Shraddha Walker Murder Case : परिवार से लड़ झगड़कर जिस आफताब के लिए श्रद्धा ने घर छोड़ दिया था.. लिव इन (Live in Relationship) की राह चुन ली थी... शादी के बिना शादी जैसी जिंदगी जीने लगी थी... उसी आफताब ने रिश्ते के 4 साल के किस्से का मई 2022 में द एंड कर दिया. मर्डर भी ऐसा कि श्रद्धा के 35 टुकड़े किए, 300 लीटर का फ्रिज खरीदा और एक-एक कर 35 रातें इन टुकड़ों को ठिकाने लगाने में लगाईं.
प्यार, नफरत और हत्या का ये किस्सा जवानी की जिस रवानी के साथ शुरू हुआ था, उसी प्यार की दगाबाजी ने इसका अंत भी किया. आज हम जानेंगे दिल्ली के इस खौफनाक मर्डर केस को और साथ ही समझेंगे देश में बढ़ते लिव इन रिलेशनशिप और डेटिंग ऐप के फलते फूलते कारोबार को भी...
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श्रद्धा वॉकर के लिव-इन पार्टनर आफताब पूनावाला (Aftab Poonawalla) ने जो किया उससे देश के सदमे और गुस्से को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. पुलिस को श्रद्धा के शव के कुछ कटे हिस्से भी मिल गए हैं. विश्वासघात और छल की इस दर्दनाक कहानी का खलनायक आफताब है, जो पेशे से एक ट्रेंड शेफ है. जानवरों के मांस को सुरक्षित रखने की अपनी ट्रेनिंग का इस्तेमाल उसने श्रद्धा के मांस को सहेजने में किया.
आफताब अमीन पूनावाला ने पुलिस को बताया है कि शादी को लेकर हुए झगड़े के बाद उसने श्रद्धा की हत्या की. शरीर को टुकड़ों में काटने का आइडिया उसे एक American TV Series ‘Dexter’ से आया. अवॉर्ड विनिंग अमेरिकन ड्रामा क्राइम सीरीज़ Dexter में Dexter एक फॉरेंसिक टेक्नीशियन है. वह मियामी मेट्रो पुलिस डिपार्टमेंट की नौकरी करता है और सुबह क्राइम की गुत्थियां सुलझाता है. वह ऐसे अपराधियों को मारता है जिन्हें कानून सजा नहीं दे पाता है.
सीजन 1 के ज्यादातर पार्ट में Dexter की मॉडस ऑपरेंडी ऐसी थी कि वह पहले अपराधियों को मारकर उनके शरीर को काटता था और कचरे के काले बैग के अंदर टुकड़े टुकड़े करके उन्हें रखता था. फिर वह इन बैगों को अपनी गाड़ी से ले जाकर नाव पर लाद देता. आखिर में वह इन बैग्स को गहरे समंदर में फेंक देता था.
आफताब का मामला कोई पहला केस नहीं है. 2014 में, एक अमेरिकी लड़के ने भी गर्लफ्रेंड को इसी तरह मारा था, वह भी शो का आदि था. उसे 25 साल जेल की सजा हुई थी.. इसी तरह, 2011 में, नॉर्वे में, 28 साल के शमरेज़ खान ने नॉर्वे-पाकिस्तानी महिला फ़ैज़ा अशरफ़ को मारने के लिए हॉवर्ड न्यफ़्लॉट को काम पर रखा था. वह भी डेक्सटर से ही प्रेरित था.
आफताब ने भी शव के कटे हिस्सों को रखने के लिए 300 लीटर का फ्रिज खरीदा और शव से आने वाली बदबू को दबाने के लिए अगरबत्तियों का इस्तेमाल किया.
आधी रात को पॉली बैग में शरीर के अंगों को पैक करके बाहर निकलने वाले आफताब ने प्लान इस तरह तैयार किया कि शरीर का कौन सा हिस्सा जल्द से जल्द सड़ना शुरू हो जाता है और इसी के आधार पर उसने शरीर के हिस्सों को निपटाना शुरू कर दिया.
