इस दिवाली देश में बहुत कुछ पॉजिटिव देखने को मिला. जैसे पाकिस्तान पर भारत की रोमांचक जीत... विराट की शानदार बल्लेबाजी, भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटिश पीएम बनना... और इस दिवाली, महंगाई पर भारी पड़ी खुशियां... ख़बरों में पॉजिटिविटी ढूंढ़ने वाले दर्शकों के लिए यही असल ख़बर हो सकती है. लेकिन क्या हमें अर्शदीप के सितंबर महीने वाले उस मैच की बात नहीं करनी चाहिए, जब पाकिस्तान के साथ खेलते हुए 17वें ओवर में उनसे एक बड़ी गलती हो गई. अर्शदीप सिंह ने आसिफ अली का आसान-सा कैच छोड़ दिया. बाद में भारत मैच हार गया. तब अर्शदीप को खालिस्तानी तक बता दिया गया. लेकिन शनिवार को हुए मैच में उसी अर्शदीप ने पाकिस्तान के दोनों ओपनर बल्लेबाज बाबर और रिजवान को महज 12 गेंद के अंदर ही चलता कर भारत को अच्छी शुरुआत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
क्या हमें उस विश्वगुरु की बात नहीं करनी चाहिए जो अपने देश की बहू सोनिया गांधी को विदेशी होने के नाते बतौर प्रधानमंत्री स्वीकार नहीं कर सकता, लेकिन भारत पर 100 सालों तक राज करने वाले ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री को भरभर कर इसलिए बधाई दे रहे हैं क्योंकि ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं.
जबकि ब्रिटेन के किसी नेता की तरफ से ऋषि सुनक के विदेशी मूल के होने को लेकर कोई टिप्पणी या विरोध नहीं किया गया है. ऐसे में भारत के विश्वगुरु बनने के चांसेस और भी बढ़ गए हैं, क्योंकि रेस में ब्रिटेन बहुत पीछे चला गया है.
क्या हमें 15 लाख 76 हजार दीये जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले उस देश की बात नहीं करनी चाहिए, जहां के लोग उसी दीये के बुझने का इसलिए इंतज़ार कर रहे थे ताकि जले हुए सरसों के तेल को डिब्बे में बटोर कर वह भी अपने परिवारवालों को कह सकें- हैप्पी दिवाली...
इस दिवाली पर उत्तरप्रदेश ने 15 लाख 76 हजार दीये जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया. यह उत्सव राज्य सरकार और केंद्र सरकार के लिए कितना ख़ास था इस बात का अंदाजा वहां मौजूद गेस्ट लिस्ट से लगाया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सांसद लल्लू सिंह समेत कई अन्य बीजेपी नेता, दीपोत्सव के दौरान मौके पर मौजूद रहे. वहीं सरयू तट पर राम की पैड़ी में 3डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन मैपिंग शो के अलावा संगीतमय लेजर शो भी हुआ.
अयोध्या में दीपोत्सव के लिए सरयू की पैड़ी के 37 घाट बनाए गए थे. इतना ही नहीं, दिवाली कार्यक्रम में शामिल हुए 22 हजार से अधिक स्वयंसेवकों ने घाट पर 15 लाख से ज्यादा दीये जलाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दीपोत्सव में 15 लाख से ज्यादा दीयों को भरने के लिए 60 हजार लीटर सरसों तेल इस्तेमाल किया गया.
इस ख़बर को देखकर गर्व होना ही चाहिए. क्योंकि इतना बड़ा आयोजन आसान बात नहीं है. संभव है कि आप दर्शक भी इस भव्य आयोजन को देखने के लिए एक दिन पहले ही अयोध्या पहुंच गए होंगे, ताकि कुछ मिस ना हो जाए. लेकिन इसी अयोध्या में कई परिवार दो-दो दिन पहले ही राम की पैड़ी पर पहुंच गया था.
उन्हें भी डर था कि वह कुछ मिस ना कर जाएं. हालांकि आपके और इन परिवारों के 'मिस करने' में एक बड़ा फर्क है. आप शायद अपने परिवार के साथ अच्छी सेल्फी लेने से वंचित रह जाते, लेकिन कई दिनों पहले ही अयोध्या पहुंच गया यह परिवार अगले छह महीने के लिए अपनी खर्ची में काम आने वाला सरसों तेल मिस कर जाता. और अगर वह तेल मिस कर जाता तो उनके परिवार और बच्चे, बिना तेल के छौंके वाली दाल और सब्जियां कई महीनों तक मिस करते रहते. इस खबर पर आप चाहें तो गर्व कर सकते हैं.
