Doordarshan Story: टेलीविजन इंडिया के नाम से शुरू हुआ था दूरदर्शन! जानें चैनल की कहानी | Jharokha 15 Sep

Updated : Sep 30, 2022 15:03
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Mukesh Kumar Tiwari

How Doordarshan Started: 90's में जन्मे बच्चों की जिंदगी में दूरदर्शन का काफी अहम योगदान है. अलिफ लैला, शक्तिमान जैसे न जाने कितने ही टीवी सीरियल हमने देखे और ये सभी हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए. आज हम जानेंगे दूरदर्शन की कहानी (Story of Doordarshan) को... दूरदर्शन कैसे शुरू हुआ? (How Doordarshan Started), दूरदर्शन का इतिहास (History of Doordarshan) क्या है और कैसे दूरदर्शन आगे बढ़ा ? (How Doordarshan Grown)...

15 सितंबर 1959 को हुई थी दूरदर्शन की शुरुआत

रविवार को जल्दी उठने का इंतजार, नहा धोकर टीवी के सामने सबसे आगे बैठने की लड़ाई, कई बार तो टीवी प्रोग्राम के लिए स्कूल छोड़ देने की कोशिश... दूरदर्शन वाला वो बचपन तो नहीं लौट सकता लेकिन दूरदर्शन की कई कहानियां जरूर हमारे दिमाग में लौटती रहती हैं... टीवी को हमारी आपकी जिंदगी में लाने वाले दूरदर्शन का आज हैप्पी बर्थडे है.... 15 सितंबर 1959 को ही देश के सबसे पहले टीवी चैनल 'दूरदर्शन' की शुरुआत हुई थी. तब इसका नाम दूरदर्शन नहीं बल्कि टेलीविजन इंडिया हुआ करता था... आइए चलते हैं बचपन की उसी पटरी पर जहां से हमारी दूरदर्शन वाली ट्रेन गुजरा करती थी...

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टेलीविजन इंडिया के नाम से शुरू हुआ था दूरदर्शन

दूरदर्शन और भारत में टीवी, दोनों एक साथ शुरू हुए थे. 15 सितंबर 1959 को ही शुरू हुआ था देश का पहला टीवी चैनल ‘टेलीविजन इंडिया’. शुरुआत में हफ्ते में 3 दिन ही इसका प्रसारण होता था और वह भी सिर्फ आधे घंटे के लिए. शुरुआत में इसपर स्कूली बच्चों और किसानों के लिए लर्निंग प्रोग्राम दिखाए जाते थे. कमाल की बात ये है कि 6 साल तक सिलसिला यूं ही चलता रहा. साल 1965 में दूरदर्शन का कलेवर तब बदला जब हर रोज 1 घंटे इसका टेलीकास्ट शुरू हुआ. 1972 में टीवी सर्विस को दूसरे शहर मुंबई में शुरू किया गया. बाद में 1975 में इसे ‘दूरदर्शन’ नाम दिया गया. यह दूरदर्शन नाम इतना मशहूर हुआ कि टीवी का हिंदी अर्थ बन गया.

सबसे पहले दिल्ली में शुरू हुई थी दूरदर्शन की सेवा

शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था. तब दिल्ली में लोग इसे हैरानगी के साथ देखते थे, ये बहुत कुछ वैसा ही था जब पहली बार मोबाइल लोगों के बीच पहुंचा था. शुरुआत में तो दूरदर्शन की सर्विस दिल्ली और आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही थी. 1975 तक टीवी स्टेशन कलकत्ता, चेन्नई, श्रीनगर, अमृतसर और लखनऊ में खुल चुके थे. 1975-76 में 2400 गांवों में टीवी प्रोग्राम शुरू किया गया. हफ्ते में तीन दिन की जगह हर ‘दूरदर्शन’ का टेलीकास्ट शुरू हो गया. तब इसपर न्यूज बुलेटिन शुरू किया गया था.

