Sri lanka crisis: भीड़ जब तक आपके पक्ष में हो वह ताक़त देती है. लेकिन अगर यही भीड़ आपके विरोध में खड़ी हो जाए तो क्या हो सकता है, इसे समझने के लिए श्रीलंका की कहानी को समझना बेहद जरूरी है. रामायण में सोने की लंका के जलने की कहानी तो आपने कई बार सुनी होगी. लेकिन मंगलवार यानी कि 10 मई को यह सब कुछ दिखा, जब आक्रोशित भीड़ ने पीएम का घर फूंक दिया. सांसदों को डूबो दिया..कई मंत्रियों के घर राख हो गए. मौजूदा हालात को देखते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे गोटबाया फरार हो गए हैं. पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है.
रोटी के लिए, बच्चों के पेट भरने के लिए लोग कत्ल पर उतारू हो गए हैं. लोगों के पास जरूरी सामान नहीं थे. थोड़े बहुत जो सामान मौजूद हैं उसे खरीदने की ताकत बहुत कम लोगों में बची है. उसे भी खरीदने के लिए हफ्तों-हफ्तों लोगों को लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा था. नतीजा विद्रोह... लोग सड़क पर उतर गए.
15 से अधिक घर फूंके
सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा इतना था कि वह भूल गए कि कौन राष्ट्रपति का घर है और कौन प्रधानमंत्री का. 15 से अधिक घरों और दफ़्तरों को लोगों ने देखते ही देखते फूंक दिया.. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का पैतृक घर भी आग के हवाले कर दिया गया... सब कुछ धूधू कर जलने लगा.
भीड़ इतनी हिंसक हो चुकी थी कि तमाम सेना और पुलिस, प्रधानमंत्री के सरकारी आवास को भीड़ से बचाने में लगी थी. इसके बावजूद भीड़ को रोका नहीं जा सका. अंत में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवाई फ़ायरिंग करनी पड़ी. एक समय ऐसा भी आया जब सांसदों को अपनी जान बचाने के लिए खुद गोली चलानी पड़ी.
सांसद को जान बचाने के लिए चलानी पड़ी गोली
पुलिस ने इस घटना को लेकर जो कुछ कहा है वह आपके रोंगटे खड़े कर देगा. हज़ारों प्रदर्शनाकियों ने राजधानी कोलंबो के पास नित्तमबुवा शहर में सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद की गाड़ी को चारों तरफ से घेर लिया. सांसद को लगा कि अब उसे कोई नहीं बचा सकता. इसके बाद सांसद ने खुद को बचाने के लिए भीड़ पर गोली चला दी. इसमें एक शख्स की मौत हो गई. लेकिन सांसद बच नहीं पाए. आदमी से जॉम्बी बन चुकी इस भीड़ ने सांसद और उनके बॉडीगार्ड के प्राण ले लिए.
वहीं श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से में स्थित वीराकेतिया शहर में भीड़ सांसद के घर में घुस गई. सांसद को जान बचाने का कोई तरीका नहीं दिखा तो उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई, वहीं पांच घायल हो गए.
आखिर ऐसा क्या हुआ कि श्रीलंका की जनता देखते ही देखते जॉम्बी बन गई.
जनता क्यों बन गई जॉम्बी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार रात महिंदा राजपक्षे ने अपने सरकारी आवास टेंपल ट्रीज़ में एक संबोधन में कहा कि वो किसी चुनौती से नहीं डरते. इसके बाद उनके समर्थक, टेंपल ट्रीज को घेरे प्रदर्शनकारियों के सामने खड़े हो गए और हमला शुरू कर दिया. सरकार के समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों के टेंट को आग लगा दी. फिर क्या था प्रदर्शनकारी गुस्से में पागल हो गए. भीड़ गैले फेस की तरफ बढ़ी. जहां पिछले एक महीने से शांतिपूर्वक तरीके से लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.
नतीजा यह हुआ कि यहां, प्रदर्शनकारियों और राजपक्षे के समर्थकों के बीच भीषण झड़प शुरू हो गई. इसे रोकने के लिए, पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे... पानी की बौछारें की. लेकिन भीड़ नहीं रुकी.
गैले फेस से शुरू हुई हिंसा कुछ ही समय में देश के कई हिस्सों में फैल गई. गुस्से में पागल जनता ने घर लौट रहे महिंदा राजपक्षे के समर्थकों की बसों पर हमले कर दिए. सत्ताधारी पार्टी के राजनेताओं की संपत्तियों को तोड़ा गया और कुछ को आग के हवाले कर दिया.
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हिंसा रोकने के लिए लगाया गया कर्फ्यू
राजपक्षे परिवार के हंबनटोटा स्थित पैतृक घर और कुरुनेगला में महिंदा राजपक्षे के घरों में भी आग लगा दी गई. आखिरकार राष्ट्रपति कार्यालय को कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी. इतना ही लोगों के गुस्से को देखते हुए 76 वर्षीय प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया है. महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि इससे संकट से निपटने में मदद होगी. हालांकि, उनके छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटाबाटा राजपक्षे अभी भी सत्ता में बने हुए हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि विरोधी आगे क्या करते हैं.
श्रीलंका में अप्रैल महीने से ही महंगाई और बिजली कटौती की वजह से प्रदर्शन हो रहे हैं. जानकार बताते हैं कि श्रीलंका, सबसे गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है.