रूह कंपा देने वाली इस कहानी में एक किरदार सोशल मीडिया का भी है... एक सोशल मीडिया साइट वह फेसबुक है जिसपर बेटी की फोटो देखकर पिता खुद को दिलासा देता रहा कि उसकी गोद में खेलकर बड़ी हुई उसकी बिटिया सही सलामत है और दूसरी सोशल साइट वो डेटिंग ऐप Bumble है जिसकी बदौलत वह घड़ी आई जब पिता बेटी को फोन भी नहीं कर पा रहा था और उसे उसकी हत्या की बात 6 महीने बाद पता चली.
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श्रद्धा वाकर की हत्या के बाद जब उसकी लाश फ्रिज में ही थी, तभी आफताब पूनावाला ने इसी डेटिंग ऐप के जरिए एक और महिला से संपर्क किया था, जो पेशे से साइकलॉजिस्ट थी. आफताब ने इस महिला को घर भी बुलाया था. एक कमरे में रखे फ्रिज में श्रद्धा के शरीर के टुकड़े रखे थे जबकि दूसरे में आफताब पूरी रात इस महिला के साथ था.
डेटिंग ऐप का बाजार और लिव इन रिलेशनशिप की हकीकत बीते कुछ सालों में तेजी से परवान चढ़ी है. सलाम नमस्ते, बचना ऐ हसीनों, फैशन, कॉकटेल जैसी कई फिल्मों में सालों पहले लिव इन का ट्रेंड दिखाया गया था. आज भारत के बड़े शहरों में कई युवा शादी से पहले लिव इन में रहना पसंद करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश के 80% से ज्यादा युवा लिव-इन रिलेशनशिप को सही मानते हैं लेकिन आधे प्रतिशत से भी कम हैं जो सही में इस तरह लाइफ को सफलतापूर्वक जी पाते हैं.
दूसरी हकीकत ये भी है कि भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध कर दिया गया है, लेकिन फिर भी भारतीय समाज इसे एक टैबू के रूप में मानता है.
COVID-19 महामारी ने भले कई इंडस्ट्रीज को चौपट कर दिया हो लेकिन डेटिंग ऐप्स के लिए इसने शानदार दौर की शुरुआत की. Statista research के अनुसार, Indian dating industry का रेवेन्यू 2020 में 26 अरब से ज्यादा का था. statisa.com के मुताबिक भारत में 3 करोड़ से ज्यादा डेटिंग ऐप यूजर्स हैं और यही आंकड़ा भारत को डेटिंग ऐप का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बना देता है.
वाया डेटिंग ऐप लिव इन रिलेशनशिप की छत तैयार हो रही है. भारत में अभी आधे फीसदी लोग ही लिव इन में रह रहे हैं लेकिन हर दिन ही अपराध के कई ऐसे मामले सामने आते हैं जो लिव इन में ही हो रहे हैं.
भारत में, एक रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के दौर में डेटिंग ऐप यूजर्स की संख्या 112% बढ़ गई. एक्सपर्ट्स का मानना है कि डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल ज्यादातर ऐसे लोग करते हैं जो अपने मौजूदा रिश्ते से खुश नहीं होते हैं या जो अपनी शादी के बाहर एक नए रोमांच की तलाश में रहते हैं.
हालांकि हम आगे बढ़ें उससे पहले लिव इन रिलेशनशिप की कानूनी वैधता को भी जान लेते हैं. सहमति से अडल्ट हो चुके लोगों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप को भारतीय कानून के तहत अवैध नहीं माना जाता है. 2006 में, "लता सिंह Vs State of Uttar Pradesh" के मामले में, यह माना गया था कि अपोजिट सेक्स वाले दो अडल्ट्स के बीच सहमति से लिव-इन संबंध कानून में किसी भी अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. हालांकि समाज में इसे अनैतिक जरूर माना जाता है. एक अन्य महत्वपूर्ण मामले “Khushboo vs Kanaimmal and another” में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप के विचार को समाज में अनैतिक माना जाता है, लेकिन कानून की नजर में यह अवैध नहीं है. एक साथ रहने का फैसला जीवन का अधिकार श्रेणी में आता है और इसलिए इसे अवैध नहीं ठहराया जा सकता.''
