अग्निपथ योजना को लेकर जब छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हुआ तो कई लोगों ने यह कहते हुए विरोध किया कि सार्वजनिक संपत्ति को आग लगाना ठीक नहीं है. यह ठीक भी है. लेकिन क्या वही लोग अब SSC GD 2018 के अभ्यर्थियों के लिए कुछ बोलेंगे जो नागपुर से 1000 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर दिल्ली पहुंचने की ठान चुके हैं.
हाथों में तिरंगा लिए शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली के लिए आगे बढ़ते हुए ये छात्र जब मध्य प्रदेश के सागर पहुंचे तो उन्हें भारी बारिश के बावजूद रुकने नहीं दिया गया. इतना ही नहीं इन लोगों का यहां रुककर खाने का प्लान था, लेकिन उन्हें खाना खाने भी नहीं दिया गया. आपको जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है कि ऐसा करने वाले वहां के डीएम दीपक आर्य थे.
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डीएम छात्रों से बोले, मेरे एरिया से निकल जाओ
आपको डीएम साहब की भाषा सुननी चाहिए.. वो छात्रों से कहते हैं- मेरे एरिया से निकल जाओ, यहां रहने की सोचना भी मत... मतलब छात्रों के मनोबल को तोड़ने की पूरी तैयारी है.
विशाल नाम के एक प्रदर्शनकारी छात्र ने इस घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पैदल मार्च के बीसवें दिन बीस किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद ये लोग रुकने वाले थे. लेकिन सागर जिले के कलेक्टर ने उन्हें वहां रुकने नहीं दिया. इस वजह से वो लोग पूरे दिन बारिश में भींगते रहे.. बाद में बेरोज़गार युवाओं की बारिश से हालत बिगड़ गई. आखिरकार चार लोगों को सागर के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. विशाल और उनके साथी छात्रों ने बीच में कई जगह होटल में रुकने और खाना खाने का प्रयास किया, लेकिन उसे ऐसा नहीं करने दिया गया.
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सोशल साइट्स पर डीएम को मिला जवाब
सागर जिले के डीएम साहब के इस रवैये को लेकर सोशल साइट्स पर ही लोगों ने उन्हें जवाब दे दिया है. सवाल उठता है कि क्या डीएम साहब को अनुच्छेद 19 (1) के बारे में नहीं पता है.. जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रत्येक नागरिक को भाषण द्वारा लेखन, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से स्वतंत्र रूप से किसी के विचारों और विश्वासों को व्यक्त करने का अधिकार प्रदान करती है. या उनके सामने कोई और ही मजबूरी है...
ऐसा नहीं है कि इन अभ्यर्थियों ने अभी प्रदर्शन शुरू किया है. यह इसके लिए पिछले डेढ़ सालों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इन बच्चों ने केंद्रीय अर्धसैनिक सिपाही भर्ती परीक्षा साल 2018 की सभी परीक्षा पास की है. इनकी मांग है कि सरकार इन्हें केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में नियुक्ति दे. लेकिन अभी तक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है. विशाल समेत तमाम पैदल चल रहे छात्रों ने एक जून को महाराष्ट्र के नागपुर से पैदल यात्रा शुरू की थी. पैदल मार्च की शुरुआत में 40 लोग साथ थे लेकिन अब इसमें कुल 60 लोग हो चुके हैं. इतना ही नहीं पैदल चलने वालों में कई लड़कियां भी हैं.
हाथों में तिरंगा, जुबान पर वंदे मातरम
एक बार प्रदर्शन की तस्वीर देख लीजिए, हाथों में तिरंगा लिए, एक कतार में वंदे मातरम और भारत माता की जय बोलते हुए पैदल चल रहे हैं. इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? या फिर अब सरकार के खिलाफ उठने वाली सभी आवाज़ को दबाने की कोशिश है.
हालांकि सब लोग छात्रों का मनोबल तोड़ रहे हैं ऐसा भी नहीं है. एक तस्वीर यह भी है, जब सागर के स्थानीय लोगों ने छात्रों के लिए खाने की व्यवस्था की और वहीं सड़क किनारे बैठकर छात्रों ने अपनी भूख मिटाई... छात्रों ने वीडियो बनाकर स्थानीय लोगों का धन्यवाद तो किया ही साथ ही पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील करते हुए कहा कि हमलोग देश सेवा के लिए हथियार उठाना चाहते हैं, हमें तलवार उठाने के लिए मजबूर मत कीजिए....
पांच हज़ार अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र का इंतज़ार
आपकी जानकारी के लिए बता दूं, पैदल यात्रा में शामिल सभी बच्चे SSCGD 2018 की परीक्षा में शामिल हुए थे. इसके नतीजे जनवरी-2021 में ही जारी कर दिए गए थे. तब 60 हज़ार पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी. 55 हज़ार उम्मीदवारों को नौकरी मिल गई लेकिन तकरीबन पांच हज़ार अभ्यर्थी नियुक्ति पत्र पाने से रह गए. हालांकि छात्रों का दावा है कि कुछ लोगों को स्थानीय स्तर पर निकली पुलिस भर्ती और अन्य परीक्षाओं में जगह मिल गई है. ऐसे में इनके साथ अब लगभग 2,500 लोग ही हैं.
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यह पहला मौक़ा नहीं है जब इन्होंने पैदल सफ़र करके उनके साथ हुए अन्याय की तरफ ध्यान दिलाने की कोशिश की है. छात्रों के मुताबिक इन लोगों ने इससे पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक साल तक आंदोलन किया था. इस दौरान उन्होंने कुछ केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से मिलकर अपनी बात भी रखी. लेकिन फिर भी इन्हें नियुक्ति नहीं मिली. आखिर में हारकर अभ्यर्थियों ने पदयात्रा शुरू कर दी.