विश्वगुरु बनने की राह में तेज़ी से दौड़ रहे भारत देश के एक बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश में 23 अक्टूबर को 15 लाख 76 हजार दीये जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के बाद जैसे ही दीये बुझे, घाटों का नजारा ही बदल गया. दीपों की रोशनी में छिपा हुआ अंधकार अचानक निर्वस्त्र हो गया. आसपास रहने वाले ग़रीब तबके के लोग उन दीयों पर ऐसे कूद पड़े जैसे भूखे शेर के सामने नरम गोश्त रख दिया गया हो.
सभी के बीच होड़ लगी थी कि कौन कितना ज़्यादा सरसों का तेल बटोर सकता है. कुछ देर पहले तक कार्यक्रम में मौजूद सभ्य दिख रहे स्थानीय बच्चे, महिला, युवक, बुजुर्ग सब लुटेरे बन गए थे. सरसों तेल लूटने वाले लुटेरे. सबको जैसे प्रधानमंत्री मोदी, योगी आदित्यनाथ समेत मुख्य अतिथियों के जाने का ही इंतज़ार हो. हर कोई तेल बटोरने के लिए मैदान में कूद पड़ा था. घंटों तक ये लोग दीयों से तेल निकालकर बोतल, बर्तन, डिब्बों में इकट्ठा करते रहे.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच ज़िले के एक गांव की रहने वाली पूजा, अपने परिवार के साथ दो दिन पहले ही अयोध्या पहुंच गई थी. पूजा ने भास्कर से बात करते हुए कहा कि पिछले साल उनके परिवार ने 10 लीटर तेल इकट्ठा किया था जो करीब छह महीने तक चले. 16 नंबर घाट पर बोतल में तेल भर रही पूजा को उम्मीद है कि अगले छह महीने कम से कम उसे 200 रुपये लीटर तेल नहीं खरीदना होगा.
वहीं 14 नंबर घाट पर तेल भर रही दीपा, जो श्रावस्ती की रहने वाली है, उसने डर के मारे कैमरे पर बोलने से ही मना कर दिया. दीपा ने बताया कि कोरोना के दौरान पिता का देहांत हो गया, मां बीमार हैं. घर की बड़ी बेटी होने के नाते पूरे परिवार की जिम्मेदारी अब उसी पर है, इसलिए गांव के लोगों के साथ तेल जुटाने आई है.
ऐसा भी नहीं है कि ये लोग असली लूटेरों की तरह बेख़ौफ होकर तेल लूटने में लगे थे. सारे परिवार जल्दी से जल्दी, ज्यादा से ज्यादा तेल इकट्ठा कर लेना चाहते थे, ताकि पुलिस कहीं उन्हें बीच में ही ना रोक दे. वहां मौजूद कई लोगों ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि अगर जल्दी तेल नहीं भरेंगे तो पुलिस उन्हें भगा देगी. अयोध्या के रहने वाले रमाशंकर ने बताया कि वो मजदूरी करते थे, लेकिन अब उन्हें मजदूरी नहीं मिल रही है. त्योहारों के समय में हम एक-एक रुपए के लिए रो रहे हैं. ऊपर से ये महंगाई की मार.
एक और स्थानीय निवासी रघुवीर ने बताया, "इस तेल को पहले गर्म करेंगे और जब सारी गंदगी निकल जाएगी तो बच गए साफ तेल का इस्तेमाल खाने में किया जाएगा.'' अब इस ख़बर पर गर्व करना है या शर्म आप ख़ुद ही तय कर लीजिए.
अब बात ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की. सुनक इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति के दामाद हैं. नारायणमूर्ति की बेटी अक्षता और ऋषि सुनक की मुलाक़ात स्टैनफोर्ड में एमबीए कोर्स के दौरान हुई थी. बाद में दोनों ने शादी कर ली. ऋषि और अक्षता के दो बेटियां भी हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का हैं.