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1975 में मिला नया नाम दूरदर्शन

साल 1975 में 6 राज्यों में सैटेलाइट इन्स्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरिमेंट (SITE) शुरू किया गया. उस समय इन राज्यों में सामुदायिक टीवी लगाए गए थे. यह वही साल था जब ‘टेलीविजन इंडिया’ का नाम बदलकर ‘दूरदर्शन’ कर दिया गया. इसके अगले साल 1976 में दूरदर्शन ऑल इंडिया रेडियो से अलग हो गया.

1982 में दूरदर्शन ने कलर्ड प्रसारण शुरू किया

शुरू में ‘दूरदर्शन’ धीमी रफ्तार से आगे बढ़ा लेकिन साल 1982 इसके लिए बेहद अहम रहा. इसी साल ‘दूरदर्शन’ की सूरत ब्लैक एंड वाइट से कलर्ड हो गई. 25 अप्रैल 1982 को दूरदर्शन ने पहली बार रंगीन प्रसारण शुरू किया. यह कदम 9वें एशियाई खेलों के लिए उठाया गया था. 1984 में देश के गांव-गांव में दूरदर्शन पहुंचाने के लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया. एशियाई खेलों ने ‘दूरदर्शन’ की लोकप्रियता को कई गुना बड़ा कर दिया.

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‘दूरदर्शन’ लोकप्रिय हुआ तो लोगों की रुचि को देखते हुए नए नए प्रोग्राम भी बनने लगे. तब कृषि दर्शन, चित्रहार और रंगोली जैसे प्रोग्राम कामयाब साबित हुए. साल 1966 में शुरू हुआ ‘कृषि दर्शन‘ कार्यक्रम ने भी हरित क्रांति में अपना रोल निभाया. 'कृषि दर्शन' ऐसा कार्यक्रम था जिसे ‘दूरदर्शन’ पर सबसे ज्यादा टेलीकास्ट किया गया.

80's में घर घर पहुंचा दूरदर्शन

80 के दशक ने दूरदर्शन को घर घर पहुंचा दिया... हम लोग (1984), बुनियाद (1986-87), रामायण और महाभारत इसी दशक में शुरू हुए. भारत और पाकिस्तान विभाजन की कहानी पर बने 'बुनियाद' ने विभाजन की त्रासदी से तब की पीढ़ी को रूबरू कराया. इस सीरियल के सभी किरदार आलोक नाथ (मास्टर जी), अनीता कंवर (लाजो जी), विनोद नागपाल, दिव्या सेठ घर घर में छा गए.

इसके बाद चित्रहार, रंगोली, क्राइम थ्रिलर ब्योमकेश बख्शी और जानकी जासूस शुरू हुए. 1984 में दूरदर्शन पर हमलोग शुरू हुआ था. ये एक ऐसा प्रोग्राम बन गया जिससे भारत की बड़ी आबादी खुद को जोड़ने लगी. हर किरदार में दर्शक खुद को देखता. वह उनकी खुशियों में झूमता और तकलीफों में आंसू बहाता. ऐसे ही कई और भी सीरियल हुए जैसे वाघले की दुनिया, ये जो हैं जिंदगी, नुक्कड़, रजनी... सीरियल की लिस्ट लंबी है. आज देश की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी की पहुंच डीडी तक है, वो भी लगभग 1400 टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिटर्स की बदौलत.

रामायण-महाभारत ने दूरदर्शन को बुलंदी पर पहुंचाया

फिर आया साल 1986 का दौर जब ‘दूरदर्शन’ पर रामायण का प्रसारण हुआ. इसके बाद महाभारत को भी लोगों ने इसी पर देखा. ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ ऐसे प्रोग्राम थे जिन्होंने दूरदर्शन की लोकप्रियता को आसमां पर पहुंचा दिया.

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देश में तब ज्यादातर गावों में बिजली नहीं थी. किसी किस गांव में टीवी थी जिसे बैटरी भरवाकर देखा जाता था. रविवार से पहले ही बैटरी भरवा ली जाती और जिन जिन घरों में टीवी होती वहां पूरा गांव उमड़ पड़ता. ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ जब डीडी पर चलते तो देशभर में कर्फ्यू जैसे हालात बन जाते... सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था. रामायण और महाभारत ऐसे लोकप्रिय हुए कि इनके प्रसारण से पहले लोग घर की सफाई भी करते और कई जगह तो टीवी तक की पूजा होती थी..