अगर लिव-इन रिलेशनशिप लंबे वक्त तक कायम रहता है और कपल खुद को पति-पत्नी के रूप में समाज के सामने पेश करते हैं, तो उन्हें कानूनी रूप से विवाहित होने की भी मान्यता मिल जाती है. 1978 की शुरुआत में, "बद्री प्रसाद Vs Deputy Director Consolidation" मामले में निष्कर्ष निकला था कि अगर पुरुष और महिला जो समाज में पति और पत्नी के रूप में रहते हैं तो शादी की आधी सदी के बाद उन्हें वैधता मिल जाती है, लेकिन ऐसा किसी चश्मदीद के बयान से ही निर्धारित होगा."
S.P.S Balasubramanyam v. Suruttayan केस में Supreme Court ने टिप्पणी की थी कि अगर एक महिला और पुरुष काफी वर्षों तक एक ही छत के नीचे रहते हैं और संबंध बनाते हैं, तो Evidence Act की धारा 114 के तहत इसे विवाह माना जाएगा और इसलिए, उनसे पैदा हुए बच्चे भी वैध माने जाएंगे और पैतृक संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार होंगे.
लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी वैधता प्राप्त हैं लेकिन इस तरह के रिश्ते अपराध की कई किश्तें भी शुरू कर देते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संयुक्त परिवारों का दायरा या सामाजिक बंदिशें यहां नहीं होती है. ऐसे ही एक मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी. अप्रैल 2022 इंदौर की हाईकोर्ट बेंच में Justice Subodh Abhyankar ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों की वजह से "लिव-इन रिलेशनशिप" एक "बाय-प्रोडक्ट" यौन अपराधों को बढ़ावा दे रहा है.
लिव इन रिलेशनशिप का ट्रेंड इंडियन सोसायटीज में तेजी से बढ़ रहा है लेकिन एक सच ये भी है कि सोसायटी में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की घटनाएं भी बढ़ी हैं. एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप पर हुई स्टडीज से पता चलता है कि ऐसे लोग जो अक्सर यात्राएं करते हैं या घर से बाहर रहना पसंद करते हैं, वह एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप का रुख करते हैं.
एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन से जुड़ी वेबसाइट Gleeden ने भी इससे जुड़ा एक सनसनीखेज खुलासा किया. इस वेबसाइट के भारत में उसके 10 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं. इसने भारत में एक सर्वे किया. इस सर्वे को महिलाओं के लिए ही किया गया था. Gleeden का दावा है कि 48% भारतीय महिला यूजर्स शादीशुदा हैं और उनके बच्चे भी हैं.
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78% महिला यूजर्स शिक्षित हैं और 74% अच्छी नौकरी में हैं. gfx out (comp 3) Gleeden ने इनसे सवाल पूछा कि आखिर क्यों वे पतियों से बेवफाई कर रही हैं, इसपर जो जवाब मिला वह और भी चौंकाने वाला था. gfx in Gleeden ने खुलासा किया कि कम से कम 76% महिलाएं अपनी शारीरिक बनावट के मामले में खुद को बेहतर आंकती हैं और अपने पति को कम. यही वजह उन्हें एक्स्ट्रा मैरिटल के रास्ते पर ले जाती है.
Gleeden के ही सर्वे में एक बात सामने आई थी. सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 43 फीसदी पुरुष शादीशुदा जिंदगी से बाहर किसी दूसरी महिला के साथ भी संबंध बना चुके थे.
अब चलते हैं कुछ और भी खबरों की ओर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने मंगलवार को जी20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) से इतर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और कई दूसरे ग्लोबल लीडर्स के साथ अनौपचारिक बातचीत की और कई मुद्दों पर विचार साझा किए.
मोदी ने सालाना जी20 शिखर सम्मेलन के एक सेशन को यहां संबोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन संकट की वजह से पैदा हुई वैश्विक चुनौतियों ने दुनिया में तबाही मचा दी है और वैश्विक सप्लाई ‘‘चरमरा’’ गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन विवाद को सुलझाने के लिए ‘‘युद्धविराम और कूटनीति’’ के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया. साथ ही रूसी तेल व गैस खरीद के खिलाफ पश्चिमी देशों के आह्वान के बीच उन्होंने ऊर्जा की आपूर्ति पर किसी भी प्रतिबंध को बढ़ावा देने का भी विरोध किया.