ऋषि सुनक भारतीय मूल के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जो ब्रिटेन की सरकार का सबसे बड़ा पद संभालेंगे. साल 2015 में महज 35 साल की उम्र में सुनक पहली बार संसदीय चुनाव जीते और सात वर्षों बाद ही वो आज प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
कोरोना काल के दौरान बोरिस जॉनसन सरकार की जब भी कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस होती थी तो सुनक उसमें ज़रूर नज़र आते थे. माना जाता है कि ये सुनक ही थे जिनकी वजह से महामारी के काल में भी यूके की अर्थव्यवस्था ठीक रही और मज़दूरी भी नहीं घटी. तभी से ऋषि लोगों के चहेते बन गए थे.
ससुर नारायणमूर्ति ने ऋषि सुनक के पीएम चुने जाने पर कहा, 'ऋषि को बधाई. हमें उन पर गर्व है और हम उनकी सफलता की कामना करते हैं. हमें विश्वास है कि वह यूनाइटेड किंगडम के लोगों के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे.'
सवाल उठता है कि ऋषि सुनक के PM बनने पर भारत में जो लोग आज जश्न मना रहे हैं, क्या भारत में लोकतंत्रीय ढांचों के अनुरूप किसी विदेशी मूल के व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने की बात सोच सकते हैं. ब्रिटेन या अन्य पश्चिमी देशों ने प्रवासियों को खुले दिल से अपनाया. नतीजा यह हुआ कि आज वही प्रवासी इन देशों की ताकत बन गए हैं. वहीं भारत में अपनी पूरी ज़िंदगी भारतीय परंपरा के मुताबिक खपा देने वाली सोनिया गांधी आज भी विदेशी मूल की ही हैं.
याद कीजिए साल 2004 में जब सोनिया गांधी सुपरस्टार नेता बन चुकी थी और उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने अटल बिहारी वाजपेयी वाली बीजेपी को हरा दिया था. तब कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद की दावेदार थीं. लेकिन दिवंगत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल के होने के कारण उनके पीएम बनने का विरोध किया था.
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तब सुषमा स्वराज ने कहा था सोनिया को प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधित करना मुझे गंवारा नहीं है. मेरा राष्ट्रीय स्वाभिमान मुझे झकझोरता है. मुझे इस राष्ट्रीय शर्म में भागीदार नहीं बनना. इतना ही नहीं सुषमा स्वराज ने ऐलान करते हुए कहा था कि अगर सोनिया गांधी भारत की प्रधानमंत्री बनती हैं तो वो सिर मुंडवा लेंगी, सफेद साड़ी पहनेंगी, भिक्षुणी की तरह जमीन पर सोएंगी और सूखे चने खाएंगी.
भारतीय जनता पार्टी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने भी तब ऐसा ही कुछ कहा था. जिसके बाद सोनिया गांधी ने खुद प्रधानमंत्री ना बनकर डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया.
उमा भारती बाद के सालों में कई बार यह कह चुकी हैं कि वे सोनिया गांधी का आदर करती हैं, क्योंकि वे भारत की बहू के तौर पर भारत आईं और पति राजीव गांधी की मौत के बाद भी देश में रहीं. सोनिया गांधी एक अच्छी पत्नी, मां और अच्छी बहू रही हैं. लेकिन यह कारण, उमा भारती की नज़र में भारत की नेता बनने के लिए पर्याप्त नहीं है.
सोचिए जबकि सोनिया गांधी कानूनन भारत की नागरिक हैं. तभी वो 2004 में चुनाव लड़ीं और जीतीं . यहां तक कि जनता ने भी सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस को बहुमत दिया था. लेकिन विपक्षी नेताओं के लिए सोनिया गांधी का पीएम बनना शर्म की बात थी.
क्या ब्रिटेन में ऋषि सुनक के विदेशी मूल के नागरिक होने के कारण क्या किसी स्थानीय नेता ने टिप्पणी या विरोध किया? क्या किसी यूके के नेता ने कहा कि अगर ऋषि सुनक प्रधानमंत्री बने तो वो अपना सिर मुंडवा लेंगे, नन बनकर जमीन पर सोएंगी और सूखे चने खाएंगी?
ऋषि सुनक के पीएम बनने का जश्न भारत में है तो ब्रिटेन में भी है. यही सोच विश्वगुरु भारत को ब्रिटेन से अलग खड़ा कर देता है.
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