Shammi Kapoor birth anniversary : अशोक कुमार (Ashok Kumar) और उनके जीजा शशधर मुखर्जी (Sashadhar Mukherjee) ने नींव रखी थी 'फिल्मीस्तान स्टूडियो' की... नासिर हुसैन जो कि आमिर खान के अंकल हैं... उन्होंने 1948 में 'फिल्मीस्तान स्टूडियो' (Filmistan Studio) को बतौर लेखक जॉइन किया था...
'अनारकली' (Anarkali), 'मुनीमजी' (Munimji), 'पेइंग गेस्ट' (Paying Guest) जैसी कामयाब फिल्में लिखने के बाद उन्होंने डायरेक्शन में हाथ आजमाने की सोची... 'Shaheed' (1948), 'Shabnam' (1949), 'Sargam' (1950), 'Anarkali' (1953), 'Nagin' (1954), 1956 का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीतने वाली 'Jagriti' (1954), 'मुनीमजी' (1955) इसके हिस्से की कामयाब फिल्मे थीं. इस स्टूडियो को आगे चलकर तोलाराम जालान (Tolaram Jalan) ने खरीद लिया था.
तोलाराम जालान ने सुबोध मुखर्जी को 'तुमसा नहीं देखा' का डायरेक्शन करने को कहा था लेकिन सुबोध मुखर्जी नासिर हुसैन (Nasir Hussain) को एक ब्रेक देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने तोलाराम जालान के सामने प्रपोजल रखा... प्रपोजल ये कि अगर उन्हें फिल्म पसंद नहीं आई, तो सुबोध मुखर्जी सारा कर्ज अपने ऊपर ले लेंगे." कमाल ये हुआ कि 'तुमसा नहीं देखा' हिट हो गई.
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हां, इससे पहले कई किस्से कहानियों का भी दौर चला... फिल्म से जुड़ा ही एक किस्सा काफी पढ़ा जाता है...
तोलाराम जालान चाहते थे कि ऐक्ट्रेस अमीता (Ameeta) को तुमसा नहीं देखा से शोहरत दिलाई जाए, लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था...
देव आनंद ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया था... इसके बाद फिल्म गई शमशेर राज कपूर (Shamsher Raj Kapoor) के पास, जिन्हें हम शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) के नाम से जानते हैं.
तुमसा नहीं देखा फिल्म की कामयाबी में इसके म्यूजिक ने खास भूमिका निभाई और इसी फिल्म से पहली बार शम्मी कपूर ने कामयाबी का स्वाद चखा. तुमसा नहीं देखा से पहले शम्मी 18 फ्लॉप फिल्में दे चुके थे और उनके मन में ख्याल भी आने लगा था कि उन्हें रोजी रोटी के लिए किसी और धंधे के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए.
तुमसा नहीं देखा का एक गीत- 'सर पर टोपी, लाल हाथ में रेशम का रुमाल...' शुरुआत में सिर्फ फिल्म की हिरोइन अमिता पर ही फिल्माया गया था... फिर शम्मी कपूर के शुभचिंतकों ने उन्हें समझाया कि इस धुन में मशहूर होने के सारे गुण मौजूद हैं इसलिए किसी भी तरह कोशिश करो कि यह धुन ड्यूट सॉन्ग बन जाए. नहीं तो लोग जब सिनेमाहॉल से बाहर आएंगे तो उनकी जुबान पर सिर्फ हिरोइन का ही नाम होगा.
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अब शम्मी कपूर ने फिल्म डायरेक्टर मुखर्जी और तोलानी से जब इसपर बात की तो उन लोगों ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं, वे लोग फिर से रिकॉर्डिंग और शूटिंग का खर्च उठाने को तैयार हैं लेकिन गाने की दोबारा रिकॉर्डिंग के लिए ओपी नैय्यर को तुम्हें ही मनाना होगा. अगर नैय्यर तैयार नहीं होते हैं, तो हम भी तुम्हारी कुछ मदद नहीं कर पाएंगे.
