Shahrukh Khan Birth Anniversary : बॉलीवुड के 3 बड़े ऐक्टर्स- पृथ्वीराज कपूर (PrithviRaj Kapoor), दिलीप कुमार (Dilip Kumar) और शाहरुख खान (Shahrukh Khan)... इनकी जड़ें जिस एक शहर में बसती हैं, वह पाकिस्तान का पेशावर (Peshawar City of Pakistan) है. पृथ्वीराज कपूर और दिलीप कुमार दोनों का जन्म पेशावर की गलियाों में हुआ जबकि शाहरुख के पिता पेशावर से थे. आइए आज हम जानते हैं पेशावर और बॉलीवुड के इसी रिश्ते के बारे में...
चकाचौंध से भरा पेशावर का किस्सा ख्वानी बाजार (Qissa Khwani Bazaar)... बाजार के एक कोने पर धरोहरें हैं तो दूसरी ओर है नए दौर की झलक... सड़क के दोनों ओर दुकानों का जमघट है. पेशावर शहर, खैबर पास (Khyber Pass) के पूर्वी छोर पर है.
गुजरे दौर में इस दर्रे से शहंशाह, उनकी सेनाएं, आक्रांता, मुसाफिर और कारोबारी गुजरते थे और इनका जमघट लगता था यहीं... वे यहां की कहवा चाय पीते और अपने सफर के किस्से यहां के बाशिंदों को सुनाते... किस्से सुनते और चाय पिलाते शहर ने जिस बाजार को जन्म दिया वह था किस्सा ख्वानी बाजार.
ये भी देखें- Aishwarya Rai Bachchan Biography : जब ऐश का KISS सीन देख बौखला गई थी बच्चन फैमिली
सर एडवर्ड हरबर्ट (Sir Edward Herbert) ने शहर को एशिया का पिक्काडिल्ली (Piccadilly) कहा. बता दें कि पिक्काडिल्ली लंदन की मेन स्ट्रीट है. किस्सा ख्वानी बाजार के आकार लेने के बाद इसमें एक दौर ने आकार लिया और ये दौर था भारत की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के आने वाले वक्त ने.
यहीं पर एक मोहल्ला है जिसका नाम है दहक्की नाल बंदी जहां कभी पृथ्वीराज कपूर रहा करते थे. 22 साल की उम्र में पेशावर छोड़ दिया और फिर 1930-1940 में बॉलीवुड का कामयाब सितारा बन गए. इस घर से 5 मिनट की दूरी पर दूमा गली है. इस गली में वह घर है जहां दिलीप कुमार पैदा हुए थे. पिता एक फल कारोबारी थे और 1930 के दौर में वे मुंबई शिफ्ट हो गए थे.
साल 2000 में दिलीप इस घर पर आए थे और उन्होंने सीढ़ियों के नीचे वह जगह देखी थी जहां वह पैसे छिपाया करते थे. तब दिलीप साहब फूट फूटकर रो दिए थे. इन दोनों घरों से चलने के बाद एक संकरी गली के आखिर में मोहल्ला शाहवाली कताल है.
यहां 1147 नंबर उस घर का पता है जहां शाहरुख खान के पिता मीर ताज मोहम्मद (Mir Taj Mohammad) 1928 में पैदा हुए थे. वहीं, शाहरुख खान का जन्म 2 नवंबर 1965 को ही शाहरुख का जन्म हुआ था.
मीर, 6 भाई बहनों में सबसे छोटे थे. उनके 4 भाई और 1 बहन थी. शाहरुख के दादा मीर जान मुहम्मद (Mir Jan Muhammad) 6 फीट से ज्यादा लंबे थे. जब उनका इंतकाल हुआ तो ऐसा कोई ताबूत नहीं मिला जिसमें उन्हें रखा जा सके. शाहरुख का परिवार बांस का कारोबार करता था. पिता मीर ताज मोहम्मद पेशावर में कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और अब्दुल गफ्फार खान से जुड़ गए थे. गफ्फार, महात्मा गांधी के सहयोगी थे.
जब भारत का विभाजन हुआ तब ताज मोहम्मद खान एक नौजवान पठान थे. पेशावर में जब दंगे भड़के तब उन्होंने उस देश को छोड़ने का फैसला किया जिसे मुस्लिमों के लिए बनाया गया था.
अगर आप ये वीडियो यूट्यूब पर देख रहे हैं, तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और अगर आप फेसबुक पर हमारे वीडियो को देख रहे हैं, तो पेज को फॉलो करना और लाइक करना न भूलें... आइए आज का सफरनामा शुरू करते हैं.
शाहरुख के ननिहाल का जिक्र किए बिना उनका जीवन अधूरा होगा... शाहरुख के नाना, इफ्तिकार अहमद मैंगलोर से थे. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की थी और मैंगलोर में पोर्ट के चीफ इंजीनियर के रूप में अपनी सेवा भी दी. यह 1960 के दौर की बात है.