1995 में दूरदर्शन ने CNN से की बड़ी साझेदारी

दूरदर्शन ने एक नई कामयाबी अपने हिस्से में जुलाई 1995 में तब जोड़ी जब उसने 1.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सालाना फीस और 50 फीसदी एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू के बदले सीएनएन को भारतीय सैटलाइट के इस्तेमाल से 24 घंटे प्रसारण की अनुमति दी. दूरदर्शन जब शुरू हुआ तब यह रेडियो सर्विस के अंदर ही था लेकिन 1976 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के ऑफिस दो अलग अलग डायरेक्टर जनरल के अंतर्गत कर दिया गया. 

दूरदर्शन पर सीरियल जितने फेसम हुए, उतने ही फेमस उसपर आने वाले ऐड भी हुए.

बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर- हमारा बजाज.... हेमा, रेखा, जया और सुषमा, सबकी पसंद निरमा...

जब Complan के विज्ञापन में शाहिद कपूर कहते थे - i am a Complan Boy तो लगता था मानो एकदम से हाइट बढ़ गई...  पान पराग के उस विज्ञापन को आज तक कोई नहीं भूल पाया है जो शम्मी कपूर और अशोक कुमार पर फिल्माया गया था. AMUL के पुराने ऐड आज भी याद किए जाते हैं. ऐक्शन का स्कूल टाइम... 90 के दशक में आने वाला यह विज्ञापन सभी बच्चों को बहुत पसंद था. टीवी पर दिखाए जाने वाले इस विज्ञापन में एक छोटा सा घुंघराले बालों वाला बच्चा आता था जो स्कूल जाने के लिए तैयार होता है और उसके शूज को देखकर बच्चे उस वक्त अपने पेरेंट्स से उसी तरह के जूते खरीदने की जिद्द करते थे.

धारा वाले ऐड को कौन भूल सकता है जिसमें एक बच्चा जो घर छोड़ कर चला जाता है, लेकिन जलेबी के चलते वह घर छोड़कर जाने का विचार बदल लेता है. ये एड आज भी लोगों के दिल के बहुत क़रीब है. 

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यह दिलचस्प तथ्य है कि आज चाहे देश में कुल मिलाकर 800 से अधिक सैटलाइट बेस्ट प्राइवेट चैनल हों, जिसमें एंटरटेनमेंट, न्यूज, म्यूजिक, सिनेमा, स्पोर्ट्स, हेल्थ, खान पान, फैशन, अध्यात्म, किड्स चैनल हैं. अलग अलग भाषाओं के कई चैनल हैं लेकिन एक दौर ऐसा था जब इन सभी फ्लेवर्स वाले ऑडियंस का ध्यान रखने का जिम्मा अकेले दूरदर्शन ने उठाया हुआ था... तब डीडी पर किसानों के लिए, बच्चों के लिए भी कार्यक्रम आते थे और क्रिकेट मैच भी आता था. 26 जनवरी, 15 अगस्त कार्यक्रम भी दिखते थे. सच ये भी है कि दूरदर्शन मनोरंजन के नाम पर निजी चैनल्स की तरह दर्शकों को कुछ भी नहीं परोस सकता... लेकिन दूरदर्शन ने जिस दौर को हमें दिखाया है वह किसी ग्रंथ से कम भी नहीं....

चलते चलते 15 सितंबर की दूसरी अहम घटनाओं पर एक नजर डाल लेते हैं

1846: नेपाल पर जंग बहादुर राणा (Jung Bahadur Rana) ने कब्जा कर लिया

1894: जापान ने चीन की क्विंग डायनैस्टी को प्योंगयांग की लड़ाई में हराया

1860: भारत के सबसे बड़े इंजीनियर समझे जाने वाले एम विश्वेश्वरैया (M Vishweshwaraiah) का जन्‍म हुआ. इसे देश में इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है

1998: Google.com डोमेन नेम के रूप में रजिस्टर हुआ

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