजली कटौती को लेकर रेल मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है. रेलवे ने पावर प्लांट्स तक कोयले की तेजी से सप्लाई के लिए 24 मई तक कई पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकें.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार के इस प्रयास से बिजली कटौती की समस्या समाप्त हो जाएगी या संकट और गहराने वाला है?

Coal CrisisPower Crisis

Recommended For You

editorji | भारत

History 05th July: दुनिया के सामने आई पहली 'Bikini', BBC ने शुरू किया था पहला News Bulletin; जानें इतिहास

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History 4 July: भारत और अमेरिका की आजादी से जुड़ा है आज का महत्वपूर्ण दिन, विवेकानंद से भी है कनेक्शन

editorji | एडिटरजी स्पेशल

Hathras Stampede: हाथरस के सत्संग की तरह भगदड़ मचे तो कैसे बचाएं जान? ये टिप्स आएंगे काम

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History 3 July: 'गरीबों के बैंक' से जुड़ा है आज का बेहद रोचक इतिहास

editorji | एडिटरजी स्पेशल

History: आज धरती के भगवान 'डॉक्टर्स' को सम्मानित करने का दिन, देखें इतिहास