पंजाब (politics of punjab) के साथ-साथ देश ने भी अपना सबसे उम्रदराज सियासी नेता खो दिया है...1927 में जन्मे प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) ने अपनी सियासी पारी उसी साल शुरू की थी जब देश आजाद हुआ था...एक समय ऐसा भी आया कि जब भी पंजाब की सियासत (politics of punjab) की बात हो तो जो पहला चेहरा किसी के सामने आता वो प्रकाश सिंह बादल का ही होता...हो भी क्यों ने वे अकेली ऐसी शख्सियत थे जो पंजाब के 5 बार मुख्यमंत्री रहे...वे एक ऐसे जननेता थे जिन्होंने 1969 से 1992 तक किसी भी विधानसभा चुनाव (assembly elections) में हार का मुंह नहीं देखा...1992 में तो उन्होंने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था...आइए जानते हैं उनके सियासी सफर को
प्रकाश सिंह बादल का सफर
8 दिसंबर, 1927 को पंजाब के अबुल खुराना में जन्म
1947 में 20 साल की उम्र में राजनीतिक सफर शुरू
1957 में पहली बार पंजाब से विधानसभा चुनाव जीता
10 बार विधायक रहे, 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे
1977 में सीएम पद छोड़ा, केन्द्र में मंत्री बनाए गए
1969 से लेकर 1992 तक सभी चुनावों में जीत दर्ज की
2015 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया
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दरअसल आजादी के बाद से शायद ही ऐसा कोई चुनाव पंजाब में हुआ जिसमें प्रकाश सिंह बादल ने हिस्सा न लिया हो...उन्होंने हमेशा पंजाब की सियासत को अहमियत दी...केवल एक बार जब देश में आपातकाल लगा तो उन्होंने केन्द्र की सियासत का रूख किया. मोराजी देसाई के वक्त उन्होंने कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभाला था. पंजाब में अपनी सियासी पारी के दौरान उन्हें करीब 17 साल जेल में भी बिताने पड़े थे दिलचस्प ये भी है कि जब वे पहली बार CM बने तो वे सबसे कम उम्र में किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने थे...पांचवीं बार जब वे CM बने तो वे देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे. ...बहरहाल सच्चाई ये है कि पंजाब ने अपनी सियासत के पितामह को खो दिया है...