Rajiv Gandhi assassination: सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी ए जी पेरारिवलन (AG Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है. पेरारिवलन को 11 जून, 1991 को गिरफ्तार किया गया था. तब उसकी उम्र 19 साल थी. पेरारिवलन पर लिट्टे के शिवरासन (Sivarasan) के लिए 9-वोल्ट की दो ‘गोल्डन पावर’ बैटरी सेल खरीदने का आरोप था. बाद में जब 21 मई 1991 को पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या हुई तो बम में इन्ही बैटरियों का इस्तेमाल किया गया था.
शिवरासन, वही शख्स है जिसने यह साजिश रची थी. पेरारिवलन ने याचिका दायर कर कोर्ट से कहा था कि उसकी दया याचिका काफी लंबे समय से राज्यपाल के पास लंबित है. वहीं केंद्र ने याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि यह फैसला लेने का हक राष्ट्रपति को है. पेरारिवलन की मौत की सजा पहले ही टाली जा चुकी है. इसलिए वह देरी को हथियार बनाकर, आगे और राहत नहीं ले सकता.
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जबकि पेरारिवलन की तरफ से वकील ने 2018 में याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस मामले में गवर्नर को फैसला लेने का अधिकार है. तीन दिनों के भीतर ही तमिलनाडु की तत्कालीन AIADMK सरकार ने पेरारिवलन समेत सात दोषियों को रिहा करने की अनुशंसा की.
बाद में ये सिफारिश राज्यपाल को भेजी. महत्वपूर्ण यह है कि तमिलनाडु की दोनों महत्वपूर्ण पार्टियां पेरारिवलन की रिहाई का सपोर्ट कर रहे हैं. ऐसे में समझना जरूरी है कि तमिलनाडु की राजनीति में इस फैसले का क्या महत्व है....