शाहरुख के नाना का मंगलौर पोर्ट निर्माण में बड़ा शेयर भी था. शाहरुख खान को उनकी नानी ने गोद लिया था और वह लगभग 5 साल तक मैंगलौर में उनके साथ रहे जिसके बाद वह अपने माता-पिता के साथ रहे. बता दें कि शाहरुख खान उनका असली नाम नहीं है. उनका पहला नाम उनकी नानी द्वारा दिया गया 'अब्दुल रहमान' था. हालांकि, पिता ने ही उन्हें SRK नाम दिया था.
शाहरुख खान 1965 में पंडित नेहरू की मृत्यु के एक साल बाद जन्मे और उन्हें ख्याति मिलना शुरू हुई नरसिम्हा राव और उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक उदारवाद के युग में. शाहरुख खान की सितारा हैसियत उदारवाद, मल्टीप्लैक्स संस्कृति की तस्वीर बन गई.
दिल्ली के एक लड़के से लेकर बॉलीवुड के किंग खान बनने तक, शाहरुख ने अपनी भूमिकाओं, फिल्मों और कई अन्य वजहों से इंडस्ट्री में एक जगह बनाई है लेकिन अपनी लाइमलाइट से भरी जिंदगी में उनके साथ सबकुछ अच्छा रहा, ऐसा भी नहीं है... विवादों की कहानी ने शाहरुख को लंबे वक्त तक घेरे रखा...
2012 में आईपीएल टीम के को ओनर शाहरुख खान को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में प्रवेश करने से पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. शाहरुख के बच्चे पिच पर खेल रहे थे, उन्हें रोका गया तो वह भड़क गए और स्टेडियम के कर्मियों से गाली गलौज कर डाली.
शाहरुख खान-गौरी ने 2013 में सरोगेसी के जरिए अपने तीसरे और सबसे छोटे बच्चे अबराम को जन्म दिया. इस घोषणा के तुरंत बाद, खान और उनकी पत्नी गौरी पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण परीक्षण किया. दंपति के खिलाफ जांच की गई, हालांकि, बाद में शाहरुख ने सभी रिपोर्ट्स का विरोध किया.
ये भी देखें- Anuradha Paudwal Biography: गुलशन कुमार की 'दीवानगी' ने डुबाया अनुराधा पौडवाल का करियर?
उन्होंने कहा, “मुझे वह बात पसंद नहीं आई जब मीडिया ने सरोगेसी के बारे में बात की. मुझे इससे नफरत है. उन्होंने कहा कि मैं इतना शिक्षत हूं कि समझ सकूं ऐसा नहीं करना चाहिए.
शाहरुख खान और गौरी खान ऐसे स्टार कपल हैं जिन्हें हर युवा आइकॉन मानता है. लेकिन जब शाहरुख और प्रियंका के बीच रोमांस की चर्चा उड़ी तो सब हक्के बक्के रह गए.
दोनों ने इन अफवाहों के बाद एक-दूसरे को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया था.
एक नहीं बल्कि दो बार इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शाहरुख खान को हिरासत में लिया गया. सबसे पहले वर्ष 2009 में, उन्हें उनके नाम खान के कारण न्यू जर्सी हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था और दूसरी बार, उन्हें न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था.
सलमान खान और शाहरुख खान के संबंध अभी अच्छे हैं, लेकिन एक समय था जब सलमान और शाहरुख दोनों एक बुरी लड़ाई में उलझे हुए थे और पूरी दुनिया यह जानती थी. दोनों स्टार्स ने कभी इसे शेयर नहीं किया कि इस बड़े झगड़े का कारण क्या था, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स से पता चलता है कि 2008 में कैटरीना कैफ के जन्मदिन पर उनकी बड़ी लड़ाई हुई थी, जहां से यह सब शुरू हुआ था.
2015 में, जब कुछ हाई-प्रोफाइल हस्तियां कथित असहिष्णुता के विरोध में देश में प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटा रही थीं, और इस बीच शाहरुख खान ने एक सार्वजनिक मंच पर सहमति जताई थी कि भारत एक 'असहिष्णु' देश है.
उन्होंने कहा कि "असहिष्णुता है, ज्यादा असहिष्णुता है, मुझे लगता है कि असहिष्णुता बढ़ रही है. ये बातें उन्होंने बीबीसी के जरिए कही. उनकी टिप्पणियों ने देश भर में हंगामा खड़ा कर दिया और लोगों ने उनकी फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की लंबी मुहिम चलाई.
चलते चलते 2 नवंबर को हुई दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1953 - पाकिस्तान आधिकारिक रूप से इस्लामिक गणराज्य बना
1774 - अंग्रेज कमांडर इन चीफ ऑफ ब्रिटिश इंड़िया राबर्ट क्लाइव ने आत्महत्या की
1834 - एटलस नाम का जहाज भारतीय मजदूरों को लेकर मॉरिशस पहुंचा था जिसे वहां अप्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है