यह घटना उस दौर में ओपी नैयर के रुतबे के बारे में बताती है. खैर शम्मी कपूर ने समझदारी से काम लिया और ओपी नैय्यर (O. P. Nayyar) के बेटे आशीष के घर गए. उनके सामने ओपी के संगीत की खूब तारीफ की और बेटे के हाथ पर शगुन के तौर पर 100 रुपये का नोट भी रख दिया. फिर शुरू हुआ शराब का दौर... शम्मी ने फिर बड़ी ही नजाकत से ओपी को उस सिंगल गीत को ड्यूट गीत में बदलने के लिए मना ही दिया.
तुमसा नहीं देखा से पहले रफी की आवाज का इस्तेमाल गंभीर सॉन्ग्स में ही किया जाता था लेकिन तुमसा नहीं देखा के बाद मस्ती, चंचल वाले गानों के लिए भी रफी की आवाज का इस्तेमाल संगीतकार करने लगे और रफी (Mohammad Rafi) दूसरे ऐक्टर्स की भी पसंदीदा आवाज बन गए.
अजय ब्रह्मात्मज के अनुसार, "शम्मी कपूर इंडस्ट्री में ऐसे वक्त में आए थे जब फिल्मी साम्राज्य पर दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद (Dilip Kumar, Raj Kapoor and Dev Anand) का कब्जा था.. फिर भी दर्शकों ने शम्मी को पसंद किया.
"कुछ फ्लॉप फिल्मों के बाद, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एक नायक के रूप में अपने पैर जमाए - एक ऐसे शख्स के रूप में जो बेपरवाह था, खुशमिजाज भी और लड़कियों के साथ छेड़खानी करने से पीछे नहीं हटता था."
उस समय के तीनों सुपरस्टार्स की बनी बनाई अभिनय शैली को तोड़ते हुए, शम्मी कपूर ने अभिनय का एक नया ग्रामर बनाया और इसकी सबसे बड़ी यूएसपी थी उनका विचित्र डांस स्टाइल.
तनीषा मुखर्जी ने एक वेबसाइट को बताया था कि दादा सुबोध ने शम्मी कपूर से कहा था कि वह अपना निजी स्टाइल बनाएं. काजोल और तनीषा की मां तनुजा (Tanuja) ने सोमू मुखर्जी से शादी की थी जो कि शशधर मुखर्जी के बेटे थे. शशधर अशोक कुमार, किशोर कुमार और अनूप कुमार (Ashok Kumar, kishore Kumar, Anoop Kumar) के जीजाजी थे और सुबोध मुखर्जी, शशधर के छोटे भाई थे.
शम्मी कपूर ने अपने रॉक एंड रोल स्टाइल को एल्विस प्रेस्ली से कॉपी किया था...
इस नए स्टार के नए डांसिंग अंदाज के लिए एक अलग तरह के संगीत की जरूरत थी...
फिल्मिस्तान ने अपने पुराने पसंदीदा एसडी बर्मन के बजाय आगे की फिल्मों का म्यूजिक तैयार करने के लिए ओ पी नैयर को चुना क्योंकि नैयर का संगीत नई शम्मी कपूर शैली से अधिक मेल खाता था.
ओ पी नैयर ऐसे गाने बनाते थे कि शम्मी कपूर केवल एक बार उन्हें सुनते ही उन पर नाचने लगते थे...
तुमसा नहीं देखा 'फिल्मीस्तान स्टूडियो' की आखिरी हिट फिल्म रही...
शम्मी कपूर से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं. वह शराब बहुत पीते थे... महाबलेश्वर में 'तीसरी मंजिल' (Teesri Manzil) की शूटिंग शुरू हुई तो शराब को लेकर शम्मी कपूर, विजय आनंद यानी गोल्डी से नाराज रहा करते. शाम को पैकअप के बाद गोल्डी पैदल घूमने निकल जाते और शम्मी खूब शराब पीते. जब तक गोल्डी लौटते तो खाने का समय हो जाता. शम्मी को शिकायत रहती... तुम कभी मेरे साथ बैठकर शराब नहीं पीते.
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गोल्डी समझाने की कोशिश करते- यह न कहो कि मैं तुम्हारे साथ बैठकर शराब नहीं पीता. बल्कि यह कहो कि मैं शराब ही नहीं पीता. जब पीना शुरू कर दूंगा तो तुम्हारे साथ बैठकर जरूर शराब लूंगा. तुम पीते हो और मैं नहीं पीता. फिर साथ बैठने का क्या मतलब? इसलिए मैं घूमने निकल जाता हूं...
तीसरी मंजिल के बनने से पहले का भी एक किस्सा मशहूर है- फिल्म से पहले शम्मी से मुलाकात के दौरान गोल्डी ने आरडी बर्मन (R. D. Burman) की तारीफ की और कहा कि तुम्हें भी कभी किसी ने ब्रेक दिया होगा. प्रतिभा को अवसर जरूर मिलना चाहिए. तुम एक बार पंचम को सुन लो... आरडी बर्मन, एसडी बर्मन के बेटे थे जिनसे फिल्मीस्तान जमाने पहले दूरी बना चुका था. लेकिन यहां जब शम्मी आरडी से मिलने को राजी हुए तो नासिर हुसैन ने तीनों को दावत दी. पंचम यहां साथियों संग आए.
पंचम और उनके साथी हारमोनियम तबला लेकर आगे बढ़े. पंचम ने डायरी खोली और 'ओ हसीना जुल्फों वाली...' गीत की धुन बजाई जिसमें बोल दूसरे थे. शम्मी कपूर तो पंचम को फेल करने की फिराक में बैठे थे, पर ओ हसीना की धुन सुनकर वे खुश हो गए. शम्मी को संगीत, लय ताल की समझ थी. पंचम ने अगली धुन बजाई, फिर तीसरी, चौथी भी... वे बजाते रहे. शम्मी कपूर कब उनके पास आकर बैठ गए, उन्हें खुद पता न चला.
पंचम की धुनें सुनकर शम्मी ने उन्हें गले से लगा लिया. कुछ शराब का सुरूर भी था. पंचम को लगा जैसे उन्होंने बाजी मार ली हो... आरडी बर्मन का करियर इस फिल्म से शुरू हुआ और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
शम्मी कपूर और मुमताज की प्रेम कहानी भी खासी चर्चा में रही... मुमताज ने जब इंडस्ट्री में कदम रखा था तब वह सिर्फ 17 साल की थीं. शम्मी उनसे बहुत प्यार करते थे लेकिन मुमताज ने ही शादी से इनकार कर दिया. इसकी वजह क्या थी, ये उन्होंने खुद बताई थी.
मुमताज ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में बताया था कि कपूर परिवार बेहद सख्त था. वह चाहता था कि शादी के बाद मुमताज सबकुछ छोड़कर सिर्फ परिवार पर ध्यान दें. मैंने 17 साल में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था और मेरे पास अभी लंबा करियर था.
लेकिन जब मुमताज ने शम्मी और कपूर परिवार को ना कह दिया तब लोग यह मान रहे थे कि इनकार शम्मी की ओर से हुआ होगा क्योंकि कहां कपूर खानदान और कहां मुमताज... दोनों में जमीन आसमान का फर्क था.
शम्मी कपूर से जुड़ी एक और बात ये है कि वह भारत के इंटरनेट यूजर क्लब के फाउंडर और चेयरमैन थे. वह भारत में इंटरनेट दौर के अगुवा रहे हैं. pb@prstb नाम के ट्विटर हैंडल से कुछ यही दावा किया गया. हालांकि इसी हैंडल से दावे से जुड़े फैक्ट भी शेयर किए गए और तस्वीरें भी.
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http://mafatlal.co.in का हवाला देते हुए यूजर ने लिखा कि यह वेबसाइट ".co.in" के नाम वाली भारत की पहली वेबसाइट थी. इसके मालिक मिहीर मफतलाल थे और इसे IUCI यानी इंटरनेट यूजर क्लब ऑफ इंडिया के वेबपेज पर होस्ट किया गया था.
इसी हैंडल से शम्मी का iuci यूजर्स को भेजा गया एक ईमेल भी शेयर किया गया.
चलते चलते 21 अक्टूबर को हुई दूसरी अहम घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं
1296 - अलाउद्दीन ख़िलजी (Alauddin Khilji) ने दिल्ली की गद्दी संभाली।
1951 - भारतीय जनसंघ (Bhartiya Jansangh) की स्थापना हुई
1887 - बिहार के पहले मुख्यमंत्री कृष्ण सिंह (Krishna Singh) का जन्म हुआ
1830 - हिमालयी इलाकों की खोज करने वाले पहले भारतीय नैन सिंह रावत (Nain Singh Rawat) का जन्म हुआ